ग़ज़ल
जखीरा साहित्य संग्रह पर प्रकाशित सभी ग़ज़लो का संकलन नीचे प्रकाशित किया गया है |- शब की तारीकी में भी इक दम सवेरा हो गया - रहबर प्रतापगढ़ी
- जहाँ देखो वहाँ मौजूद मेरा कृष्ण प्यारा है - भारतेंदु हरिश्चंद्र
- आ जा अब तो शाम का मंज़र भी धुँधला हो गया - संदीप ठाकुर
- सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद हैं - अदम गोंडवी
- चराग़ डसती हुई आंधियां भी आएँगी - डॉ. राहत इंदौरी
- दिल में कुछ बात आ गई है फिर - डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी
- रात भी, नींद भी, कहानी भी - फ़िराक़ गोरखपुरी
- झूट को सच तो मिरे यार बना सकता है - हनीफ़ दानिश इंदौरी
- दीवाना बनाना है तो दीवाना बना दे - बहज़ाद लखनवी
- गिरने वाली है बहुत जल्द ये सरकार हुज़ूर - सबीहुद्दीन शोऐबी
- गुफ़्तुगू होगी मगर कुछ गुफ़्तुगू रह जाएगी - रहबर प्रतापगढ़ी
- मिलिए ज़रूर उस से हमेशा ख़ुशी के साथ - रहबर प्रतापगढ़ी
- तिरी गली में कोई हम-ज़बाँ नहीं मिलता - रहबर प्रतापगढ़ी
- अब ये ऐलान मेरी जान विधिवत कर दो - अज़हर इक़बाल
- सपना जैसा भी हो पर सपना सच्चा लगता है - गणेश गोरखपुरी
- नज़र में आज तक मेरी कोई तुझ सा नहीं निकला - ओमप्रकाश यती
- बहुत नज़दीक का भी साथ सहसा छूट जाता है - ओमप्रकाश यती
- आदमी क्या, रह नहीं पाए सम्हल के देवता - ओमप्रकाश यती
- जब भी मंजिल का इशारा आ गया - बालस्वरूप राही
- क्या सितारों को तका है रात भर पल पल कभी - संदीप ठाकुर
- वो इक चिराग़ जो हर बार जलना चाहता है - डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी
- अगर इस ज़िन्दगी में कुछ ख़ुशी थी - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- इस कदर कोई बड़ा हो, मुझे मंजूर नहीं - कुलदीप सलिल
- हैरत-ए-इश्क का इल्जाम दिया जा सकता - अब्दुल हमीद अदम
- इस तरह से हल कोई मामले नहीं होते - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- शिद्दत-ए-ग़म में हम मुस्कुराने लगे - रहबर प्रतापगढ़ी
- बिछड़ के मुझ से वो कब चैन से रहा होगा - रहबर प्रतापगढ़ी
- अज़्म जिसका जवान होता है - आचार्य फजलुर रहमान हाशमी
- जब से सर से गुजर गया पानी - आचार्य फजलुर रहमान हाशमी
- अपना गम मुझको सबसे प्यारा है - आचार्य फजलुर रहमान हाशमी
- किसी के हाथ में खंजर कहां है - आचार्य फजलुर रहमान हाशमी
- जमाने को कलंकित कर गया हूँ - आचार्य फजलुर रहमान हाशमी
- जिनको संसार में संभलना है - आचार्य फजलुर रहमान हाशमी
- कौन अब किसके काम आता है - आचार्य फजलुर रहमान हाशमी
- हक़ीक़तों को तसव्वुर से खींच लाते हैं - राकेश राही
- उन को ये शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते - राजेन्द्र कृष्ण
- काम आती है हमारे उम्र भर मिटटी - ओमप्रकाश यती
- उम्र है उनकी पचपन देख - आचार्य फजलुर रहमान हाशमी
- भुखमरी, बेरोजगारी, तस्करी के एहतिमाम - अदम गोंडवी
- इक़रार किसी दिन है तो इंकार किसी दिन - बद्र वास्ती
- झूठ कहूँ तो दिल तैयार नहीं होता - प्रताप सोमवंशी
- दोस्त है, हमदर्द है, घर-बार है - बालस्वरूप राही
- जहाँ मन हो बिछा लेते है बिस्तर लेके चलते है - ओमप्रकाश यती
- आप जिन के क़रीब होते हैं - नूह नारवी
- इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है - दुष्यंत कुमार
- ख़ुदा के घर सड़क कोई नहीं जाती - आतिश इंदौरी
- तू भी चुप है मैं भी चुप हूँ ये कैसी तन्हाई है - जौन एलिया
- नदी कानून की, शातिर शिकारी तैर जाता है - ओमप्रकाश यती
- घर जलेंगे उनसे इक दिन तीलियों को क्या पता - ओमप्रकाश यती
- किसी के हाथ में खंजर कहां है - डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी
- वैसे मैं ने दुनिया में क्या देखा है - तहज़ीब हाफ़ी
- दरिया की तह में ठिकाना चाहती है - संदीप ठाकुर
- दुनिया लुटी तो दूर से तकता ही रह गया - इब्राहीम अश्क
- जो मुझे भुला देंगे मैं उन्हें भुला दूँगा - मुनीर नियाज़ी
- मुझे नहीं है कोई वहम अपने बारे में - इक़बाल साजिद
- मुझे गुनाह से नफ़रत है क्या किया जाए - साजिद प्रेमी
- फ़ुर्सत में रहा करते हैं फ़ुर्सत से ज़्यादा - सुल्तान अख़्तर
- दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती - निदा फ़ाज़ली
- हैं सितारे डरे-डरे फिर से - संदीप ठाकुर
- मुश्किलों से भरे हालात की इक हद होगी - आतिश इंदौरी
- विकट बाढ़ की करुण कहानी नदियों का संन्यास लिखा है - अदम गोंडवी
- कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं - दुष्यंत कुमार
- मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे - दुष्यंत कुमार
- ये इशारा तो किसी परवानगी से कम नहीं - गणेश गोरखपुरी
- मेरे कारोबार में सब ने बड़ी इमदाद की - राहत इंदौरी
- न कमरा जान पाता है, न अँगनाई समझती है - मुनव्वर राना
- किसी के ज़ख़्म पर चाहत से पट्टी कौन बांधेगा - मुनव्वर राना
- मेरे ग़म को जो अपना बताते रहे - वसीम बरेलवी
- संकट-ग्रस्त को उबार देगा - नरेन्द्र सोनकर कुमार सोनकरन
- उदासी आसमाँ है दिल मिरा कितना अकेला है - बशीर बद्र
- काम जब तक आपके आता रहा - ओमप्रकाश यती
- चाँदनी छत पे चल रही होगी - दुष्यंत कुमार
- रिश्तों की भीड़ में भी वो तन्हा खड़ा रहा - उर्मिलेश
- दुख तो गाँव-मुहल्ले के भी हरते आए बाबूजी - ओम प्रकाश यती
- दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है - निदा फाजली
- मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है - सलीम कौसर
- तन्हा तन्हा दुख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल गाएँगे - निदा फ़ाज़ली
- कभी रहता हूँ मैं तन्हा, कभी महफ़िल में रहता हूँ - रंजीत भट्टाचार्य
- सर छुपाने के लिए छत नहीं दी जा सकती - ख़ालिदा उज़्मा
- देखो उस ने क़दम क़दम पर साथ दिया बेगाने का - अख्तर लख़नवी
- आग है पानी है मिट्टी है हवा है मुझ में - कृष्ण बिहारी नूर
- बिछड़ के तुझ से न जीते हैं और न मरते हैं - कृष्ण बिहारी नूर
- लाचारी के दौर में कोई लाचारों के साथ नहीं था - डॉ राकेश जोशी
- सर छुपाने के लिए छप्पर नहीं था - डॉ. राकेश जोशी
- देखो अभी लहू की इक धार चल रही है - फ़रहत एहसास
- अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए - उबैदुल्लाह अलीम
- दरिया का सारा नशा उतरता चला गया - वसीम बरेलवी
- मिले किसी से नज़र तो समझो ग़ज़ल हुई - ज़फर गोरखपुरी
- अपाहिज व्यथा को वहन कर रहा हूँ - दुष्यंत कुमार
- अंधेरों से एक दिन भर जाएगा सूरज - मारूफ आलम
- सरे राह मौत के घाट उतार दिए जाऐंगे - मारूफ आलम
- बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है - शाहिद कबीर
- अपनी उलझन को बढ़ाने की ज़रूरत क्या है - नदीम गुल्लानी
- ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं - जौन एलिया
- मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया - साहिर लुधियानवी
- रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे - शकील जमाली
- उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ - अमीर मीनाई
- जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया - निदा फ़ाज़ली
- हम से बात में पेच न डाल - अंजुम रूमानी
- हर एक लम्हा मिरी आग में गुज़ारे कोई - मदन मोहन दानिश
- हम नहीं खाते, हमें बाज़ार खाता है - रामकुमार कृषक
- दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है - हबीब जालिब
- भूल शायद बहुत बड़ी कर ली - बशीर बद्र
- तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था - दाग़ देहलवी
- ग़म से कहीं नजात मिले चैन पाएँ हम - दाग़ देहलवी
- ख़त्म हर अच्छा बुरा हो जाएगा - अनवर शऊर
- शब्द यदि हर अर्थ का, पर्याय होता जायेगा - महावीर उत्तरांचली
- वो आँख ज़बान हो गई है - फ़िराक़ गोरखपुरी
- सुब्ह का झरना हमेशा हँसने वाली औरतें - बशीर बद्र
- ये नाज़ुक सी मिरे अंदर की लड़की - इशरत आफ़रीं
- चराग़ों का घराना चल रहा है - राहत इंदौरी
- बाहर का धन आता जाता असल ख़ज़ाना घर में है - उबैदुल्लाह अलीम
- हम कोई नादान नहीं कि बच्चों की सी बात करें - अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा
- मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ - दुष्यंत कुमार
- हाल-ए-दिल मैं सुना नहीं सकता - अकबर इलाहाबादी
- आया वसंत फिर से नई ताज़गी के साथ - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फ़त नई नई है - शबीना अदीब
- पत्थर पहले ख़ुद को पत्थर करता है - मदन मोहन दानिश
- ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया - शकील बदायुनी
- दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम - जॉन एलिया
- अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें - अहमद फ़राज़
- रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ - अहमद फ़राज़
- बिछड़ गए तो ये दिल उम्र भर लगेगा नहीं - उमैर नजमी
- हर मौक़े की हर रिश्ते की ढेर निशानी उस के पास - प्रताप सोमवंशी
- पिछले बरस तुम साथ थे मेरे और दिसम्बर था - फ़रह शाहिद
- वल्लाह किस जुनूँ के सताए हुए हैं लोग - अदम गोंडवी
- उम्मीदें ही पाल गया - नज़्म सुभाष
- माना कि ज़िंदगी से हमें कुछ मिला भी है - इक़बाल अज़ीम
- मेरा आईना मिरी शक्ल दिखाता है मुझे - तालिब चकवाली
- ये दुनिया तुम को रास आए तो कहना - जावेद अख़्तर
- ये सच है कोई रहनुमा ठीक नईं - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- उस ने हम को झील तराई और पहाड़ दिए - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- बड़ी रौनक थी इस घर में, ये घर ऐसा नहीं था - जावेद अख़्तर
- हम अपनी मोहब्बत का तमाशा नहीं करते - मुशताक़ सदफ़
- तेरे ख़याल के दीवार-ओ-दर बनाते हैं - जमीलुद्दीन आली
- ज़बाँ तक जो न आए वो मोहब्बत और होती है - वामिक़ जौनपुरी
- हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- लम्हा लम्हा अपनी ज़हरीली बातों से डसता था - अंजुम तराज़ी
- उस को मरना है रख रखाव के साथ - परवेज़ मुज़फ्फर
- कभी दहकती कभी महकती कभी मचलती आई धूप - नौबहार साबिर
- रफ़्ता रफ़्ता डर जाएँगे - मुशताक़ सदफ़
- मौत आई नहीं फिर भी मारा गया - निज़ाम फतेहपुरी
- मुख़ालिफ़त का जवाब देना - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- शाएरी झूट सही इश्क़ फ़साना ही सही - समीना राजा
- हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो - निदा फ़ाज़ली
- मरने की दुआएँ क्यूँ मांगूँ जीने की तमन्ना कौन करे - मुईन अहसन जज़्बी
- हसीं है वो तो होने दो नज़र में मेरे नइं - निज़ाम फतेहपुरी
- मिले मुझ को ग़म से फ़ुर्सत तो सुनाऊँ वो फ़साना - मुईन अहसन जज़्बी
- उस के चर्चे आम बहुत हैं - सब बिलग्रामी
- जिल्लतों से राब्ता करके इज्जतों का सफर करना - मारूफ आलम
- जिसे ख़ुद पर भरोसा है कभी दुख मे नहीं रोता - निज़ाम फतेहपुरी
- मिले हमको ख़ुशी तो हम बड़े नाशाद होते हैं - संजय ग्रोवर
- मुझपे तूफ़ान उठाये लोगों ने - मोमिन खां मोमिन
- फिर वही क़िस्सा सुनाना तो चाहिए - मुहम्मद आसिफ अली
- छन-छन के हुस्न उनका यूँ निकले नक़ाब से - निज़ाम फतेहपुरी
- गुलों के बीच में मानिन्द ख़ार मैं भी था - अनवर जलालपुरी
- नज़र नज़र से मिलाओगे मारे जाओगे - ज़ुबैर क़ैसर
- तलाश मैंने ज़िन्दगी में, तेरी बेशुमार की - इमरान बदायुनी
- दिल ही को ज़माने की चमक रास न आए - इमरान हुसैन आजाद / इमरान बदायुनी
- तुझ को देखा तो ये लगा है मुझे - इमरान बदायुनी
- लोगों के सभी फ़लसफ़े झुटला तो गए हम - इमरान बदायुनी
- सरासर भूल करते हैं उन्हें जो प्यार करते है - जयशंकर प्रसाद
- घर से निकले तो हो, सोचा भी किधर जाओगे - निदा फाज़ली
- दिल में अधूरी सी चाहत लेकर - मारूफ आलम
- एक मुद्दत से तो ठहरे हुए पानी में हूँ मैं - इमरान बदायुनी
- सरे बाजार सौदा हो रहा है - आकिब जावेद
- अश्क किसका है जो पुरजोश हुआ जाता है - शकील आज़मी
- पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है - मीर तक़ी मीर
- बादे सेहर जब तू चलती है - परवेज़ मुज़फ़्फ़र
- मोहब्बतों में हवस के असीर हम भी नहीं - मोहसिन नक़वी
- मिलाते हो उसी को ख़ाक में जो दिल से मिलता है - दाग़ देहलवी
- हमारे सर से गुजरती हुई बला निकला - देवेन्द्र गौतम
- कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की - परवीन शाकिर
- यूँ तो आपस में बिगड़ते हैं ख़फ़ा होते हैं - मजरूह सुल्तानपुरी
- जब हुआ इरफ़ाँ तो ग़म आराम-ए-जाँ बनता गया - मजरूह सुल्तानपुरी
- जो उस के सामने मेरा ये हाल आ जाए - वसी शाह
- तमाशे चुटकुले ताली में मत रख - प्रताप सोमवंशी
- कुछ हक़ीक़त है कुछ कहानी है - दिनेश कुमार
- हुस्न का पैकर ताज-महल - सीमा फ़रीदी
- यूँ ही हर बात पे हँसने का बहाना आए - अजय सहाब
- मेरे दिल में उतर गया सूरज - जावेद अख़्तर
- दिन में इस तरह मिरे दिल में समाया सूरज - आज़ाद गुलाटी
- नाम लिक्खा छुरी, जिसने छूरी नहीं - निज़ाम फतेहपुरी
- दिल के मचल रहे मेरे अरमान क्या करें - निज़ाम फतेहपुरी
- गुमरही ठीक नहीं राह पे आओ लोगो - रेख़्ता पटौल्वी
- गली गली हथकड़ियों मे बांध कर गुजारे जाते हैं - मारूफ आलम
- रग-रग के लहू से लिक्खी है, हम अपनी कहानी क्यों बेचें - निज़ाम फतेहपुरी
- ये दुनिया है यहाँ दिल को लगाना किस को आता है - शकील बदायुनी
- साया गुलदान में कम है कि शजर में कम है? - चराग़ शर्मा
- तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है - हरेन्द्र सिंह 'एहसास'
- मुझपे मौला करम की नज़र कीजिए - निज़ाम फतेहपुरी
- ले गया दिल में दबा कर राज़ कोई - आलोक श्रीवास्तव
- हर सम्त देखता हूँ लगातार मतलबी - मन्नान क़दीर मन्नान
- अभी तक जिस को अपनाया नहीं था - रज़ा अमरोहवी
- कितने चेहरे बदल रही दुनिया - शाद सिद्दीक़ी
- हिन्दू है सिख है मुस्लिम है ईसाई है जो भी है - जूलियस नहीफ़ देहलवी
- दबी हुई हैं कई तहरीरें हमारी बस्तर के थानों मे - मारूफ आलम
- वो हमारे मकान पर आया - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- फ़र्क़ नहीं पड़ता हम दीवानों के घर में होने से - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- ग़ौग़ा खटपट चीख़म धाड़ - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- आग लगाने वालों में थे मेरे भाई भी - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- यूँ तोड़ न मुद्दत की शनासाई इधर आ - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- दीवारों पर गीली रेखाएँ रोती हैं - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- करे छलनी वतन को जो उसे हमदर्द कहते हो - आतिश इंदौरी
- मुहब्बत के इस आंगन मे दूरी बांट दोगे - मारूफ आलम
- सब कुछ कहने वाले थे - हामिदी काश्मीरी
- दायरा समेट लिया चुपके से सवेरों ने - मारूफ आलम
- हरजाई ने खेली है संग मेरे ऐसी होली - अभिषेक कुमार अम्बर
- गले मुझ को लगा लो ऐ मिरे दिलदार होली में - भारतेंदु हरिश्चंद्र
- किसी भी शाख पे खिलता गुलाब हो न सका - देवेन्द्र गौतम
- कितने अंदर से दोस्ती की है - देवेन्द्र गौतम
- दिल के टूटे हुए टुकड़ों से चुभन होती है - नूह आलम
- ज़ुल्म कितना तू ज़ालिम करेगा यहाँ - निज़ाम फतेहपुरी
- इश्क़ क्या चीज़ है ये पूछिए परवाने से - साहिर होशियारपुरी
- नाम चले हरनामदास का काम चले अमरीका का - हबीब जालिब
- मिरा राम है तू रहीम है - आलोक यादव
- मुद्दआ बयान हो गया - दीक्षित दनकौरी
- तुझ से बिछड़ूँ तो तिरी ज़ात का हिस्सा हो जाऊँ - अहमद कमाल परवाज़ी
- बुलाती है मगर जाने का नईं - राहत इंदौरी
- जीवन को दुख, दुख को आग और आग को पानी कहते - आनिस मुईन
- ये क़र्ज़ तो मेरा है चुकाएगा कोई और - आनिस मुईन
- मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझ को पाने के लिए - ज़फर गोरखपुरी
- मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा - अमीर क़ज़लबाश
- आँखों में बस के दिल में समा कर चले गए - जिगर मुरादाबादी
- दोस्त है तो मेरा कहा भी मान - राहत इंदौरी
- ढूंढोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने के नहीं नायाब हैं हम - शाद अज़ीमाबादी
- कहाँ क़ातिल बदलते हैं फ़क़त चेहरे बदलते हैं - हबीब जालिब
- मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलता - नसीर तुराबी
- ये सोच कर के ग़म के ख़रीदार आ गए - अहमद फ़राज़
- दिल की चाहत होगी तो दिलदार मिलेंगे - देवेन्द्र गौतम
- कुछ जिस्म तो कुछ उसमें हुनर ढूढ़ रहे थे - प्रताप सोमवंशी
- रियासत जब भी ढहती है नवासे दुख उठाते हैं - प्रताप सोमवंशी
- हम तो समझते थे हम एक उल्लू है - निज़ाम फतेहपुरी
- इंसाफ जालिमों की हिमायत में जाएगा - राहत इन्दौरी
- जहाँ कहीं भी हो तेरी ख़ुशी ज़रूरी है - ख़ुर्रम ताहिर
- आख़िर वो अपने प्यार का इज़हार कर गए - जोहर राना
- आज इस का मुझे इज़हार तो कर लेने दो - ग़ज़ल जाफ़री
- हाथ हाथों में न दे बात ही करता जाए - इफ़्तिख़ार नसीम
- सारा आलम गोश-बर-आवाज़ है - असरार-उल-हक़ मजाज़
- गुनगुनाती हुई आवाज़ कहाँ से लाऊँ - चरख़ चिन्योटी
- रानाई में डूबी हुई पाई तिरी आवाज़ - मोहम्मद ख़ाँ साजिद
- नज़र उदास जिगर बे-क़रार चुप ख़ामोश - फ़ौज़िया रबाब
- पत्थर हैं सभी लोग करें बात तो किस से - आनिस मुईन
- वो मेरे हाल पे रोया भी मुस्कुराया भी - आनिस मोईन
- बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं - फ़िराक गोरखपुरी
- उस देश की तलाश है जो मेरी जान था - डॉ. हनुमंत नायडू
- निखारती रही यलग़ार-ए-संग क्या करते - मंज़ूर नदीम
- ज़ेहन-ओ-दिल में है जंग या कुछ और - इफ़्तिख़ार राग़िब
- तीन रंग एक रंग - फ़हीम जोज़ी
- कटी पतंग की मानिंद डोलते हो तुम - मुनीर अनवर
- कटी पतंग हूँ मैं और बे-सहारा हूँ - बीना गोइंदी
- कुछ देर सादगी के तसव्वुर से हट के देख - नज़ीर बाक़री
- परिंदा हद्द-ए-नज़र तक जो आसमान में है - ग़नी एजाज़
- फैला है जाल बाम पे ज़ुल्फ़-ए-दराज़ का - हाशिम अज़ीमाबादी
- किसी गिर्दाब की फेंकी पड़ी है - लियाक़त जाफ़री
- न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा - राहत इंदौरी
- ये सर्द रातें भी बन कर अभी धुआँ उड़ जाएँ - राहत इंदौरी
- ज़ुबाँ तो खोल, नज़र तो मिला, जवाब तो दे - राहत इंदौरी
- ज़ालिम हैं हम ज़फाएँ उठाने के बावजूद - देवेश दीक्षित देव
- बेबस यूँ मुस्काएँ कब तक - देवेश दीक्षित देव
- दिल बुरी तरह से धड़कता रहा - राहत इंदौरी
- जोग बिजोग की बातें झूठी, सब जी का बहलाना हो - इब्ने इंशा
- अपने पहलू में जगह उनको खुदा देता है - के के सिंह मयंक
- कहीं का ग़ुस्सा कहीं की घुटन उतारते हैं - शाहिद जमाल
- दरिया-दरिया कुचा-कुचा तू ही तू - शाहिद जमाल
- उफ़ कहां लाई ये बेज़ारी हमें - रेख़्ता पटौलवी
- हल्की फुल्की पतली सी एक दरार से - मारूफ आलम
- वो बचा रहा है गिरा के जो, वो अज़ीज़ है या रक़ीब है - निज़ाम फतेहपुरी
- रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है - राहत इंदौरी
- उम्र भर चलते रहे हम वक़्त की तलवार पर - आज़ाद गुलाटी
- हुस्न-ए-मह गरचे ब-हंगाम-ए-कमाल अच्छा है - मिर्ज़ा ग़ालिब
- जुज़ तिरे कोई भी दिन रात न जाने मेरे - अहमद फ़राज़
- ज़ुल्मों जफ़ा की ख़ातिर ये साल आख़िरी है - राजीव कुमार
- अजीब ढंग हैं अबके बहार आने के - रेख़्ता पटौलवी
- याद आओगे, याद करेंगे, जाने क्या कुछ ठहरी थी - जॉन एलिया
- दिल में इक लहर सी उठी है अभी - नासिर काज़मी
- ग़म है या ख़ुशी है तू - नासिर काज़मी
- हर सफ़र अपना तन्हा रहा, हर कहानी अधूरी रही -देवेश दीक्षित देव
- किसे मैं सुनाऊँ ये ग़म का फ़साना - निज़ाम फतेहपुरी
- न यों फूलों पे सुर्खी बैठती है - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- बड़े-बड़ों की ये हस्ती उतार देती है - डॉ. ज़िया उर रहमान जाफरी
- ये शहर के बासी क्या जानें क्या रूप है - बेकल उत्साही
- नए ज़माने में अब ये कमाल होने लगा - बेकल उत्साही
- जो भी कुछ अच्छा बुरा होना है जल्दी हो जाए - रउफ़ रज़ा
- जितना पाता हूँ गँवा देता हूँ - रउफ़ रज़ा
- हर मौसम में ख़ाली पन की मजबूरी हो जाओगे - रउफ़ रज़ा
- माना वो छुपने वाला हर दिल में छुप जाएगा - अफ़सर मेरठी
- थे निवाले मोतियों के जिन के खाने के लिए - लाला माधव राम जौहर
- बारहा दिल कह रहा है खुदखुशी के वास्ते - अनवर जलालाबादी
- बहुत दिनों से मुझे तेरा इंतिज़ार है आ जा - जमीलुद्दीन आली
- वही न मिलने का ग़म और वही गिला होगा - शीन काफ़ निज़ाम
- किस्मत का लिखा झोल झाल बदल देंगे - मारूफ आलम
- मन बैरागी तन अनूरागी क़दम क़दम दुश्वारी है - निदा फ़ाज़ली
