देशभक्ति पर ग़ज़ल, कविता और कहानियाँ देशप्रेम एक जज़्बा है जिसे जगाने के लिये किसी स्वतंत्रता दिवस, स्वाधीनता दिवस या किसी और तरह के शोर्य दिवस की आवश्यक
देशभक्ति पर ग़ज़ल, कविता और कहानियाँ
देशप्रेम एक जज़्बा है जिसे जगाने के लिये किसी स्वतंत्रता दिवस, स्वाधीनता दिवस या किसी और तरह के शोर्य दिवस की आवश्यकता नहीं होती यह हर देश वासी के मन के भीतर होता है भले ही वह दबा छुपा हुआ हों | हम आप के लिये लाए है देश प्रेम से ओत-प्रोत ग़ज़ल, नज़्म और कविताओ का संग्रह |
देशभक्ति पर ग़ज़ल और नज़्म
अब कोई गुलशन ना उजड़े अब वतन आज़ाद है
रूह गंगा की हिमालय का बदन आज़ाद है
खेतियाँ सोना उगाएँ, वादियाँ मोती लुटाएँ
आज गौतम की ज़मीं, तुलसी का बन आज़ाद है
- साहिर लुधियानवी
आकर वतन से दूर तरक्की की छाव में,
परदेश हम ने बाँध लिए अपने पाँव में
रह कर अज़ीम शहरो में परवेज़ आज भी,
दिल का का कयाम है उसी छोटे से गाँव में
- परवेज़ मुजफ्फर
इक दिया नाम का आज़ादी के,
उसने जलते हुए होठो से कहाँ
चाहे जिस मुल्क से गेहूं माँगो,
हाथ फ़ैलाने की आज़ादी है
- कैफ़ी आज़मी
उठो हिन्द के बाग़बानो उठो
उठो इंक़िलाबी जवानो उठो
किसानों उठो काम-गारो उठो
नई ज़िंदगी के शरारो उठो
- अली सरदार जाफ़री
एक है अपनी ज़मीं ,एक है अपना गगन
एक है अपना जहाँ, एक है अपना वतन
अपने सभी सुख एक हैं, अपने सभी ग़म एक हैं
आवाज़ दो हम एक हैं
- जाँ निसार अख़्तर
किसी के सामने अब अपनी गर्दन झुक नहीं सकती
खुदा चाहे तो भारत की तरक्की रुक नहीं सकती।
- फय्याज ग्वालियरी
कोई तो सूद चुकाए, कोई तो ज़िम्मा ले
उस इंकलाब का, जो आज तक उधार सा है
- कैफी आज़मी
कोई भारत में अब दुख से तड़पता रह नहीं सकता,
गुलामी ऐसी आजादी से अच्छी कह नहीं सकता
किसी के सामने अब अपनी गर्दन झुक नहीं सकती,
खुदा चाहे तो भारत की तरक्की रुक नहीं सकती।
- फय्याज ग्वालियरी
ख़ूब आज़ादी-ए-सहाफ़त है
नज़्म लिखने पे भी क़यामत है
दा'वा जम्हूरियत का है हर-आन
ये हुकूमत भी क्या हुकूमत है
- हबीब जालिब
ख़्वाबों का गुलिस्ताँ है तू, अरमानों का चमन
जन्नत से कम नहीं है तू मेरे लिए वतन
इक गीत मैंने लिक्खा है तेरे लिए वतन
ख़्वाबों का गुल्सिताँ है तू, अरमानों का चमन
- रेख़्ता पटौलवी
ग़ुर्बत की ठंडी छाँव में याद आई उसकी धूप
क़द्र-ए-वतन हुई हमें तर्क-ए-वतन के बाद
- कैफी आज़मी
ग़ुर्बत में हों अगर हम रहता है दिल वतन में,
समझो वहीं हमें भी दिल हो जहाँ हमारा
- अल्लामा इकबाल
ज़मीने पाक अब नापकियो को ढो नहीं सकती
वतन की शम्मे आज़ादी कभी गुल हो नहीं सकती
कहो हिन्दुस्तान की जय ... कहो हिन्दुस्तान की जय ...
