लघुकथाएँ
लघुकथाएँ वास्तव में छोटी कहानी न होकर किसी विशेष घटना, विषय या क्षण पर आधारित होती है | यह हिन्दी साहित्य की नवीनतम विधा है जिसका आकार अन्य विधाओं से छोटा होने के कारण बहुत पसंद किया जाता है | लघुकथा की विशेषता यह होती है कि कुछ शब्दों से लेकर कुछ पेरेग्राफ में यह अत्यंत गुढ़ बात कह जाती है | लघुकथा अपने अंत की और बहुत तेजी से बढती है | हिन्दी साहित्य की पहली लघुकथा कथाकार माधव राव सप्रे की "एक टोकरी भर मिट्टी" को माना जाता है परन्तु इस पर अभी भी बहुत कार्य बाकी है और यह शोध का विषय हो सकता है | लघुकथा को स्थापित करने में मुख्यतः हरिशंकर परसाई, विष्णु प्रभाकर, सआदत हसन मंटो जैसे लेखकों का हाथ रहा है |
- आत्ममंथन - महावीर उत्तरांचली
- साया - महावीर उत्तराचली
- दो नाक वाले लोग - हरिशंकर परसाई
- एक टोकरी भर मिट्टी - माधवराव सप्रे
- दिवाली के दीये - सआदत हसन मंटो
- शिकार को निकला शेर - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
- सांप (लघुकथा ) - डॉ. जिया उर रहमान जाफरी
- मंटो की पांच लघुकथाए
- चोरी का अर्थ - विष्णु प्रभाकर
- असली हक़दार - दिनेश दर्पण
- भगत सिंह..... मिथिलेश बरिया
- पदचिह्न - अहमद निसार
- पानी की जाति - विष्णु प्रभाकर
- फर्क - विष्णु प्रभाकर
- कीमत - दीपक मशाल
- विवशता (लघु कथा ) - हीरालाल नागर