- दर्द के मौसम का क्या होगा असर अंजान पर - शकेब जलाली
- सभी की बात सुनती हो, वही सरकार होती है - देवेंद्र गौतम
- सुनाएँ हाल-ए-दिल कैसे किसी को हम ज़माने में - देवेश दीक्षित
- इश्क़ की गहराइयों में रास्ता मिलता नहीं - मिलन साहिब
- तेरे पैंतरे को, तेरे दंगल को खूब समझते हैं - मारूफ आलम
- हमीं तक रह गया क़िस्सा हमारा - शारिक़ कैफ़ी
- परिंदे लौट के जब घर को जाने लगते हैं - जमुना प्रसाद राही
- ज़रा गिनती में आ जाएँ तो सब को भूल जाते हैं - देवेश दीक्षित
- देखा है ज़िंदगी को कुछ इतना क़रीब से - साहिर लुधियानवी
- ख़िज़ाँ की रुत में गुलाब लहजा बना के रखना -मुबारक़ सिद्दीक़ी
- तंज़ की तेग़ मुझी पर सभी खींचे होंगे - बेकल उत्साही
- इश्क़ की अंजुमन की बात करें - हैदर अली जाफ़री
- ज़िंदगी में ग़म उठाने का मज़ा कुछ और है - देवेश दीक्षित देव
- तूने जो कही थी मन मे वो बात दबी है अबतक - मारूफ आलम
- जब हमें तुम याद आये रात भर - मोहित नेगी मुंतज़िर
- कमाल-ए-इश्क़ है दीवाना हो गया हूँ मैं - असरार-उल-हक़ मजाज़
- असर उस को ज़रा नहीं होता - मीर तक़ी मीर
- न मस्जिदों की बात कर, न बुतकदो की बात कर - एलिजाबेथ कुरियन मोना
- ख़ुशी की मिली ये सज़ा रफ़्ता रफ़्ता - एलिज़ाबेथ कुरियन मोना
- ऐ ग़म-ए-दिल ये माजरा क्या है - एलिज़ाबेथ कुरियन मोना
- साथ में जी लूं या जीते जी मर जाऊं - मोहित नेगी मुंतज़िर
- दामन तेरा मुझ से छूटा मिलने के हालात नहीं - एलिज़ाबेथ कुरियन मोना
- नगर नगर मेले को गए कौन सुनेगा तेरी पुकार - मुस्तफ़ा ज़ैदी
- तेरे चेहरे की तरह और मिरे सीने की तरह - मुस्तफ़ा ज़ैदी
- लापता काफिलों की एक कश्ती को किनारों से - मारूफ आलम
- बात सच्ची कहो पर अधूरी नहीं - निज़ाम फतेहपुरी
- मैं जब भी पुराना मकान देखता हूँ - मोहम्मद मुमताज़ हसन
- खास है वो जो आम है ... तुझको ज्ञान नही - सतलज राहत
- उम्मीदों के पंछी के पर निकलेंगे - प्रताप सोमवंशी
- गुज़रती है जो दिल पर वो कहानी याद रखता हूँ - फ़ाज़िल जमीली
- बद-क़िस्मती को ये भी गवारा न हो सका - शकेब जलाली
- जुबां पे सत्ता का जब पहरा हो जाता है - मारुफ आलम
- उन्हें सवाल ही लगता है मेरा रोना भी - अज़ीज़ क़ैसी
- बेनूरी है अब नजारों पे क्या लिक्खा जाऐगा - मारुफ आलम
- इंसानों के खूंखार चेहरों से डरते हैं अब - मारुफ आलम
- इंसानियत का दुश्मन है वो, इंसानों से जलता है - मारुफ आलम
- क्या बात हुई आपस मे, क्या राज छुपाए हैं तुमने - मारुफ आलम
- चल चल रे मुसाफ़िर चल है मौत यहाँ हर पल - निजाम फतेहपुरी
- रुह कब्ज करो, हथेली पे जान को उतारो - मारुफ आलम
- आजकल उनसे मुलाकातें कहानी हो गईं - बासुदेव अग्रवाल नमन
- ऐ मौत अभी तू वापस जा बीमार की हसरत बाक़ी है - निज़ाम फतेहपुरी
- जिनको समझा नहीं अपने क़ाबिल कभी - निज़ाम फतेहपुरी
- छुपे थे ऐब जो अन्दर, सभी बाहर निकल आये - देवेश दीक्षित देव
- आईनों पर दाग की सिफारिश ना कर - मारुफ आलम
- एक मंजर जो धुँआ होता हुआ - समर प्रदीप
- सदा हम जान से प्यारा ये हिन्दुस्तां समझते हैं - देवेश दीक्षित
- कोई मजबूरियाँ गिनवा रहा है - विरल देसाई
- सारे जहाँ में कोई, हमदम नहीं हमारा - निज़ाम फतेहपुरी
- क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़ - मीर तक़ी मीर
- क्या हक़ीक़त कहूँ कि क्या है इश्क़ - मीर तक़ी मीर
- सोज़िश दिल से मुफ़्त गलते हैं - मीर तक़ी मीर
- तू अगर दिल में एक बार आए - अर्श मलसियानी
- खिंच के महबूब के दामन की तरफ़ - अर्श मलसियानी
- न हारा है इश्क़ और न दुनिया थकी है - ख़ुमार बाराबंकवी
- रक़ीबों का मुझ से गिला हो रहा है - बेखुद बदायुनी
- वो रोता भी है तो कुछ इस तरीक़े से - विरल देसाई
- ये ख़बर भी छापिएगा आज के अख़बार में - डॉ. उर्मिलेश
- हवा के दोष पे किस गुल-बदन की ख़ुशबू है - सतीश शुक्ला ऱक़ीब
- औसान पर यूँ उस ने क़ाबू किया हुआ है - रहमान मुसव्विर
- अब दिल की ये शक्ल हो गई है - रईस अमरोहवी
- मुझ पर इनायतें हैं कई साहिबान की - अशोक मिज़ाज
- दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं - जिगर मुरादाबादी
- दिल-ओ-दिमाग़ को रो लूँगा, आह कर लूँगा - अख़्तर शीरानी
- ग़म्ज़ा नहीं होता कि इशारा नहीं होता - अकबर इलाहाबादी
- तुमको ताब क्यों नही है क्यों बेताब हो तुम - मारुफ आलम
- मुमकिन नहीं कि बज़्म-ए-तरब फिर सजा सकूँ - जगन्नाथ आज़ाद
- कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूँगा उसे - राहत इंदौरी
- मई गुजर के जल्दी से जून आ जाए - अशोक मिजाज़
- कुछ दिन तो बसो मिरी आँखों में - उबैदुल्लाह अलीम
- मत कहो, आकाश में कुहरा घना है - दुष्यंत कुमार
- कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिए - दुष्यंत कुमार
- कुछ ऐसे ही तुम्हारे बिन ये दिल मेरा तरसता है - वीरेंद्र खरे अकेला
- हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे - फैज़ अहमद फैज़
- मैं सच कहूँ पस-ए-दीवार झूट बोलते हैं - इमरान आमी
- हमारी एक दिन हमको ख़ताएँ मार डालेंगी - देवेश दीक्षित देव
- दाग़-ए-ग़म दिल से किसी तरह मिटाया न गया - मुईन अहसन जज़्बी
- हम दहर के इस वीराने में जो कुछ भी नज़ारा करते हैं - मुईन अहसन जज़्बी
- फुर्सत-ए-कार फ़क़त चार घड़ी है यारो - जाँ निसार अख्तर
- डगमगाता, लड़खड़ाता आ रहा है - देवेन्द्र गौतम
- जो छू लिया भी तो बाज़ू नहीं छुपाउँगा - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं - राहत इंदौरी
- मेरे अश्कों ने कई आँखों में जल-थल कर दिया - राहत इंदौरी
- रक़म इतनी इकट्ठी हो गई थी - ख़ालिद महबूब
- वो लड़की घर पे कैसे आ गई है - ज़िया उर रहमान जाफ़री
- कोई नकाब लगाने की क्या जरूरत है - देवेन्द्र गौतम
- हँसी आने पे चेहरे की उदासी छूट जाती है - राम प्रकाश बेखुद
- आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो - राहत इंदौरी
- वो कैसे लोग होते हैं जिन्हें हम दोस्त कहते हैं - इरफ़ान अहमद मीर
- आदमी आदमी से मिलता है - जिगर मुरादाबादी
- धोखा चमक दमक से उजाले का खा गए - निज़ाम फतेहपुरी
- पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा - तहज़ीब हाफ़ी
- ये है तो सब के लिए हो ये ज़िद हमारी है - वसीम बरेलवी
- खाते हैं हम हचकोले इस पागल संसार के बीच - सरस्वती सरन कैफ़
- जो जिंदगी मिली, वो किताबो में लग गई - शुजा खावर
- दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना - कुंवर बेचैन
- ख़ुद को हर रोज़ इम्तिहान में रख - उमैर मंज़र
- तितली से दोस्ती न गुलाबों का शौक़ है - चराग़ शर्मा
- बहुत मिला न मिला ज़िन्दगी से ग़म क्या है - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए - मुनव्वर राना
- मैं किसी शख़्स से बेज़ार नहीं हो सकता - अहमद नदीम क़ासमी
- वो मेरी शक्ल का दिखता नहीं था - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- पराया कौन है और कौन अपना सब भुला देंगे - अनवर जलालपुरी
- बताऊँ कैसे कि सच बोलना ज़रूरी है - नोमान शौक़
- एक खुशबू के महल में बंद हूँ - कुंवर बेचैन
- जो लोग सलीबों की तरफ आये हुए है - चन्द्र मुरादाबादी
- फलक पर चांदनी होगी, ज़मीं पर रौशनी होगी - गणेश गायकवाड आगाज़
- ख़ून के दाग़ आस्तीनों पर - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- मेरी मुट्ठी से ये बालू सरक जाने को कहती हैं - मुनव्वर राना
- मैं ये किस के नाम लिखूँ जो अलम गुज़र रहे हैं - उबैदुल्लाह अलीम
- हम लोग अपनी राह की दीवार हो गए - अशोक मिज़ाज
- भीगती आँखों के मंज़र नहीं देखे जाते - मेराज फैजाबादी
- घर लौट के रोएँगे माँ बाप अकेले में - क़ैसर-उल जाफ़री
- अश्क पीने के लिए ख़ाक उड़ाने के लिए - शकील जमाली
- धड़कते साँस लेते रुकते चलते मैंने देखा है - आलोक श्रीवास्तव
- क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता - वसीम बरेलवी
- मोहब्बतों की लगा दी है मैंने लत उसको - शाहिद अंजुम
- उड़ना मुझे सिखा दे पंछी - सरस्वती कुमार दीपक
- डूबने वाले को तिनके का सहारा है बहुत - एलिज़ाबेथ कुरियन मोना
- सिसकती रुत को महकता गुलाब कर दूँगा - राहत इंदौरी
- सामना घनघोर है भाई - नवीन माथुर पंचोली
- मेरे घर का हर कोना जानता है - डॉ. ज़िया उर रहमान जाफरी
- जब मैं दुनिया के लिए बेच के घर आया था - राहत इंदौरी
- ये जितने परिंदे उड़ानों में है - नूर इंदौरी
- बादलों की तरह बारिश की कहानी में रहो - शकील आज़मी
- ज़ुल्म किस-किस गरीब पर न किया - दाग़ देहलवी
- खुली फ़िज़ाओं में छाई ये गर्द क्यों है - खुदेजा खान
- मुझको आप अपना आप दीजियेगा - जॉन एलिया
- दिल ही दिल में घुट के रह जाऊँ ये मेरी ख़ू नहीं - ख़ावर रिज़वी
- लम्हा तो एक सदी को जनम दे के मर गया - कृष्ण बिहारी नूर
- अंगूर की ये बेटी कितनी है ग़म की मारी - निज़ाम फतेहपुरी
- बला हो जितनी बड़ी फिर भी टल तो सकती है - बासुदेव अग्रवाल नमन
- आँख ग़ायब हैं कान गायब हैं - कुँअर बेचैन
- तेरे बंदे हम है खुदा जानता है - मीर तक़ी मीर
- अब दिल है मक़ाम बेकसी का - दाग़ देहलवी
- कश्ती पर ऐसा भार न हो - समर प्रदीप
- ईद मनाऊँ कैसे - सलाहुद्दीन अय्यूब
- फिर निगाहों ने तेरी दिल में कही चुटकी ली - शमशेर बहादुर सिंह
- दिल तेरी चाह में ये सोच के रोया भी कहाँ - शाहिद कबीर
- लेती नहीं दवाई अम्मा - प्रो.योगेश छिब्बर
- समंदर की तहों तक तो वो जाना चाहता है - नसीम अज़ीज़ी
- न पैमाना वो जो फिर से भरा होने से पहले था - बासुदेव अग्रवाल
- पत्ती को फूल, फूल को गजरा नहीं किया - अहमद कमाल परवाज़ी
- काम आ सकीं न अपनी वफाये, तो क्या करे ? - अख़्तर शीरानी
- मौत तो आनी है तो फिर मौत का क्यों डर रखूँ - कुंवर बेचैन
- जनाज़े जा रहे हैं डोलियों से - डॉ. ज़िया उर रहमान जाफरी
- मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ - इरफ़ान सिद्दीकी
- एक महल था राजा का इक राज-कुमारी होती थी - जानाँ मलिक
- रघुपति राघव राजा राम - अशोक लाल
- नासिर क्या कहता फिरता है कुछ न सुनो तो बेहतर है नासिर काज़मी
- शायर बहुत हुए हैं जो अख़बार में नहीं - निज़ाम फतेहपुरी
- देर में सो कर उठने वाले - सुहैल आज़ाद
- खामोश समुन्दर ठहरी हवा, तुफाँ की निशानी होती है - के के सिंह मयंक
- मैं शायर हूँ दिल का जलाया हुआ - निज़ाम फतेहपुरी