- मखदूम मोहिउद्दीन
जिस डाल में मसकीन है उसे काट रहे है,
अफ़सोस कि अपना ही लहु चाट रहे है
कब समझेगे हम लोग की इस देश के दुश्मन,
मज़हब की कतरनी से हमें छाट रहे है
- परवेज़ मुजफ्फर
दूर भारत से है अजीब है हम,
यानी खुशहाली से गरीब है हम
खून में अपने रच गया है वतन,
दूर रह कर बहुत करीब है हम
- परवेज़ मुजफ्फर
देंगे हम जान इस तिरंगे पर,
अपना ईमान इस तिरंगे पर।
हमको अभिमान इस तिरंगे पर,
देश का मान इस तिरंगे पर।
- अभिषेक कुमार अम्बर
देश है चाँद, उस का नूर है हम,
अपनी आज़ादी पे मसरूर है हम
नाम पर उसके दिल धडकता है,
यूँ तो हिन्दुस्तान से दूर है हम
- परवेज़ मुजफ्फर
धरती जो हम को देती अन्न
वही तो है भारत का धन
लहराए झंडा ये तिरंगा
गाते जाएँ हम जन मन गन
देश का मेरे नाम हो ऊँचा
चाहे भारत का हर इक जन
- बेताब अलीपुरी
प्यारा देश हमारा भारत
सारे जग से न्यारा भारत
कोह-ए-हिमाला इस का दरबाँ
दूध की हर-जा बहती नदियाँ
मस्त फ़ज़ा में अमृत बरसे
प्यारी धरती सोना अगले
- अबरार किरतपुरी
फ़ज़ा की आबरू है परचमे-गर्दूं वक़ार अपना,
कि है इस दौर की आज़ाद क़ौमों में शुमार अपना
- तिलोक चंद मरहूम
फ़सादियों से वतन को बचा के रखना है,
चिराग़ प्यार का हमको जला के रखना है
न जाने कौन मुसीबत में काम आ जाये,
हरेक शख्स से रिश्ता बना के रखना है
- अतुल अजनबी
फिर पहले जैसा आबाद हो जाऊं,
मै भी अशफ़ाक और आज़ाद हो जाऊं,
हो जाऊं उधम, राजगुरु और बिस्मिल,
वन्दे मातरम की फ़रियाद हो जाऊं,
हो मुकम्मल शेर ये वतन के लिए,
हर मिशरे पे मै इरशाद हो जाऊं
- आला चौहान मुसाफिर
बारूदों के ढेर पे अपना देश अगर जलता है,
जलने दो बस काम सियासत का अपना चलता है
ऐसे नेताओ को पहले सरहद पर पहुचाओ,
वतन की आग बुझाओ.... वतन की आग बुझाओ
- अल्लामा इकबाल
भारत प्यारा, देश हमारा, सब देशो से न्यारा है,
हर रूत, हर एक मौसम इस का, कैसा प्यारा-प्यारा है,
कैसा सुहाना, कैसा सुन्दर, प्यारा देश हमारा है |
दुःख में, सुख में हर हालत में, भारत दिल का सहारा है |
भारत प्यारा, देश हमारा, सब देशो से न्यारा है |
- हामिद अल्लाह अफ़सर मेरठी
भोले भाले है और जियाले है,
डेरा ब्रिटानिया में डाले है
नाज़ है हम को इस ताअल्लुक पर,
हम भी हिन्दुस्तान वाले है
- परवेज़ मुजफ्फर
मिट्टी भारत की चुमते है हम,
इतने खुश है की झूमते है हम
आँखों में नाचता है देश अपना,
और यूके में घूमते है हम
- परवेज़ मुजफ्फर
मुसलमाँ और हिन्दू की जान,
कहाँ है मेरा हिन्दोस्तान,
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ,
मिरे बचपन का हिन्दोस्तान
न बंगलादेश न पाकिस्तान,
मिरी आशा मिरा अरमान,
वो पूरा पूरा हिन्दोस्तान,
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ
- अजमल सुल्तानपुरी
मैं देश में ही ढूँढ़ रहा ऐसे देश को
हाथों में जिसके एक तिरंगा निशान था ।
इस भीड़ में कहीं गिरा है खो गया कहीं
इस देश का कभी जो एक संविधान था ।
- डॉ. हनुमंत नायडू
यह आसमां बनाया, सारा जहां बनाया
हिन्दोस्तां बनाया, सारा जहां बनाया
क्या शुक्र हो इलाही सब कुछ अता किया है
मेरे वतन को तूने जन्नत बना दिया है
- अफ़सर मेरठी
लहराए झंडा ये तिरंगा
गाते जाएँ हम जन मन गन
देश का मेरे नाम हो ऊँचा
चाहे भारत का हर इक जन
भारत माता की जय बोलें
इस पर वारें अपना तन-मन
- बेताब अलीपुरी
वतन का खाकर जवाँ हुए हैं, वतन की खातिर कटेगी गरदन।
