कविताएँ
कविता एक काव्यात्मक रचना होती है | कविता शब्द का प्रयोग अपेक्षाकृत आकार में छोटे, ऐसे पद्य विशेष के लिए किया जाता है, जो आधुनिक गीति, प्रगीति या मुक्तक के अनेकानेक प्रकारों में से किसी रूप में रचा गया हो।जखीरा साहित्य संग्रह पर प्रकाशित सभी कविताएँ हमने यहाँ संकलित की है |
- बूढ़ी गंडक के तट पर - डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी
- नदी का होना - डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी
- नदी में हैं - डॉ. जिया उर रहमान जाफरी
- खुद को खो चुका हूँ मैं - नीतीश तिवारी
- चांद - राघव अग्रवाल
- आज फिर हिंदी दिवस है - सदानंद शाही
- ऐ मेरे प्यारे वतन - प्रेम धवन
- नदी होने से - डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी
- जीवन की ही जय है - मैथिलीशरण गुप्त
- सत्ता - अटल बिहारी वाजपेयी
- यक्ष प्रश्न - अटल बिहारी वाजपेयी
- माँ - प्रसून जोशी
- कल के आने वाले बादल - नारायण लाल परमार
- अर्धनारीश्वर - रामधारी सिंह दिनकर
- अरे, अब ऐसी कविता लिखो - रघुवीर सहाय
- हिंदी - रघुवीर सहाय
- विजय दशमी - तोरण देवी लली
- होली के रंग - कवी कुलवंत सिंह
- 23 मार्च - पाश
- मसीहा उतर आया है मीनारों पर - मारूफ आलम
- अपनी गंध नहीं बेचूंगा - बालकवि बैरागी
- राम एक सत्य जिसका है प्रमाण जानकी - अमन अक्षर
- वीर तुम बढ़े चलो - द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
- वीरों का कैसा हो वसंत? - सुभद्राकुमारी चौहान
- नर-जीवन के स्वार्थ सकल - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
- रोटी और संसद - धूमिल
- मौत से ठन गई - अटल बिहारी वाजपेयी
- गणतंत्र दिवस - ज्ञानेंद्रपति
- हिंदी दिवस मनाइए - सदानंद शाही
- नए साल के बधाई संदेश - मनोज शर्मा
- आइए महसूस करिए ज़िन्दगी के ताप को - अदम गोंडवी
- यह दीया सब को उजाला दे - नंद चतुर्वेदी
- हवन - श्रीकांत वर्मा
- अटल इरादों वालें अटल - नरेन्द्र सोनकर कुमार सोनकरन
- बरसो हे सावन मनभावन - कृष्ण मुरारी पहारिया
- मीर - आलोक धन्वा
- अचानक तुम आ जाओ - आलोक धन्वा
- इन्दु जी क्या हुआ आपको - नागार्जुन
- पानी - डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफ़री
- पीपल - गोपाल सिंह नेपाली
- रोते-रोते रात सो गई - अटल बिहारी वाजपेयी
- प्रेमपत्र - बद्री नारायण
- माँ की याद - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
- एक नदी थी - डॉ. जियाउर रहमान जाफ़री
- आँख का आँसू - अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध
- अँधेरे का मुसाफ़िर - सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
- वरदान माँगूँगा नहीं - शिवमंगल सिंह सुमन
- अग्निपथ - हरिवंश राय बच्चन
- सिंहासन खाली करो कि जनता आती है - रामधारी सिंह दिनकर
- चूल्हा मिट्टी का - ओमप्रकाश वाल्मीकि
- हे राम - रामकुमार कृषक
- सूरज को नहीं डूबने दूँगा - सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
- फसल - सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
- लीक पर वे चलें - सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
- बालिका का परिचय - सुभद्राकुमारी चौहान
- बरसों के बाद उसी सूने आँगन में - धर्मवीर भारती
- कौन रंग फागुन रंगे, रंगता कौन वसंत? - दिनेश शुक्ल
- आशा का दीपक - रामधारी सिंह दिनकर
- नया घाव है प्रेम का जो चमके दिन-रात - फ़िराक़ गोरखपुरी
- मन के हारे हार सदा रे, मन के जीते जीत - द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
- तब समझूँगा आया वसंत - शिवमंगल सिंह सुमन
- वसंत - जयशंकर प्रसाद
- सखि वसंत आया - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
- जय तिरंग ध्वज - रमेश कौशिक