- अर्ज़ी दी तो निकली धूप - सतपाल ख्याल
- बुजुर्गो से निभाना भूल बैठे - अजय अज्ञात
- पेड़ कटेंगे जंगल कम हो जाएंगे - सतलज राहत
- बैर दुनिया से क़बीले से लड़ाई लेते - राहत इंदौरी
- अश्कों में डूब कर भी क्या मैंने पा लिया था - रचना निर्मल
- होली आयी हसीं नग़मात का मौसम आया - सुहैब अहमद फ़ारूक़ी
- लंबी लंबी पलकों वाले, तुझ पर कैसा नाम सजेगा - मीना कुमारी नाज़
- इश्क़ की इक रंगीन सदा पर बरसे रंग - स्वप्निल तिवारी आतिश
- कमीने, पाजी, हरामी, अहमक, टपोरी सारे, तेरी गली में - नीरज गोस्वामी
- बहुत काम बाकी है टाला पड़ा है - शमशेर बहादुर सिंह
- आदमी में आदमियत का असर पैदा करे - अशोक अंजुम
- तीर नज़रों का उनका चलाना हुआ - बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
- मौज-ए-गुल, मौज-ए-सबा, मौज-ए-सहर लगती है - जाँ निसार अख्तर
- खेलन को होली आज तेरे द्वार आया हूँ - निज़ाम फतेहपुरी
- मकानों के नगर में हम अगर कुछ घर बना लेते - नविन सी चतुर्वेदी
- अपने जज़्बात की दुनिया में नुमाइश नहीं की - रचना निर्मल
- ग़म मिटाने की दवा सुनते हैं मयख़ाने में है - निज़ाम फतेहपुरी
- सबने सोचा था, ये अंजाम से पहले-पहले - नूह आलम
- जो ज़िंदगी बची है उसे मत गंवाइये - जॉन एलिया
- आँखों में अश्कों के समंदर रो रहे हैं! - मोहम्मद मुमताज़ हसन
- शिकवा गिला मिटाने का त्योहार आ गया - निज़ाम फतेहपुरी
- बात तेरी हुस्न की नही तुझसे प्यार किया है मैंने - सरफ़राज़ बेतीयावी
- मुझको उसकी खबर नहीं मालूम - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- तमाम फतवे कहाँ मुफ्तियों के होते है - तुफ़ैल चतुर्वेदी
- साधुओ से, संतो से नाक रगड़वाती है - राम मेश्राम
- 'आये भी वो गए भी वो' - गीत है यह, गिला नहीं - शमशेर बहादुर सिंह
- हर एक हाथ में खंज़र दिखाई देता है - चन्द्र मुरादाबादी
- अब खैरियत न पूछिए हिन्दोस्तान की - आज़ाद कानपुरी
- पांच तारा होटलों से घर मिले - ज़हीर कुरैशी
- हादसों के ज़द में क्या मुस्कुराना छोड़ दें - मोहम्मद मुमताज़ हसन
- जिनके ज़ुल्मों को हम सह गए - मोहित नेगी मुंतज़िर
- वतन का खाकर जवाँ हुए हैं, वतन की खातिर कटेगी गरदन - निज़ाम फतेहपुरी
- मिरी नज़र में कोई कम नज़र नहीं - समर प्रदीप
- कुछ होश गंवाने के चर्चे, कुछ होश में फिर आ जाने के - फ़ानी बदायुनी
- मुझे हिस्सा नहीं बनना कहानी का - समर प्रदीप
- क़िस्से बनेंगे अब के बरस भी कमाल के - ख़लील धनतेजवी
- कुछ वक्त और ग़ुज़र गया ज़िंदगी का अपना - वी के. हुबाब
- ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी - अदम गोंडवी
- उठ समाधि से ध्यान की उठ चल - जॉन एलिया
- अपनी हर बात से मुकरता है - रचना निर्मल
- ज़िंदगी इक सफ़र है नहीं और कुछ - निज़ाम फतेहपुरी
- तन पे कपडा सर पे छत हो - प्रेम सागर
- सारा क़िस्सा तमाम कर लीजे - नाज़िम नक़वी
- कोई शोखी तो देखे जब जरा रोना थमा मेरा - अल्लामा इक़बाल
- तुम्हारी याद से जब हम गुजरने लगते है - जॉन एलिया
- गाँव में क्या है शहर से बढ़ कर - कृष्ण बिहारी नूर
- क़ैस जंगल में अकेला है मुझे जाने दो - मियाँ दाद ख़ां सय्याह
- याद उस को न कर बात बढ़ जायेगी - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- इस तरफ भी तीर है - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- पर नोच परिंदों के परवाज़ की दावत है - अज़ीज़ आजाद
- तेरी यादो से जब दहकता है - इक़बाल बशर
- भला कब मैं निशाने पर नहीं आया - आतिश इंदौरी
- तड़प कर दिल, उन्हें तड़पा रहा है - जिगर मुरादाबादी
- जी भर के मुफ़लिसों को रुलाया है आपने - बलजीत सिंह बेनाम
- ऐ मेरे शहर, यहां मुझे घाटा बहुत है - आला चौहान" मुसाफिर"
- मेरे अपने मुझे मिट्टी में मिलाने आए - राहत इंदौरी
- गीता सी या कुरआन सी उम्दा किताब बन - अजय अज्ञात
- मुस्कुराओ कि ईद हो जाए - हनीफ दानिश इंदौरी
- ये खेल, भूल भुलैया में हमने खेला है - मज़हर इमाम
- कैसे कैसे उजले चेहरे, कैसे कैसे प्यारे लोग - नौबहार साबिर
- छोटे से इस पेट की खातिर कितनी मारामारी है - रमा सिंह
- मन में जोत जगाने वाले त्याग गए ये डेरा जोगी -बिमल कृष्ण अश्क
- हमारे रब्ते-बाहम की कहाँ तक बात जा पहुची - जगन्नाथ आज़ाद
- है ज़िंदगी को कैसी जलन हाय इन दिनों - अचल दीप दुबे
- अन्दर अन्दर बिखर रहे हैं लोग - राज़िक़ अंसारी
- दिल का है रोना, खेल नहीं, मुंह को कलेजा आने दो - असर लखनवी
- फिर शहर में आये है सितमगर, तो हमें क्या - मज़हर इमाम
- मिट गए दाग़ दाग़-ए-इश्क तनहा रह गया - हसन नईम
- आपके कहने से सूरज ढल गया - पारसनाथ बुलचंदानी
- दो दिन भी किसी से वह बराबर नहीं मिलता - दाग़ देहलवी
- दूर जाकर पास आने की आदत है तेरी - मासूम खिज़राबादी
- खुद तो गमो के ही रहे है आसमां पहाड़ - द्विजेन्द्र द्विज
- कब तक सहेंगे ज़ुल्म रफ़ीको रकीब के - अदम गोंडवी
- इश्क में क्या मजा रह गया - कृष्णकुमार चमन
- आप में गुम है, मगर सबकी खबर रखते है - जमील मलिक
- जीना भी इक मुश्किल फन है सबके बस की बात नहीं -राही मासूम रजा
- इश्क में जां से गुजरते है गुजरने वाले - अमीर मिनाई
- कौन है धुप-सा, छाव-सा कौन है - हस्तीमल हस्ती
- वो जा रहा है अँधेरे में हल उठाए हुए - अम्न लखनवी
- तसव्वुर में चेहरा निहारा बहुत है - बलजीत सिंह बेनाम
- मन मूरख मिट्टी का माधो, हर सांचे में ढल जाता है - मीराजी
- यह राज है मेरी जिंदगी का - असगर गोंडवी
- पिया बाज प्याला पिया जाए ना - कुली क़ुतुब शाह
- इस नए माहौल में जो भी जिया बीमार है - कुंवर बेचैन
- ये जब तक उनमें बीमारी रहेगी - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- हद-ए-इनकार से निकल आया - शाहरुख़ अबीर
- छूना नहीं है चाँद को तकने दें दूर से - वीरेन्द्र खरे अकेला
- बहुत से मोड़ हो जिसमें कहानी अच्छी लगती है - अशोक मिजाज़
- तुझ से बिछड़ कर क्या हूँ मैं अब बाहर आ कर देख - मुनीर नियाजी
- आदमी के लिए है क्या औरत - बलजीत सिंह बेनाम
- दोस्तो पर्व है होली का चलो हो कुछ यूँ - आतिश इंदौरी
- हर दीपक के ऊपर-नीचे घने अँधेरे बैठे है - महेंद्र मटियानी
- अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको - क़तील शिफ़ाई
- लगाए बहुत साल याँ आते आते - बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
- उसे पाने को बेघर हो गए हैं - बलजीत सिंह बेनाम
- नगमो की जगह दिल से अब आह निकलती है - क़मर मुरादाबादी
- ज़मीं खिलाफ, अभी आसमान ज़ालिम है - शम्स रम्ज़ी
- हमारे अपने सारे भाइयों में - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- इस जहां से दूर हूँ मैं - बलजीत सिंह बेनाम
- इश्क किससे करूँ, बैराग कहाँ से लाऊं - शकील आज़मी
- नए साल कुछ बेहतरीन शेर
- खड़े है मुझको खरीदार देखने के लिए - राहत इंदौरी
- आप को देख कर देखता रह गया - वसीम बरेलवी
- अपनी लाश का बोझ उठाऊँ, नामुमकिन - अमन चांदपुरी
- नाम से गाँधी के चिढ़ बैर आज़ादी से है - ज़फ़र कमाली
- किस कदर नादानियां दिन रात कर जाते हैं लोग - रुखसाना सिद्दीकी
- नसीबों पर नहीं चलते, नज़ीरों पर नहीं चलते - कमलेश भट्ट कमल
- तूफ़ां तो इस शहर में अक्सर आता है - डॉ. राहत इंदौरी
- जश्न-ए-आज़ादी पर कुछ बेहतरीन शेर
- पत्थरों का नगर है बचा आईना - क़मर एजाज़
- उसको पाने का जतन भी देखिए - बलजीत सिंह बेनाम
- मुसलसल बेकली दिल को रही है - नासिर काज़मी
- बेसबब कोई गिरफ्तार भी हो सकता है - नूर मुनीरी
- इस दास्ताँ को फिर से नया कोई मोड़ दे - वीरेन्द्र खरे अकेला
- लाजिम कहाँ कि सारा जहाँ खुश लिबास हो - वजीर आगा
- आपकी याद आती रही रात भर - पुरूषोत्तम अब्बी "आज़र"
- दुनिया को बताते रहे मझधार पिताजी... - सचिन शाश्वत
- कभी आँसू कभी ख़ुशी बेची - अबु तालिब
- कसम उस मौत की, उठती जवानी में जो आती है - जोश मलीहाबादी
- तू जब राह से भटकेगा, मै बोलूँगा - आलोक श्रीवास्तव
- दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई - गुलज़ार
- मैं नहीं जा पाऊँगा यारो सू-ए-गुलज़ार अभी - हबीब तनवीर
- मंजिले क्या है रास्ता क्या है - आलोक श्रीवास्तव
- ना मै सोना, ना मै मोती, ना मै कोहेनूर हूँ - अबरार दानिश
- जिन के आँगन में अमीरी का शजर लगता है - अंजुम रहबर
- किनारे को भी हमसे किनारा चाहिए - चिन्मय शर्मा
- मरने के आसार दिखाई देते है - सचिन शाश्वत
- मुसाफिर हूँ इक अनजानी डगर का - कृष्ण कुमार नाज़
- मेरा किरदार कब से जंच रहा है - राज़िक़ अंसारी
- लूट मची है चारों ओर... सारे चोर - राहत इंदौरी
- माना किसी ज़ालिम की हिमायत नहीं करते - आसिम वास्ती
- अब के रुत बदली तो ख़ुशबू का सफ़र देखेगा कौन - अहमद फ़राज़
- बस गया हो ज़हन में जैसे कोई डर आजकल - कृष्ण कुमार नाज़
- दिल जो दीवाना नहीं आखिर को दीवाना भी था - जॉन एलिया
- डॉ राहत इंदौरी के 22 बेहतरीन शेर
- यकुम जनवरी है नया साल है - अमीर कज़लबाश
- तू हर परिंदे को छत पर उतार लेता है - मुनव्वर राना
- जुबां की, जात की, न मज़हब की बात करिये - अरमान खान
- होने लगी है जिस्म में जुंबिश तो देखिये - दुष्यंत कुमार
- उँगलियाँ उठेंगी दुनिया में तेरी औलाद पर - जोश मलीहाबादी
- जब भी दुश्मन बढ़ा ठिकानों तक - डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफ़री
- मै समझता था कि अब रो न सकूंगा ऐ जोश - जोश मलीहाबादी
- कटवा रहे है आजकल वो उस जुबान को - सुरेन्द्र चतुर्वेदी
- शराफत हम से कहती है, शराफत से जिया जाए - अशोक मिजाज़
- रोज़ा रखो या न रखो माहे- रमज़ान में - डा: संजय दानी "कंसल"
- मेरा वजूद भी क्या है तुम्हे बताऊंगा - अज़ीज़ आज़ाद
- जिस सदी में रखना हो उस सदी में रख देना - शिव शरण बंधु
- सामने कारनामे जो आने लगे - अर्पित शर्मा अर्पित
- बेसबब रूठ के जाने के लिए आए थे - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- घर की क़िस्मत जगी घर में आए सजन - नजीर बनारसी
- जहन में वो तो ख्वाब जैसा है - अर्पित शर्मा अर्पित
- उनके चेहरे से जो मुस्कान चली जाती है - मिलन 'साहिब'
- उसको हैरत में डालना है मुझे - अर्पित शर्मा अर्पित
- दोस्तो बारगह-ए-क़त्ल सजाते जाओ - मोहसिन भोपाली
- उठते ही घर ठीक करेगी - डॉ. जियाउर रहमान जाफ़री
- ख़ुद अपने साथ सफ़र में रहे तो अच्छा है - अमीर क़ज़लबाश
- ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दोहरा हुआ होगा - दुष्यंत कुमार
- दोस्तो नजरे फसादात नही होने की - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- एक करतब दूसरे करतब से भारी देखकर - अतुल कन्नौजवी
- तुम्हारे रास्तो से दूर रहना - सतलज राहत
- वफ़ा और प्यार के जज़्बात वाले - राज़िक़ अंसारी
- कभी जमूद कभी सिर्फ़ इंतिशार सा है - कैफी आज़मी
- बुझा है दिल भरी महफ़िल में रौशनी देकर - नज़ीर बनारसी
- आइए तीर चलाने के लिये - परवेज़ मुजफ्फर
- हमें इसकी ज़रूरत भी नहीं है - डॉ जियाउर रहमान जाफरी
- करनी है दिल की बात ग़ज़ल की ज़बान में - परवेज़ मुजफ्फर
- लोग करने लगे जवाब तलब - राज़िक़ अंसारी
- छाई हैं हर इक सम्त जो होली की बहारें - साग़र ख़य्यामी
- नहीं मुमकिन मिलन अब दोस्तो से - महावीर उत्तरांचली
- माँ के घर जब सभी बेटियाँ आ गईं - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- ग़रीब-ख़ाना हमेशा से जेल-ख़ाना है - सय्यद ज़मीर जाफरी
- दिल पर मेरे निशान हैं ये सब नये नये - राज़िक़ अंसारी
- खूब पहचान लो असरार हूँ मै - मजाज़ लखनवी
- इक दिन ऐसा भी आएगा होंठ-होंठ पैमाने होंगे - बेकल उत्साही
- बतलाते हैं सारे मंज़र ख़ुश हैं सब - राज़िक़ अंसारी
- 'आ'ली' जी अब आप चलो तुम अपने बोझ उठाए - जमीलुद्दीन आली
- मुझको ही ऐसा लगता है या सचमुच ही हो जाता है - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- मैं इसके नाज़ उठाता हूँ सो यह ऐसा नहीं करती - मुनव्वर राना
- सितारों से आगे जहाँ और भी हैं - अल्लामा इक़बाल
- शब को दलिया दला करे कोई - सय्यद ज़मीर जाफरी
- दिल माँगे है मौसम फिर उम्मीदों का - समीना राजा
- सूर्य से भी पार पाना चाहता है - विरेन्द्र खरे अकेला
- सारे मौसम बदल गए शायद - अलीना इतरत
- टी.वी. से अखबार तक गर सेक्स की बौछार हो - अदम गोंडवी
- मत पूछो कितना गमगीं हूँ गंगा जी और जमुना जी - जाँन एलिया
- तुम अपनी खुदनुमाई की शौहरत के चाव में - रईस फिगार
- मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई - फ़ना बुलंद शहरी
- हद से ज्यादा भी प्यार मत करना - कमर एजाज़
- सोच रहा है इतना क्यूँ ऐ दस्त-ए-बे-ताख़ीर निकाल - शाहीद कमाल
- समझता हूँ मैं सब कुछ सिर्फ़ समझाना नहीं आता - अख्तर अंसारी
- अब तो ये भी नहीं रहा एहसास - जिगर मुरादाबादी
- चलो चल कर वहीं पर बैठते हैं - राज़िक़ अंसारी
- शेरों को आज़ादी है आज़ादी के पाबंद रहें - हफीज़ जालंधरी
- उसको पढ़ने को जी मचलता है - आदिल लखनवी
- तेरा सब कुछ मेरे अंदर बम भोले - आलोक श्रीवास्तव
- मेरी वफायें याद करोगे, रोओगे फरयाद करोगे ? - मुहम्मद दीन तासीर
- एक साग़र भी इनायत न हुआ याद रहे - ब्रज नारायण चकबस्त
- बिगड़ी हुई क़िस्मत को बदलते नहीं देखा - अर्श मलसियानी
- भुलाता लाख हूँ लेकिन बराबर याद आते हैं - हसरत मोहानी
- लफ़्ज़ तोड़े मरोड़े ग़ज़ल हो गई - अल्हड़ बीकानेरी
- तुम नद्दी पर जा कर देखो चाँद - अफ़सर मेरठी
- मेरी बीवी क़ब्र में लेटी है जिस हंगाम से - सय्यद ज़मीर जाफ़री
- माँ के रहने पर ही पत्थर पर असर होता है - आतिश इंदौरी
- अम्मा - आलोक श्रीवास्तव
- इन्हीं के हाथों सड़क पे हम तुम पड़े हुए हैं - इरतज़ा निशात
- आज के दौर में ऐसा भी तो होता है बहुत - साजिद हाश्मी
- जब से गई है माँ मेरी रोया नहीं - कवि कुलवंत सिंह
- साफ़ ज़ाहिर है निगाहों से कि हम मरते हैं - अख्तर अंसारी
- बोले बग़ैर हिज्र का क़िस्सा सुना गया - वीरेन्द्र खरे अकेला
- अदावत दिल में रखते हैं मगर यारी दिखाते हैं - विरेन्द्र खरे अकेला
- आओ मिलकर गले इस नये साल में - अभिषेक कुमार अम्बर
- जब कुछ नहीं बना तो हमने इतना कर दिया - रमेश तैलंग
- आया तेरा ख़याल कि आये हसीन ख़्वाब - विरेन्द्र खरे अकेला
- कर चुके हम फ़ैसला अब कुछ भी हो - राज़िक़ अंसारी
- सामने हों गर आँखे तेरी तो समन्दर - सबाह उर रहमान आतिफ
- ना जाने क्यूं लड़कियों के अपने घर नहीं होते_शकुंतला सरुपरिया
- महकते गुलशनों में तितलियाँ आती ही आती हैं - वीरेन्द्र खरे अकेला
- करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना कि होली है - नीरज गोस्वामी
- मुझे ग़ुस्सा दिखाया जा रहा है - शेरी भोपाली
- नई आस्तीन - शकील आज़मी
- ग़ज़ब है जुस्तजू-ए-दिल का ये अंजाम हो जाए - शेरी भोपाली
- दिल की इक हर्फ़ ओ हिकायात है ये भी न सही - शोला अलीगढ़ी
- ज़िन्दगी की उड़ान से हट जाएं - राज़िक़ अंसारी
- खुदा को ही अब साँचों मे उतरना पडेगा - अवनींद्र बिस्मिल
- देंगे हम जान इस तिरंगे पर - अभिषेक कुमार अम्बर
- हुआ सवेरा हमें आफ़ताब मिल ही गया - वीरेन्द्र खरे अकेला
- वक़्त यूँ ही न गँवाओ कि नया साल है आज - कुलदीप सलिल
- दिल में रहने की फिर उम्मीद लगायी जाए - हिलाल बदायुनी
- आख़िरी टीस आज़माने को - अदा जाफ़री
- एक ख्वाहिश है बस दीवाने की - अभिषेक कुमार अम्बर
- वो तो मुद्दत से जानता है मुझे - बेकल उत्साही
- अब काम दुआओं के सहारे नहीं चलते - शकील जमाली
- दश्त-ए-वहशत का सफ़र लगता है - इम्तियाज़ सागर
- तीरो-तलवार से नहीं होता - महावीर उत्तरांचली
- ख्वाब आँखों में जितने पाले थे - अभिषेक कुमार अम्बर
- सफ़र से लौट जाना चाहता है - शकील जमाली
- श्रीराम बोलना भी सियासत में आ गया - गोपाल कृष्ण सक्सेना पंकज
- नई हुई फिर रस्म पुरानी दीवाली के दीप जले - फ़िराक गोरखपुरी
- उसकी खुशबू मेरी गज़लों में सिमट आई है - इकबाल अशहर
- तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम - साहिर लुधियानवी
- लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में - बहादुर शाह ज़फर
- सीखी नई ज़बान, वतन से जुदा हुए - सलमान अख्तर
- आँख को जाम लिखो ज़ुल्फ़ को बरसात लिखो - निदा फ़ाज़ली
- न हो शोहरत तो गुमनामी का भी खतरा नहीं होता - अहमद वसी
- दिल नहीं मिलता सरो-बाज़ार मिल गया - अज़हर साबरी
- कब आती है कब जाती है सारा हिसाब रखते हैं लोग - मधुसूदन चौबे
- इताब-ओ-क़हर का हर इक निशान बोलेगा - ज़की तारिक़
- खुदगर्ज़ दुनिया में आखिर क्या करें - अनवर जलालपुरी
- थाम दामन उन्हें हम बिठाते रहे - महेश चन्द्र गुप्त ख़लिश
- किसने ऐसा किया इशारा था - डॉ. ज़िया उर रहमान जाफ़री
- पहला सा वो ज़मीं का न वो आसमां का रंग - मुरलीधर शाद
- वो जो मुह फेर कर गुजर जाए - मजरूह सुल्तानपुरी
- जो बात है हद से बढ़ गयी है - फ़िराक गोरखपुरी
- पहले सौ बार इधर और उधर देखा है - मजरूह सुल्तानपुरी
- न मै कंघी बनाता हूँ, न मै चोटी बनाता हूँ - मुनव्वर राना
- उदासियो ने मेरी आत्मा को घेरा है - मीना कुमारी नाज़
- खुश्क मौसम रूत सुहानी ले गया - चाँद शेरी
- मुझसे मत कर यार कुछ गुफ्तार, मै रोज़े से हूँ - ज़मीर जाफ़री
- गुनाहगार हूँ उसका जिसपे हरकत उबाल रखा है - अज़हर साबरी
- आसमाँ मिल न सका, धरती पे आया न गया - इमरान बदायुनी
- नाशाद हूँ पहले ही अब दिल न दुखाओ तुम - महेश चन्द्र गुप्त ख़लिश
- घर की बुनियादें, दीवारें बामो-दर थे बाबूजी - आलोक श्रीवास्तव
- होंठ सींकर जख्म मेरे अधखुले से रह गये - कमलेश संजीदा
- इश्क़ का रोग भला कैसे पलेगा मुझसे - प्रखर मालवीय कान्हा
- काबा की बात कर न शिवाले की बात कर - दिनेश पाण्डेय 'दिनकर'
- तेरे बारे में जब सोचा नहीं था - मेराज फैजाबादी
- एक टूटी हुई ज़ंजीर की फ़रियाद हैं हम - मेराज फैजाबादी
- इस दर्ज़ा हुआ ख़ुश के डरा दिल से बहुत मैं - बाक़र मेहंदी
- अपने मरकज़ से अगर दूर निकल जाओगे - इक़बाल अज़ीम
- यही वफ़ा का सिला है तो कोई बात नहीं - राज़ इलाहाबादी
- इंसानियत तो एक है मजहब अनेक है - मुनिकेश सोनी
- जब मेरे घर के पास कही भी नगर न था - कुंवर बेचैन
- ज़िन्दगी जब तलक तमाम न हो - राज़िक़ अंसारी
- दर्द-ए-दिल हमको बताये तो सही - दरवेश भारती
- सुनाओ कोई कहानी कि रात कट जाए - ज़ैदी जाफ़र रज़ा
- सरापा जिंदगी इक हादसा है - शैदा बघौनवी
- हमसे दिलचस्प कभी सच्चे नहीं होते है - जावेद अख़्तर
- दूसरा बनवास - कैफ़ी आज़मी
- बदन चुराते हुए रूह में समाया कर- साक़ी फ़ारुक़ी
- कठिन है राह गुज़र, थोडी देर साथ चलो - अहमद फ़राज़
- किससे बिछड़ी कौन मिला था भूल गई - फ़ातिमा हसन
- तमन्नाओं की पामाली रहेगी - असलम इलाहाबादी
- दिल है आईना-ए-हैरत से दो-चार आज की रात - आबिद हुसैन आबिद
- उसको कितना गुमान है यारो - डॉ. रौनक रशीद खान
- आग बुझने लगी है दरिया पार - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- आशना हो तो आशना समझे - बहादुर शाह ज़फर
- शहरे वफ़ा का आज ये कैसा रिवाज है - चाँद शेरी
- इक याद की मौजूदगी सह भी नहीं सकते - साक़ी फारुकी
- सुब्ह आँख खुलती है एक दिन निकलता है - हसन आबिदी
- तादाद में हिन्दू न मुसलमान लिखे जाएं - राज़िक़ अंसारी
- गुज़र गए हैं जो मौसम कभी न आएँगे - आशुफ्ता चंगेजी
- गुम जो यादों की डायरी हो जाए - राज़िक़ अंसारी
- जो हो सकता है इस से वो किसी से हो नहीं सकता - दाग़ देहलवी
- सरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जाँ कहते हैं - मुनव्वर राना
- दूर से आये थे साकी सुनके मयखाने को हम - नज़ीर अकबराबादी
- जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती - कविता रावत
- मक़तल छोड़ के घर जाएं नामुमकिन है - राज़िक़ अंसारी
- गुस्सा बेगाना-वार होना था - मोमिन ख़ाँ मोमिन
- इंसानियत का कत्ल सरेआम हो रहा है - गुरप्रीत काफिऱ
- रंज की जब गुफ्तगू होने लगी - दाग़ देहलवी
- उसका अंदाज है अभी तक लड़कपन वाला - कैफ़ भोपाली
- गरीब-ए-शहर का सर है के शहरयार का है - अहमद कमाल 'परवाज़ी'
- बुजुर्गो की बाते बेमानी नहीं है - रौनक रशीद खान
- एक जुग बाद शबे-गम की सहर देखी है - गोपाल दास नीरज
- मेरा वो आशना था बहुत - चाँद शेरी
- है ग़लत गर गुमान में कुछ है - ख्वाजा मीर दर्द
- शाम का वक्त है शाख़ों को हिलाता क्यूँ है? - कृष्ण कुमार नाज़
- क्या हुआ जो बात करना हमको आया ही नहीं - हबीब कैफी
- दाम फ़ैलाये हुए हिर्सो-हवा हैं कितने - रौशन नगीनवी
- झूठ कैसे हलक से उतरे निवाले की तरह - मुनव्वर राना
- चांदनी रात में कुछ भीगे ख़्यालों की तरह - फ़िरदौस ख़ान
- बेचैन बहुत फिरना घबराये हुए रहना - मुनीर नियाजी
- सितम देखो कि जो खोटा नहीं है - प्रखर मालवीय कान्हा
- सोचते हैं तो कर गुजरते हैं - परवीन फ़ना सैयद
