आइए तीर चलाने के लिये - परवेज़ मुजफ्फर

आइए तीर चलाने के लिये

आइए तीर चलाने के लिये
हम भी हाज़िर हैं निशाने के लिये

चाँद को साथ तेरे करता हूँ
नज़रे बद से बचाने के लिये

ख़ास हिकमत से बना हे मेरा दिल
आप के नाज़ उठाने के लिये

तुम मेरे क्या हो बता दो सब को
फूल हो सारे ज़माने के लिये

हम ने आँखों में जला रखे हैं
दीप दरया में बहाने के लिये

ज़ख्म को होंट मिले हैं परवेज़
यार को शेर सुनाने के लिये - परवेज़ मुजफ्फर


aaiye teer chalane ke liye

aaiye teer chalane ke liye
ham bhi hajir hai nishane ke liye

chaand ko sath tere karta hu
nazre bad se bachane ke liye

khas hiqmat se bana hai mera dil
aap ke naaz uthane ke liye

tum mere kya ho bata do sab ko
phool ho sare zamane ke liye

ham ne aankho me jala rakhe hai
deep darya me bahane ke liye

zakhm ko hoth mile hai parvez
yaar ko sher sunane ke liye - Parvez Muzffar
परिचय
जन्म 5 मई 1965, जन्म स्थान - मुज़फ्फर नगर ,उत्तर प्रदेश
शिक्षा - एम.ए. इन सोशल वर्क -जामिआ मिल्लिआ इस्लामया, नई देहली, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन पर्सनेल मैनेजमेंट -दया नन्द इंस्टिट्यूट, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन लीडर शिप एंड मैनजमेंट -यूनिवर्सिटी ऑफ़ बिर्मिंघम ,इंग्लैंड
पुस्तक - थोड़ी सी रौशनी - शायरी, 2012 में मॉडर्न पब्लिशिंग हाउस नई देहली से प्रकाशित हुई | लम्बे अरसे से अफ़्कार, बीसवीं सदी, इन्तिसाब, शायर-शब खून, अब्लाक, तख़लीक़, रोशनाई, सीप, किताब नुमा, चहारसु, परवाज़, सदा, जदीद अदब, और कई पत्रिकाओं में शायरी प्रकाशित हो रही हे |
इंग्लैंड और इंग्लैंड के बाहिर कवि सम्मेलन में बराबर शिरकत करते हैं | रेडियो और टीवी प्रोग्राम में कई बार शिरकत | हस्वा फतहपुर ,भोपाल ,देहली से गहरा तालुक और बचपन और जवानी का ज़यदा वक़्त देहली और भोपाल में बीता |
1993 से इंग्लैंड के शहर बिर्मिंघम में हे
टेलीफोन : 0044 7891100293

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