- उठो धरा के अमर सपूतों - द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
- बेरोज़गार - देवी प्रसाद मिश्र
- जोशीमठ के पहाड़ - शिवप्रसाद जोशी
- दिसंबर का महीना मुझे आख़िरी नहीं लगता - निर्मला गर्ग
- मानव बम - ज्ञानेंद्रपति
- नया साल - डॉ. जियाउर रहमान जाफ़री
- नव वर्ष - हरिवंशराय बच्चन
- डर - रघुवीर सहाय
- आपकी हँसी - रघुवीर सहाय
- मैं अटल हूँ - पंडित धीरेन्द्र त्रिपाठी
- नर हो, न निराश करो मन को - मैथिलीशरण गुप्त
- हर मज़हब में प्यार लिखा है - डॉ.जियाउर रहमान जाफरी
- आज फिर से - हरिवंशराय बच्चन
- जगमग-जगमग - सोहनलाल द्विवेदी
- पुष्प की अभिलाषा - माखनलाल चतुर्वेदी
- तुम रूठो तो एक बार प्रिये - डी सी जैन
- दो पल खुशी से निकालो हमारे लिए - लवकुश यादव अज़ल
- मारे जाएँगे - राजेश जोशी
- वरना मारे जाओगे - अदनान कफ़ील दरवेश
- बाजा - विष्णु नागर
- एकदम अपने बुख़ार में - चंद्रकांत देवताले
- अकेला बचपन - चारुशीला मौर्य
- चीनी चाय पीते हुए - अज्ञेय
- इतवार - गुलज़ार
- लोकतंत्र में छा गए, मुद्दे बेबुनियाद (50 दोहे) - देवेश दीक्षित देव
- उठेगी - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- सोचकर आज सब कुछ बुरा लग रहा है - लवकुश यादव अज़ल
- नींबू माँगकर - चंद्रकांत देवताले
- भाव सिर्फ राम हैं - अमन अक्षर
- मेरा राम तो मेरा हिंदुस्तान है - हरिओम पंवार
- पूरी नहीं सुनोगे तान - माखनलाल चतुर्वेदी
- विसर्जन - महादेवी वर्मा
- हे मेरी कविता! मुझे माफ़ कर देना - सदानंद शाही
- चिड़िया - शरद जोशी
- तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो - गोपालदास नीरज
- साजन! होली आई है! - फणीश्वरनाथ रेणु
- केशर की, कलि की पिचकारी - सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- होली - मैथिलीशरण गुप्त
- छाया मत छूना - गिरिजाकुमार माथुर
- बिदा हो गई साँझ, विनत मुख पर झीना आँचल धर - सुमित्रानंदन पंत
- एक कविता उठाता हूँ - ज्ञानेंद्रपति
- कागज की कश्ती - चारुशीला मौर्य
- स्त्री के साथ - चंद्रकांत देवताले
- सम्भावनाएँ - अज्ञेय
- महादेव - फ़रीद ख़ाँ
- युद्ध और शांति - पाश
- जो हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं - सदानंद शाही
- कवि - भवानी प्रसाद मिश्र
- सच है, विपत्ति जब आती है - रामधारी सिंह दिनकर
- वर दे, वीणावादिनि वर दे - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
- ईंटें - नरेश सक्सेना
- बसंत आया - केदारनाथ अग्रवाल
- फ़रवरी का स्वागत - वीरेन डंगवाल
- सपने - अवतार सिंह संधू पाश
- अब बात हुई प्राचीन - वीरेन डंगवाल
- मुझे कदम कदम पर - गजानन माधव मुक्तिबोध
- अपने को देखना चाहता हूँ - चंद्रकांत देवताले
- अन्वेषण - रामनरेश त्रिपाठी
- तुम्हारा प्यार लड्डुओं का थाल है - मंगलेश डबराल
- पानी क्या कर रहा है - नरेश सक्सेना
- दूसरे का घर - धूमिल
- शब्द - केदारनाथ सिंह
- टूटी हुई बिखरी हुई चाय - शमशेर बहादुर सिंह
- ट्राम में एक याद - ज्ञानेंद्रपति
- बाक़ी कविता - कुंवर नारायण
- वसीयत - भारत भूषण अग्रवाल
- आज देश की मिट्टी बोल उठी है - डॉ. शिवमंगलसिंह सुमन
- मरते बस इंसान हैं - मारूफ आलम
- लहरें हैं - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- कुछ ऐसे भी यह दुनिया जानी जाती है - कुँवर नारायण
- सन्नाटा या शोर - कुँवर नारायण
- सहमे स्वप्न - सुशील शर्मा
- सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे - पुष्यमित्र उपाध्याय
- विचार आते हैं - गजानन माधव मुक्तिबोध
- वे बाते लौट न आएगी - गजानन माधव मुक्तिबोध
- चाँद का मुँह टेढ़ा है - गजानन माधव मुक्तिबोध
- करिश्मे भी दिखा सकती हैं अब किताबें - चंद्रकांत देवताले
- अंधियार ढल कर ही रहेगा - गोपालदास नीरज
- आओ फिर से दिया जलाएँ - अटल बिहारी वाजपेयी