- सख्त हालातों में हम इंसान हो गए - नीरज अहूजा
- वतन की आग बुझाओ - अल्लामा इक़बाल
- अन्याय, शोषण, भेदभाव को सहना सीख लिया है - मुनिकेश सोनी
- अपने ख़्वाबों में तुझे जिसने भी देखा होगा - अब्बास अली दाना
- वो कुछ गहरी सोच में ऐसे डूब गया है - आनिस मुईन
- कैसे-कैसे लोग हमारे जी को जलाने आ जाते हैं - मुनीर नियाजी
- न ग़ुबार में न गुलाब में मुझे देखना - अदा जाफ़री
- तेरी शतरंज पर क्या-क्या नहीं था - हस्तीमल हस्ती
- हर बार हुआ है जो, वही तो नहीं होगा - आलोक श्रीवास्तव
- तेरी तरफ से हमला होगा ऐसा हमने कब सोचा था - हसीब सोज़
- उसने बिगड के मुझसे कहा बात-बात में - परवेज वारिस
- अच्छी तरह ज़रा मुझे पहचान ज़िंदगी - हफीज़ मेरठी
- शायद किसी काबिल ये मिरा सर भी नहीं है - कैफ़ भोपाली
- मेरे ही लहू पर गुजर औकात करो हो - कलीम आजिज़
- परिंदे हौसला कायम उड़ान में रखना - मंगल नसीम
- हमजिंस अगर मिले न कोई आसमान पर - शकेब जलाली
- वो खत के पुर्जे उड़ा रहा था - गुलज़ार
- कौन कहता है तुझे मैंने भुला रखा है - जाँ निसार अख्तर
- आज फिर उनका सामना होगा - सबा सीकरी
- नाव दिल की डुबो रही है शाम - फ़िराक जलालपुरी
- पूछो न उससे कौन है, आता कहाँ से है - अतुल अजनबी
- हसरत है कि तुझे सामने बैठे कभी देखूं - किश्वर नाहिद
- जिंदगी इस तरह गुजारते है - ज़हीर अब्बास
- कुछ तो रात का ग़म था लोगों कुछ मेरी तन्हाई थी - रुखसाना सिद्दीकी
- कुछ बातें हम से किया करो - विवेक अरोरा
- राक्षस था न खुदा था पहले- निदा फाज़ली
- खुद को क्यूँ जिस्म का ज़िंदानी करें - अब्दुल अहद साज़
- चलते-चलते रुका करे कोई - परवेज़ वारिस
- राह देखेंगे न दुनिया से गुजरने वाले - दाग़ देहलवी
- बस दो चार अफवाहें उड़ा दो - अरमान खान
- हर कदम नित नए सांचे में ढल जाते है लोग - हिमायत अली शायर
- वो भी क्या लोग थे आसान थी राहें जिनकी - आले अहमद सुरूर
- सिर्फ धोखा था कोई तेरा कि जो था वो न था - परवेज़ वारिस
- हर एक धडकन अजब आहट - अब्दुल अहद साज़
- एक-एक मस्जिद, सारे मंदिर, हर गुरुद्वारा डूब गया - परवेज़ मुजफ्फर
- एक क़तरा मलाल भी बोया नहीं गया - फरहत अब्बास शाह
- जागती रात अकेली सी लगे - अब्दुल अहद साज़
- क्या लिखू क्या मंज़र है - रऊफ रज़ा
- बस एक नूर झलकता हुआ नज़र आया - जगन्नाथ आज़ाद
- उस सुनी राह पे वो अकेला मौजूद है - देवेन्द्र देव
- मैंने देखा चेहरा चेहरा - महवर नूरी
- अब कोई गुलशन ना उजड़े अब वतन आज़ाद है - साहिर लुधियानवी
- लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है - मुनव्वर राना
- रोज कुर्ते ये कलफदार कहाँ से लाऊ - हसीब सोज़
- गुलिस्ता की हद तोड़ पाए तो जानू - पूनम कौसर
- बरसते हुए सावन में - बदनाम शायर वरुण मित्तल
- तुमने तो कह दिया कि मोहब्बत नहीं मिली - नोशी गिलानी
- खैर, मै जीत तो नहीं पाया - विकास शर्मा राज़
- अबके बरसात में गर झूम के आये बादल - शैदा बघौनवी
- सय्यादो से आजाद फज़ा मांग रहे हो - चाँद शेरी
- फना के गार से ख्वाहिशो के लंबे हाथ बाहर थे - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता-आहिस्ता - अमीर मीनाई
- ख्वाबों में आते है, आखिर कुछ तो बात होगी - देवेन्द्र देव
- अगर यो ही ये दिल सताता रहेगा - ख्वाजा मीर दर्द
- वो जो वह एक अक्स है सहमा हुआ डरा हुआ - शहरयार
- फूल जैसे मखमली तलवों में छाले कर दिए - राहत इंदौरी
- हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये - अदम गोंडवी
- हसते हुए माँ-बाप की गाली नहीं खाते - मुनव्वर राना
- खुद को इतना भी मत बचाया कर - शक़ील आज़मी
- कुछ तो अपनी निशानिया रख जा - अमीर कज़लबाश
- तेज हो धुप तो कुछ और निखर आयेंगे - बशर नवाज़
- इश्क़ की मार बड़ी दर्दीली - गणेश बिहारी तर्ज
- तू राधा है अपने कृष्ण की - परवीन शाकिर
- कुछ यकीन कुछ गुमाँ की दिल्ली - अनवर जलालपुरी
- जरा सा नाम पा जाए, उसे मंजिल समझते है - अशोक मिजाज़
- मुहब्बतो का वो छोटा सा सिलसिला ही गया - सईद कैस
- कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्क़िल है - अकबर इलाहाबादी
- हर घडी क़यामत थी, ये न पूछ कब गुजरी - ज़हूर नज़र
- वादों से तन्हाइयां मिट जाती - आश्मीन कौर
- ये बहार का ज़माना ये हसीं गुलों के साए - फ़ना निज़ामी कानपुरी
- काजू भुने पलेट में व्हिस्की गिलास में - अदम गोंडवी
- भूले बिसरे हुए गम याद बहुत करता है - वाली आसी
- हो जिन से बात साफ़ वो बाते निकालिये - शफ़ीक रायपुरी
- मेरी सुबह हो के न हो मुझे है फिराक़ यार से वास्ता - ज़रीना सानी
- कान बजते हैं कि फिर टूट के बरसे बादल - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
- वो तेरी आँखे तेरा चेहरा - देवेन्द्र देव
- यार आता नजर नहीं आता - क़मर जलालाबादी
- दिल दिमाग सब बाद की बात - प्रदीप तिवारी
- बीते हुए लम्हात का मंज़र नहीं मिलता - विलास पंडित मुसाफिर
- ज़माना ख़ुदा को ख़ुदा जानता है - यगाना चंगेज़ी
- आसमां पर कोई सितारा है - सरदार आसिफ
- न अब कश्मीर रहने दे, न अब बंगाल रहने दे - मैकश अमरोहवी
- ऐश की महफ़िल रोज सजाए मिल के सब शैतान - अज़ीज़ अंसारी
- मेरी ज़िन्दगी किसी और की, मेरे नाम का कोई और है_मुजफ्फर वारसी
- दोनों ही पक्ष आये है तैयारियों के साथ - कुंवर बेचैन
- हमको मगर किसी ने पुकारा कभी न था - आलम खुर्शीद
- उनका दावा मुफलिसी का मोर्चा सर हो गया - अदम गोंडवी
- वो सर्द फ़ासला बस आज कटने वाला था - कैफ़ी विजदानी
- पत्थर सुलग रहे थे कोई नक़्श-ए-पा न था - मुमताज़ राशिद
- न आरजू न तमन्ना, कहाँ चले आये - अहमद हमदानी
- बदल रहे है यहाँ सब, रिवाज़ क्या होगा - अशोक मिजाज़
- कुछ यादगार-ए-शहर-ए-सितमगर ही ले चलें - नासिर काजमी
- आँख जब आईने से हटाई - परवीन शाकिर
- दुख का अहसास न मारा जाये - मुहम्मद अल्वी
- चाँद सितारों से क्या पूछूँ कब दिन मेरे फिरते हैं- आबिद अली आबिद
- आपके दिल ने हमें आवाज दी, हम आ गए- पयाम सईदी
- क्यों ये समझू वो अब पराया है - शारिक कैफ़ी
- संग में नहर बनाने का हुनर मेरा है - अनवर जलालपुरी
- मेरे पहलू में जो बह निकले तुम्हारे आंसू - अख़्तर शीरानी
- किसी किसी को वो ऐसा जमाल देता है -अजय पाण्डेय 'सहाब'
- पानी की तरह रेत के सीने में उतर जा - रशीद कैसरानी
- गज़ब किया तेरे वादे पे एतबार किया - दाग़ देहलवी
- बज़्म में साक़ी का फैज़-ए-आम है - रसा सरहदी
- मुझे गर इश्क़ का अरमान होता - सरशार सिद्दीकी
- हिज्र की शब का सहारा भी नहीं - साबिर इंदौरी
- मिरी ग़ज़ल की तरह उसकी भी हुकूमत है - बशीर बद्र
- तुम जो आ जाओ आज दिल्ली में - मखदूम मोहिउद्दीन
- मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें - मिर्ज़ा ग़ालिब
- तुझे खोकर भी तुझे पाऊ जहाँ तक देखूँ - अहमद नदीम कासमी
- वो सितमगर है ख्यालात समझने वाला - क़मर जलालाबादी
- अच्छी भली इबादत बेकार हो रही है - नौमान शौक़
- ग़म का ख़ज़ाना तेरा भी है मेरा भी - शाहिद कबीर
- निकलो न बेनकाब, ज़माना खराब है - नून मीम राशिद
- झूठी सच्ची आस पे जीना कब तक आखिर कब तक - काशिफ़ इंदौरी
- भीतर बसने वाला खुद बाहर की सैर करे मौला खैर करे -बेकल उत्साही
- तेरी यादों से, तेरे ग़म से वफ़ादारी की - अक़ील नोमानी
- ये सोचा नहीं है किधर जाएँगे - आलम खुर्शीद
- बहुत कुछ यूँ तो था दिल में मगर लब सी लिए मैंने - फ़िराक गोरखपुरी
- अकेले हैं वो और झुंझला रहे हैं - खुमार बाराबंकवी
- उंगलिया यूँ ना सब पर उठाया करो - राहत इंदौरी
- मैं ये नहीं कहता कि मिरा सर न मिलेगा - वसीम बरेलवी
- सिलसिला ज़ख्म ज़ख्म जारी है - अख़्तर नज़्मी
- दिल तेरी नजर की शह पाकर मिलने के बहाने ढूंढे है - ताज भोपाली
- शोला हूँ भड़कने की गुज़ारिश नहीं करता - मुज़फ़्फ़र वारसी
- हां इधर को भी ऐ गुंचादहन पिचकारी - नज़ीर अकबराबादी
- बाहर गली में आ गए, घर अपना छोड़ कर - जमील मलिक
- मुझको छूके पिघल रहे हो तुम - शकील आज़मी
- आवाज़ दे रही है ये किसकी नज़र मुझे - क़मर जलालाबादी
- तुझे कौन जानता था मिरी दोस्ती से पहले - कैफ़ भोपाली
- मिली हवाओ में उड़ने की वह सजा यारो - वसीम बरेलवी
- सुकूँ से आशना अब तक दिल ए इनसाँ नहीं है - रविन्दर सोनी रवि
- तुम्हारी दोस्त-नवाजी में गर कमी होती– सलमान अख्तर
- कभी ख़्वाबों में मिला वो तो ख्यालो में कभी - सलमान अख्तर
- यूँ तो हँसते हुए लड़कों को भी ग़म होता है - वली आसी
- उस बज़्म में मुझे नहीं बनती हया किए - मिर्ज़ा ग़ालिब
- जलते-जलते जिंदगी, इक दिन धुआँ बन जाएगी -पुरुषोत्तम अब्बी आज़र
- वफ़ा जो मुझ को रास आई नहीं है - सीमाब सुल्तानपुरी
- जब कभी बोलना, वक़्त पर बोलना - ताहिर फ़राज़
- सुकूने दिल के लिए इश्क तो बहाना था - फातिमा हसन
- ये दिल, ये पागल दिल मेरा, क्यू बुझ गया, आवारगी - मोहसिन नकवी
- हुई ताख़ीर तो कुछ बाइस-ए-ताख़ीर भी था - मिर्ज़ा ग़ालिब
- फिर छिड़ी रात बात फूलो की - मखदूम मोहिउद्दीन
- किस को क़ातिल मैं कहूँ किस को मसीहा समझूँ - अहमद नदीम क़ासमी
- आँखों में जल रहा है क्यूँ बुझता नहीं धुआँ - गुलज़ार
- नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने - मिर्ज़ा ग़ालिब
- धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो - निदा फाजली
- जो भी बुरा भला है अल्लाह जानता है - अख़्तर शीरानी
- खुशी का मसअला क्या है जो मुझसे खौफ खाती है - अनवर जलालाबादी
- कैसे कैसे हादसे सहते रहे - वाजिदा तबस्सुम
- दिन इक के बाद एक गुजरते हुए देख - मुहम्मद अल्वी
- आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे - मिर्ज़ा ग़ालिब
- क्या हुआ तुमको अगर चेहरे बदलना आ गया - कृष्ण कुमार नाज़
- मोहब्बत को गले का हार भी करते नहीं बनता - महबूब खिंजा
- जेहन-ए-आदमियत पर मस्लेहत के पहरे है - शाहिद शैदाई
- चुपके-चुपके रात-दिन आंसू बहाना याद है - हसरत मोहानी
- दाग दुनिया ने दिए, जख्म जमाने से मिले - कैफ़ भोपाली
- दरिया ने कल जो चुप का लिबादा पहन लिया - बेदिल हैदरी
- आहट हमारी सुन के वो खिड़की में आ गये - तुफ़ैल चर्तुवेदी
- धूप के साथ गया, साथ निभाने वाला - वजीर आगा
- मिलेगी शेख को जन्नत हमें दौजख अता होगा -पंडित हरिचंद अख्तर
- अपने जीवन में सादगी रखना - चाँद शेरी
- दर्द-ए-दिल दर्द आशना जाने - बहादुर शाह ज़फ़र
- क्यूँ जल गया न ताब-ए-रुख़-ए-यार देख कर - मिर्ज़ा ग़ालिब
- तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता है - जाँ निसार अख्तर
- नज़र-नवाज़ नजारा बदल न जाए कही - दुष्यंत कुमार
- दयार-ए-दिल की रात में चराग़ सा जला गया - नासिर काज़मी
- अंदाज हू-ब-हू तेरी आवाजे-पा का था - अहमद नदीम कासमी
- मेरी बेखुदी का तसलसुल बनाये नहीं रख सका - शारीक़ कैफ़ी
- जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं - मिर्ज़ा ग़ालिब
- रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए - मिर्ज़ा ग़ालिब
- अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे - शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
- आपकी याद आती रही रात भर - मखदूम, फैज़
- तेरी खुशबु में जलना चाहता हूँ - जाज़िब कुरैशी
- आप को देखकर देखता रह गया - अज़ीज़ क़ैसी
- ग़ैर लें महफ़िल में बोसे जाम के - मिर्ज़ा ग़ालिब
- अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं - निदा फ़ाज़ली
- मेरी ख़्वाहिश है कि फिर से मैं फ़रिश्ता हो जाऊँ - मुनव्वर राना
- जिंदगी उनकी चाह में गुजरी - शकील बदायुनी
- चल मुसाफिर बत्तियां जलने लगी - बशीर बद्र
- खंडहर बचे हुए है, इमारत नहीं रही - दुष्यंत कुमार
- होंटों पे मोहब्बत के फ़साने नहीं आते - बशीर बद्र
- प्यार का पहला खत लिखने में वक़्त तो लगता है - हस्तीमल हस्ती
- पत्थरों के जिस्म में भी दिल मिला - संजय ग्रोवर
- यूँ तेरी रहगुज़र से दीवाना-वार गुज़रे - मीना कुमारी नाज़
- कब याद मे तेरा साथ नहीं कब हाथ में तेरा हाथ नहीं - फैज़
- ये आरज़ू थी तुझे गुल के रूबरू करते - ख़्वाजा हैदर अली आतिश
- कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ नहीं देखा - मुनव्वर राना
- दिल को भी हम राह पे लाते रहते है - कुमार पाशी
- सादगी पर उसकी मर जाने की हसरत दिल में है - मिर्ज़ा ग़ालिब
- दोस्त हो जब दुश्मन-ए-जाँ तो क्या मालूम -ख्वाजा हैदर अली आतिश
- होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है - निदा फ़ाज़ली
- मैं मसअला हूँ मुझको अभी हल नहीं मिला - अहमद निसार
- सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं - बशीर बद्र
- दुनिया मेरी नज़र से तुझे देखती रही - मेहर लाल ज़िया फतेहाबादी
- पाकर चन्दन तन की खुशबू - चाँद शेरी
- लम्हा-लम्हा जीना क्या और लम्हा-लम्हा मरना क्या - मीना कुमारी नाज़
- हिजाब-ए-फ़ित्ना-परवर अब उठा लेती तो अच्छा था - मजाज़ लखनवी
- लोग जिसको ताज पहनाने चले - चाँद शेरी
- हुस्न-ए-अहसास निखरता है ग़ज़ल कहने में - महमूद जकी
- सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा - अल्लामा इक़बाल
- बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी - कफ़ील आज़र अमरोहवी
- कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से - मिर्ज़ा ग़ालिब
- किसने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी - आरज़ू लखनवी
- हिंद के गुलशन में जब आती है होली की बहार - नज़ीर अकबराबादी
- तुमको देखा तो ये ख़याल आया - जावेद अख़्तर
- हो तअल्लुक़ तुझसे जब तक ज़िन्दगी बाक़ी रहे - अहमद निसार
- दिल चीज़ क्या है आप मिरी जान लीजिए - शहरयार
- दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह - क़तील शिफ़ाई
- काश ऐसा कोई मंज़र होता - ताहिर फ़राज़
- अजनबी दुनिया में तेरा आशना मै ही तो था - मेहर लाल ज़िया फतेहाबादी
- दिल मेरा सोजे-निहा से बेमहाबा जल गया - मिर्ज़ा ग़ालिब
- सदमा तो है मुझे भी कि तुझसे जुदा हूँ मैं - क़तील शिफ़ाई
- मौज-ए-गम गुल क़तर गई होगी - मेहर लाल ज़िया फतेहाबादी
- परखना मत परखने से कोई अपना नहीं रहता - बशीर बद्र
- तड़पते हैं न रोते हैं न हम फ़रियाद करते हैं - ख़्वाजा हैदर अली आतिश
- फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया - मिर्ज़ा ग़ालिब
- सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या - हैदर अली आतिश
- यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया - हैदर अली आतिश
- कभी मुझ को साथ लेकर कभी मेरे साथ चल के - अहसान बिन दानिश
- कहते हो, न देंगे हम दिल, अगर पड़ा पाया - मिर्ज़ा ग़ालिब
- हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है - अकबर इलाहबादी
- न ताबे-मस्ती, न होशे हस्ती की शुक्रे-नेमत अदा करेंगे - जिगर मुरादाबादी
- दर्द की बस्तिया बसाके रखो - बशीर बद्र
- हुस्ने -अदा भी खूबी-ए-सूरत में चाहिए - दाग़ देहलवी
- गिला लिखूँ मैं अगर तेरी बेवफ़ाई का - मिर्ज़ा मुहम्मद रफ़ी सौदा
- हवाए दिलसिता जब राग सावन के सुनाती है - जोश मलीहाबादी
- एक मुअम्मा है समझने का न समझाने का - फ़ानी बदायुनी
- हैराँ हूँ दिल को रोऊँ कि पीटूँ जिगर को मैं - मिर्ज़ा ग़ालिब
- आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए - मिर्ज़ा ग़ालिब
- हिम्मत-ए-इल्तिजा नहीं बाकी - फैज़ अहमद फैज़
- सुनो पानी में किसकी सदा है - बशीर बद्र
- न कोई ख्वाब हमारे है, न ताबीरे है - क़तील शिफ़ाई
- मुद्दत से तो दिल की मुलाकात भी गई - मीर तक़ी मीर
- आसुओ से धुली ख़ुशी की तरह - बशीर बद्र
- किरदार पर गुनाह की कालिख लगा के हम - मुनव्वर राना
- तेरे-मेरे दीन का मसअला नहीं, मसअला कोई और है - राजेश रेड्डी
- तू दोस्त किसी का भी सितमगर न हुआ था - मिर्ज़ा ग़ालिब
- क्या बताऊँ कैसा ख़ुद को दर-ब-दर मैं ने किया - वसीम बरेलवी
- मायूस तो हूँ वादे से तिरे - साहिर लुधियानवी
- नशा पिला के गिराना तो सबको आता है - अल्लामा इक़बाल
- उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या - जॉन एलिया
- इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई - मिर्ज़ा ग़ालिब
- ग़म-ए-दुनिया से गर पाई भी फ़ुर्सत सर उठाने की - मिर्ज़ा ग़ालिब
- हाय क्या चीज़ थी, क्या चीज़ थी जालिम की नज़र भी - जिगर मुरादाबादी
- तिरी निगाह के जादू बिखरते जाते है - नासिर काज़मी
- मै खुद भी सोचता हूँ ये क्या मेरा हाल है - जावेद अख़्तर
- हम भरे शहरो में भी तन्हा है जाने किस तरह - अहमद फ़राज़
- नींद के पाँव पे पत्थर बन के आते है ख्वाब - कुंवर बेचैन
- बेवफा रास्ते बदलते है - बशीर बद्र
- कोई हसीन सा नुक़्ता निकाल देता है - नसीम निकहत
- क्यों किसी और को दुख-दर्द सुनाऊ अपने - अनवर मसउद
- दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं - मिर्ज़ा ग़ालिब
- अब किसे चाहे किसे ढूंढा करे - बशीर बद्र
- बुलंदी देर तक किस शख्स के हिस्से में रहती है - मुनव्वर राना
- कभी खुद अपने हाथो से प्याले टूट जाते है - अशोक मिज़ाज
- आ के वो मुझ ख़स्ता-जाँ पर यूँ करम फ़रमा गया - हमीद जालंधरी
- जब कभी मै खुद को समझाऊं कि तू मेरा नहीं - खुर्शीद रिज़वी
- आँखों से जो दूर थे पहले, दिल से भी अब दूर हुए - नसीम अजमेरी
- रातो को दिन बनाए जमाने गुजर गए - खुमार बारंबकवी
- रस्ता भी कठिन धूप में शिद्दत भी बहुत थी - परवीन शाकिर
- ए फलक चाहिए जी भर के नजारा हमको - दाग़ देहलवी
- ऐसा लगता है कि ये उम्र पहन आया है - अशोक मिज़ाज
- दे के आवाज़ ग़म के मारो को - सरदार अंजुम
- ख़त है या बदलती रूत, या गीतों भरा सावन - निदा फ़ाज़ली
- धुन ये है आम तेरी रहगुज़र होने तक - कृष्ण बिहारी नूर
- उस शाम वो रुख़्सत का समाँ याद रहेगा - इब्ने इंशा
- सर-ए-राह कुछ भी कहा नहीं, कभी उस के घर मैं गया नहीं - बशीर बद्र
- उम्मीद भी किरदार पे पूरी नहीं उतरी - मुनव्वर राना
- सदाए देनी थी जिसको, उसे सदाए न दी - अख़्तर नज़्मी
- तिलिस्म-ए-कोह-ए-निदा जब भी टूट जाएगा - मंज़ूर हाशमी
- आदत नहीं, करे जो शिकायत किसी से हम - जाज़िब आफ़ाकी
- जिधर आँख पड़ती है, तू रूबरू है - बहादुर शाह जफ़र
- कोई दिन गर ज़िंदगानी और है - मिर्ज़ा ग़ालिब
- भरी बरसात में जिस दम बादल घिर के आते है - जोश मलीहाबादी
- गए दिनों का सुराग़ ले कर किधर से आया किधर गया वो-नासिर काज़मी
- सबकी हालत एक है नादा - फ़िराक गोरखपुरी
- परवाज में कुछ है, कुछ पर तोल रहे है - बिस्मिल भरतपुरी
- शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया - हरिचंद अख्तर
- नील गगन में तैर रहा है, उजला-उजला पूरा चाँद - निदा फ़ाज़ली
- शाम से रास्ता तकता होगा - बशीर बद्र
- ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना - मिर्ज़ा ग़ालिब
- बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना - मिर्ज़ा ग़ालिब
- ये मुमकिन है कि मिल जाए तेरी खोई हुई चीज़े - हस्तीमल हस्ती
- ये बात फ़कत हम समझे है या दीदा-ए-जाना जाने है - जाज़िब आफ़ाकी
- सितमगर तुझ से हम कब शिकवा-ए-बेदाद करते हैं - सरस्वती सरन कैफ़
- हवा का झोका हूँ तुझे छुकर निकल जाऊँगा - देवेन्द्र देव
- मौत की वीरानियो में जिन्दगी बनकर रहा - संजय ग्रोवर
- थी अपनी हद में धुल, अभी कल की बात है - हस्तीमल हस्ती
- कटी-फटी हुई तहरीर ले के आया था - मंज़ूर हाशमी
- कितने मौसम सरगर्दा थे, मुझसे हाथ मिलाने में - अज्म बहजाद
- न मंदिर में सनम होते, न मस्जिद में खुदा होता - नौशाद लखनवी
- अच्छा जो खफा हम से हो तुम ए सनम अच्छा - इंशा अल्लाह खाँ इंशा
- कौन कहता है मौत आई तो मर जाऊँगा - अहमद नदीम कासमी
- सितम भी करता है, उसका सिला भी देता है - मुश्फ़िक ख्वाज़ा
- न शाम है न सवेरा, अजब दयार में हूँ - अतहर नफीस
- हमारा दिल तो मुकम्मल सुकून चाहता है - फ़ारुक़ अंजुम
- प्यार को सदियों के, एक लम्हे की नफ़रत खा गई - अनवर जलालपुरी
- नाम आए तो सारा तन महके - अज़ीज़ अंसारी
- शायरे फितरत हूँ मै, जब फिक्र फरमाता हूँ मै - जिगर मुरादाबादी
- हस के बोला करो, बुलाया करो - अब्दुल हमीद अदम
- ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं - कृष्ण बिहारी नूर
- रुखो के चाँद, लबो के गुलाब मांगे है - जाँ निसार अख़्तर
- उठो और उठ के निजाम-ए-जहाँ बदल डालो - साग़र निज़ामी
- दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ - अकबर इलाहबादी
- छोड़ के मेरा घर वो, किस के घर जाएगा - सरदार अंजुम
- नज़र के सामने कुछ अक्स झिलमिलाए बहुत - मख्मूर सईदी
- तू नहीं है तो कहाँ हूँ मै भी - मुहम्मद अल्वी
- जलजला आया वो दिल में वक़्त की रफ़्तार से - नूर बिजनौरी
- जो लोग जान बूझ के नादान बन गए - अब्दुल हमीद अदम
- हर लहजा तेरे पाँव की आहट सुनाई दे - सईद कैस
