चिड़िया - शरद जोशी

'च' ने चिड़िया पर कविता लिखी। उसे देख 'छ' और 'ज' ने चिड़िया पर कविता लिखी।

चिड़िया

'च' ने चिड़िया पर कविता लिखी।
उसे देख 'छ' और 'ज' ने चिड़िया पर कविता लिखी।
तब त, थ, द, ध, न, ने
फिर प, फ, ब, भ और म, ने
'य' ने, 'र' ने, 'ल' ने
इस तरह युवा कविता की बारहखड़ी के सारे सदस्यों ने
चिड़िया पर कविता लिखी।

चिड़िया बेचारी परेशान
उड़े तो कविता
न उड़े तो कविता।
तार पर बैठी हो या आँगन में
डाल पर बैठी हो या मुंडेर पर
कविता से बचना मुश्किल
मारे शरम मरी जाए।

एक तो नंगी,
ऊपर से कवियों की नज़र
क्या करे, कहाँ जाए
बेचारी अपनी जात भूल गई
घर भूल गई, घोंसला भूल गई

कविता का क्या करे
ओढ़े कि बिछाए, फेंके कि खाए
मरी जाए कविता के मारे
नासपीटे कवि घूरते रहें रात-दिन।

एक दिन सोचा चिड़िया ने
कविता में ज़िंदगी जीने से तो मौत अच्छी
मर गई चिड़िया
बच गई कविता।
कवियों का क्या,
वे दूसरी तरफ़ देखने लगे।
- शरद जोशी

Chidiya

ch ne chidiya par kavita likhi
use dekh chh aur j ne chidiya par kavita likhi
tab t, th, d, dha, na, ne
phir pa, ph, ba, bh aur madh, ne
y ne, r ne, la ne
is tarah yuwa kavita ki barahakhdi ke sare sadasyon ne
chidiya par kavita likhi
chidiya bechari pareshan
ude to kavita
na ude to kavita
tar par baithi ho ya angan mein
dal par baithi ho ya munder par
kavita se bachna mushkil
mare sharam mari jaye

ek to nangi,
upar se kawiyon ki nazar
kya kare, kahan jaye
bechari apni jat bhool gai
ghar bhool gai, ghonsla bhool gai

kavita ka kya kare
odhe ki bichhaye, phenke ki khaye
mari jaye kavita ke mare
naspite kawi ghurte rahen raat din

ek din socha chidiya ne
kavita mein zindagi jine se to maut achchhi
mar gai chidiya
bach gai kavita
kawiyon ka kya,
we dusri taraf dekhne lage
-Sharad Joshi

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