- दीपावली पर पाँच मुक्तक - शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
- साथी, घर-घर आज दिवाली - हरिवंशराय बच्चन
- चारुचंद्र की चंचल किरणें - मैथिलीशरण गुप्त
- कार सरकार - शैल चतुर्वेदी
- मेरी ख़ता - अमृता प्रीतम
- मन योगी तन भस्म भया - अमृता प्रीतम
- दयाराम बा - विष्णु नागर
- दिल्ली - रामधारी सिंह दिनकर
- चूड़ी का टुकड़ा - गिरिजाकुमार माथुर
- देश-प्रेम : मेरे लिए - धूमिल
- हर गीत में... - ज़हीर अली सिद्दीक़ी
- कैसा पत्रकार हूँ? - ज़हीर अली सिद्दीक़ी
- अपनी शताब्दी के नाम - दूधनाथ सिंह
- जन्म - दूधनाथ सिंह
- जो पुल बनाएँगे - अज्ञेय
- दिल और मन का रावण - वसीम अकरम
- राम की जल समाधि - भारत भूषण
- बरसो राम धड़ाके से - साहिर लुधियानवी
- कहीं, कुछ खो गया है - दूधनाथ सिंह
- मैं अब विदा लेता हूँ - अवतार सिंह संधू पाश
- डूबता चाँद कब डूबेगा - गजानन माधव मुक्तिबोध
- भूख - नरेश सक्सेना
- कैसे हो विश्वास की साथी, तूफानों में डोल सकोगे ? - सुमित्रा कुमारी सिन्हा
- मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला - शिवमंगल सिंह सुमन
- नाम बड़े दर्शन छोटे - काका हाथरसी
- धूप घर में - अशोक बाबू माहौर
- उठ मेरी बेटी सुबह हो गई - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
- संस्कृति के संवाहक - नरेश चंद्रकर
- भारत - अवतार सिंह संधू 'पाश'
- हरी हुई सब भूमि - भारतेंदु हरिश्चंद्र
- चने जोर गरम - भारतेंदु हरिश्चंद्र
- मैं तुझे फिर मिलूँगी - अमृता प्रीतम
- झूठे सपनों के छल से निकल - शंकर शैलेन्द्र
- तुम रहे आकाश को ही देखते - शंकर शैलेन्द्र
- आटा चावल दाल से, गया न आगे ध्यान। (दोहे) - देवेश दीक्षित देव
- राखी की चुनौती - सुभद्राकुमारी चौहान
- राम तुम्हारे युग का रावन अच्छा था - प्रताप सोमवंशी
- सपना टूट गया - अटल बिहारी वाजपेयी
- प्रियतम से - सुभद्रा कुमारी चौहान
- वरदान है, वरदान है - शिवमंगल सिंह सुमन
- यह सावन है - क़तील शिफ़ाई
- अपनी असुरक्षा से - अवतार सिंह संधू पाश
- हे मेरे स्वदेश - रामधारी सिंह दिनकर
- करो गुरु का तुम सम्मान - डॉ. ज़िया उर रहमान जाफरी
- तुम न आओ धुप में - केदारनाथ अग्रवाल
- देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता - सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
- शिशु - नरेश सक्सेना
- अकाल और उसके बाद - बाबा नागार्जुन
- आग लगे इस राम-राज में - केदारनाथ अग्रवाल
- अंतिम ऊँचाई - कुंवर नारायण
- अबकी बार लौटा तो - कुंवर नारायण
- अहसास - चारुशीला मौर्य
- हर ज़ोर ज़ुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है! - शंकर शैलेन्द्र
- फिर मुझको रसखान बना दे - बेकल उत्साही
- हाय ! नहीं यह देखा जाता - शिव मंगल सिंह सुमन
- यह धरती कितना देती है -सुमित्रानंदन पंत
- घटती हुई ऑक्सीजन - मंगलेश डबराल
- हो तिमिर कितना भी गहरा - हर्षवर्धन प्रकाश
- दुहराते क्यों नहीं - नारायण लाल परमार
- शहर मर गया - नारायण लाल परमार
- बहस जारी है - नारायण लाल परमार
- आधा शहर - मंगलेश डबराल
- सबको आफत से हम बचाएंगे - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- दर्द का भी अजीब किस्सा है - देवेन्द्र आर्य
- नये साल का अभिनन्दन है - डॉ. ज़िया उर रहमान जाफरी
- हे कृषक ! सावधान ! - गोलेन्द्र पटेल
- हसरत - अवतार सिंह संधू पाश
- कितनी हंसी ठिठोली में - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
- क़िरदार है मेरी - ज़ाहिर अली सिद्दीकी
- रोटी - ज़ाहिर अली सिद्दीकी
- विडम्बना - ज़ाहिर अली सिद्दीकी
- वो मिलता, जब मिलता है घर - डा. अचल दीप दुबे
- शिक्षक ही है मूल प्रति, शिक्षक ही अनुवाद - अजहर हाश्मी
- उस सैनिक को करो सलाम - डा जियाउर रहमान जाफरी
- जो कहीं भी कभी भी ठहरता नहीं - समर प्रदीप