- कोफ़्त से जान लब पे आई है - मीर तक़ी मीर
- बे नाला-ओ-फ़रियाद-फुगा रह नहीं सकते - अकबर इलाहबादी
- मुहब्बतों में दिलो से पुकारा करते है - शकील आज़मी
- फिर हरीफ-ए-बहार हो बैठे - फैज़ अहमद फैज़
- चेहरा मेरा था निगाहें उस की - परवीन शाकिर
- काश उससे मेरा फ़ुरकत का ही रिश्ता निकले - तुफ़ैल चर्तुवेदी
- हर दम दुआएँ देना हर लहज़ा आहें भरना - जिगर मुरादाबादी
- तुहमतें चन्द अपने ज़िम्मे धर चले - ख्वाज़ा मीर दर्द
- वही फिर मुझे याद आने लगे हैं - ख़ुमार बारमबंकवी
- इक ग़ज़ल उस पे लिखूँ दिल का तक़ाज़ा है बहुत कृष्ण बिहारी नूर
- अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे - वसीम बरेलवी
- हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते - गुलज़ार
- किसकी आवाज़ कान में आई - यगाना चंगेज़ी
- शायद मैं ज़िंदगी की सहर ले के आ गया - सुदर्शन फाकिर
- वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ - मिर्ज़ा ग़ालिब
- पत्थर के ख़ुदा पत्थर के सनम पत्थर के ही इंसाँ पाए हैं - सुदर्शन फाकिर
- चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी - सुदर्शन फाकिर
- अब जुनूँ कब किसी के बस में है - जॉन एलिया
- लज्जत-ए-आग़ाज़ ही को जाविदां समझा था में - साग़र निज़ामी
- कहाँ की शाम और कैसी सहर, जब तुम नहीं होते - साज़ जबलपुरी
- दिल ने क्या आस लगा रखी थी - कैसर-उल-जाफ़री
- है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और - मिर्ज़ा ग़ालिब
- दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ - मिर्ज़ा ग़ालिब
- बरसों के रत-जगों की थकन खा गई मुझे - कैसर-उल-जाफ़री
- धुप आती रही इस कांच के घर में खुद ही - नोमान शौक़
- चलने का होसला नहीं, रुकना मुहाल कर दिया - परवीन शाकिर
- नींद की ओस से पलकों को भिगोये कैसे - शहरयार
- लाज़िम था कि देखो मिरा रस्ता कोई दिन और - मिर्ज़ा ग़ालिब
- औरत - कैफ़ी आज़मी
- सबके दिल में है जगह तेरी जो तू राजी हुआ - मिर्ज़ा ग़ालिब
- दिल में उतरेगी तो पूछेगी जुनूं कितना है - शहरयार
- सुना है लोग उसे आँख भर के देखते है - अहमद फ़राज़
- इशरते कतरा है दरिया में फ़ना हो जाना - मिर्ज़ा ग़ालिब
- चाँद तन्हा है, आसमा तन्हा - मीना कुमारी नाज़
- उसके दुश्मन है बहुत आदमी अच्छा होगा - निदा फ़ाज़ली
- घर जब बना लिया तिरे दर पर कहे बग़ैर - मिर्ज़ा ग़ालिब
- एक गुड़िया की कई कठपुतलियों में जान है - दुष्यंत कुमार
- लम्सो-लज्जत के असर में आ गये - शहरयार
- तुझसे बिछुड़े है तो अब किससे मिलाती है हमें - शहरयार
- आज सुकूं में ढल गया दिल का तमाम इज़्तिराब - फ़रीद जावेद
- न रवा कहिये न सजा कहिये - दाग़ देहलवी
- कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया - साहिर लुधियानवी
- ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता - मिर्ज़ा ग़ालिब
- इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही - मिर्ज़ा ग़ालिब
- बरबाद-ए-मोहब्बत की दुआ साथ लिए जा - साहिर लुधियानवी
- तोड़ सभी तटबंध गाव के, उमड़ चली नदिया इस साल - हीरालाल नागर
- गर मेरे अश्के-सुर्ख से रंगे हिना मिले - दाग़ देहलवी
- हाथ से हर एक मौके को निकल जाने दिया - राजेश रेड्डी
- हवा गरम, फ़िज़ा गरम, दयार भी गरम-गरम - रंजीत भट्टाचार्य
- हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है - मिर्ज़ा ग़ालिब
- मै तो समझा था क़यामत आ गई - हसरत मोहानी
- झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं - कैफ़ी आज़मी
- मौजा-ए-गुल के पीछे पढ़कर क्यों दीवानी हुई है मिटटी - बशीर बद्र
- मेरे कमरे में अँधेरा नहीं रहने देता - मुनव्वर राना
- आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक - मिर्ज़ा ग़ालिब
- पीत के रोगी सब कुछ बुझे जाने होते है - इब्ने इंशा
- खुली आँखों में सपना झाँकता है - परवीन शाकिर
- कई घरों को निगलने के बाद आती है - मुनव्वर राना
- न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता - मिर्ज़ा ग़ालिब
- वो भले वादा करके मुकर जायेंगे - देवेन्द्र देव
- बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे - मिर्ज़ा ग़ालिब
- अगर खिलाफ है होने दो, जान थोड़ी है - राहत इंदौरी
- कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता - निदा फ़ाज़ली
- सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है - बिस्मिल अज़ीमाबादी
- सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है - शहरयार
- इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हज़ारो है - शहरयार
- कल चौदवीं की रात थी, शब् भर रहा चर्चा तेरा - इब्ने इंशा
- अमीर-ए-शहर को तलवार करने वाला हूँ - मुनव्वर राना
- अब तो मजहब कोई ऐसा भी चलाया जाए - गोपाल दास नीरज
- हम तो है परदेश में, देश में निकला होगा चाँद -राही मासूम रज़ा
- अपना ग़म लेके कही और न जाया जाये - निदा फ़ाज़ली
- हम उनसे अगर मिल बैठते है, क्या दोष हमारा होता है - इब्ने इंशा
- कुछ शेर - मुनव्वर राना
- शाम आई तेरी यादो के सितारे निकले - परवीन शाकिर
- शाम के सावले चेहरे को निखारा जाए - क़तील शिफ़ाई
- सावन के सुहाने मौसम में इक नार मिली बादल जैसी - क़तील शिफ़ाई
- अजब ख़ुलूस अजब सादगी से करता है - अतुल अजनबी
- ऐसे हिज्र के मौसम कब कब आते है - शहरयार
- जौर से बाज़ आए पर बाज़ आएँ क्या - मिर्ज़ा ग़ालिब
- ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं - मिर्ज़ा ग़ालिब
- दोनों जहान दे के वो समझे ये ख़ुश रहा - मिर्ज़ा ग़ालिब
- मोहब्बत में तुम्हे आंसू बहाना नहीं आया - मुनव्वर राना
- वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हे याद हो कि न याद हो - मोमिन
- हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले - मिर्ज़ा ग़ालिब
- कब समाँ देखेंगे हम ज़ख़्मों के भर जाने का - शहरयार
- आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा - बशीर बद्र
- हम तो बचपन में भी अकेले थे - जावेद अख़्तर
- यह न सोचो कल क्या हो - मीना कुमारी नाज़
- इक दिन ये धरती नीला अम्बर होती - बशीर बद्र
- मेरी आँखों में ग़म की निशानी नहीं - बशीर बद्र
- कहा आंसुओ की यह सौगात होगी - बशीर बद्र
- आँधियाँ गम की चलेंगी तो संवर जाऊँगा - बहादुर शाह जफ़र
- कोई उम्मीद बर नहीं आती - मिर्ज़ा ग़ालिब
- दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है - मिर्ज़ा ग़ालिब
- हर इक चिराग की लौ ऐसी सोई-सोई थी - बशीर बद्र
- ग़ज़ल को माँ की तरह बावकार करता हूँ - बशीर बद्र
- अपनी उदास धूप तो घर-घर चली गयी - बशीर बद्र
- निकल आये इधर जनाब कहाँ - बशीर बद्र
- जब चाहा इकरार किया, जब चाहा इनकार किया - मीना कुमारी नाज़
- जिन्दगी जैसी तवक्को थी नहीं, कुछ कम है - शहरयार
- दोस्त बनकर भी नहीं साथ निभानेवाला - अहमद फ़राज़
- तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ - अल्लामा इक़बाल
- कोई चाहत है न जरुरत है - मीना कुमारी
- आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता - मीना कुमारी नाज़
- कटेगा देखिये दिन जाने किस अजब के साथ - शहरयार
- यूँ कभी-कभी तो नजारा करेंगे हम - मीना कुमारी नाज़
- ये काफिले यादो के कही खो गए होते - शहरयार
- शाम तक जब कोई घर आता न था - शहरयार
- हिज्र की लम्बी रात का ख़ौफ़ निकल जाए - शहरयार
- जो चाहती है दुनिया वो मुझसे नहीं होगा - शहरयार
- हर तरफ अपने को बिखरा पाओगे - शहरयार
- शोला था जल बुझा हूँ, हवाए मुझे न दो - अहमद फ़राज़
- धुप हूँ, साया-ए-दीदार से डर जाता हूँ - जाजिब कुरैशी
- दुख के जंगल में फिरते हैं कब से मारे मारे लोग - जावेद अख़्तर
- मैं पा सका न कभी इस ख़लिश से छुटकारा - जावेद अख़्तर
- जहानतो को कहा कब्र से फरार मिला - निदा फ़ाज़ली
- ग़म होते हैं जहाँ ज़ेहानत होती है - जावेद अख़्तर
- ख़्वाब के गाँव में पले हैं हम - जावेद अख़्तर
- वो ढल रहा है तो ये भी रंगत बदल रही है - जावेद अख़्तर
- इन्सान में हैवान यहाँ भी है वहा भी - निदा फ़ाज़ली
- हमारे शौक़ की ये इंतिहा थी - जावेद अख़्तर
- ख्वाब इन आँखों से अब कोई चुराकर ले जाए - बशीर बद्र
- गुलाबो की तरह दिल अपना शबनम में भिगोते है - बशीर बद्र
- सभी को ग़म है समुंदर के ख़ुश्क होने का - शहरयार
- मै इस उम्मीद पे डूबा कि तू बचा लेगा - वसीम बेरलवी
- ये जो है हुक्म, मेरे पास न आए कोई - दाग देहलवी
- परिंदे अब भी पर तोले हुए है - दुष्यंत कुमार
- हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते है - मुनव्वर राना
- जाने कितनी उड़ान बाकी हैं - राजेश रेड्डी
- जिन्दगी तुने लहू ले के दिया कुछ भी नहीं - राजेश रेड्डी
- मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए - साहिर लुधियानवी
- चौंक चौंक उठती है महलों की फिजा रात गए - जाँ निसार अख़्तर
- अक्से-खुशबु हूँ, बिखरने से न रोए कोई - परवीन शाकिर
- तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता - दाग देहलवी
- बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ - निदा फ़ाज़ली
- ऐ मुसाफिर-ए-तन्हा, शाम होने वाली है - शहरयार
- ये जीने की कैसी सजा दी गई - शाहिदा हसन
- जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है - मुनव्वर राना
- वो महकती पलकों की और से कोई तारा चमका था रात में - बशीर बद्र
- पुराने शहर के मंजर निकलने लगते है - राहत इंदौरी
- हजारो लफ्ज़, हजारो किताब दे देंगे - राहत इंदौरी
- बहुत हसीं है दुनिया इसे कैसे ख़राब करू - राहत इंदौरी
- नाकामियो के बाद भी हिम्मत वही रही - मुनव्वर राना
- कमाल-ए-ज़ब्त को ख़ुद भी तो आज़माऊँगी - परवीन शाकिर
- चमन-दर-चमन पायमाली रहे - शहरयार
- उस निगाहे मस्त के मस्तो की मस्ती और है - बहादुर शाह जफ़र
- तेरे इन सवालो का क्या जवाब दूँ - देवेन्द्र देव
- वो गलियां, वो कुचे, वो घर याद आते है - देवेन्द्र देव
- कभी-कभी खुद से लड़ता हूँ मै - देवेन्द्र देव
- मेरी सीरत को तू देख सूरत पे न जा - देवेन्द्र देव
- टुकड़े-टुकड़े दिन बिता, धज्जी-धज्जी रात मिली - मीना कुमारी
- यहाँ हर शख्स हर पल, हादसा होने से डरता हैं - राजेश रेड्डी
- देवेन्द्र देव के कुछ अशआर
- मुझसे जो मोहब्बत करोगे तो क्या पाओगे - देवेन्द्र देव