है कर्ज हम पर वतन का, जितना अदा करेंगे लुटा के जाँ तन।।
- निज़ाम फतेहपुरी
वतन की आग बुझाओ .... वतन की आग बुझाओ
छोड़ के नफरत मिलजुल कर सब होली ईद मनाओ
बात वतन की आ जाये तो भगत सिंह बन जाओ
वतन की आग बुझाओ .... वतन की आग बुझाओ
- अल्लामा इक़बाल
वो आजादी, बहिश्तों की हवाएं दम भरें जिसका,
वो आजादी, फरिश्ते अर्श पर चरचा करें जिसका
हिमालय की तरह दुनिया में आज ऊंचा है सर अपना,
कि राज अपना है, काज अपना है, घर अपना है, दर अपना
- फय्याज ग्वालियरी
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
- बिस्मिल अज़ीमाबादी
सरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जाँ कहते हैं
हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं
- मुनव्वर राना
सरहदों पर तुम्हारे कदमो की
धुल उड़े और यह वतन महके
- अज़ीज़ अंसारी
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा
- अल्लामा इक़बाल
हम भी तिरे बेटे हैं ज़रा देख हमें भी,
ऐ ख़ाक-ए-वतन तुझ से शिकायत नहीं करते
- खुर्शीद अकबर
हरियाणा, कश्मीर, उड़ीसा, महाराष्ट्र, पंजाब
करें तुझे आदाब
कर्नाटक, बंगाल, आंध्रा, तमिल नाडु, आसाम
करते हैं प्रणाम
तेरे दरवाज़े पर सर ख़म केरल, राजस्थान
मेरे हिन्दुस्तान, मेरे हिन्दुस्तान
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
हिन्दोस्ताँ हमारा, सुंदर है और प्यारा
धरती है ये हमारी, ये स्वर्ग है हमारा
जिस तरह गंगा जमुना,
दो नद्दियाँ हैं प्यारी
ऐसी ही गंगा-जमनी
तहज़ीब है हमारी
- कौसर सिद्दीक़ी
हिन्दोस्तान तुम्हारा बच्चो
तुम हो हिन्दोस्तान के बच्चो
इस की शान तुम्ही से प्यारे
मालिक हो तुम आन के बच्चो
जय जय हिन्दोस्तान
- बेताब अलीपुरी
देशभक्ति पर कविता के अंश
अरुण यह मधुमय देश हमारा।
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को
मिलता एक सहारा।
सरस तामरस गर्भ विभा पर
नाच रही तरुशिखा मनोहर।
छिटका जीवन हरियाली पर,
मंगल कुंकुम सारा।।
- जयशंकर प्रसाद
आज तिरंगा फहराता है अपनी पूरी शान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी।
लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी।।
व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया।
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी।।
- सजीवन मयंक
उठो धरा के अमर सपूतों
उठो धरा के अमर सपूतों।
पुन: नया निर्माण करो।
जन-जन के जीवन में फिर से
नव स्फूर्ति, नव प्राण भरो।
- द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
उस सैनिक को करो सलाम
जिससे देश का ऊँचा नाम
जो सरहद पर जान गंवाते
जन गण मन को गाते -गाते
- डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो
प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कांतिमय हो
अज्ञान की निशा में, दुख से भरी दिशा में
संसार के हृदय में तेरी प्रभा उदय हो
- रामप्रसाद बिस्मिल
ऐ मेरे प्यारे वतन,
ऐ मेरे बिछड़े चमन
तुझ पे दिल कुरबान
तू ही मेरी आरजू़,
तू ही मेरी आबरू
तू ही मेरी जान
- प्रेम धवन
ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर ना आए
ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुरबानी
- प्रदीप
केरल से करगिल घाटी तक
गौहाटी से चौपाटी तक
सारा देश हमारा
जीना हो तो मरना सीखो
गूँज उठे यह नारा -
सारा देश हमारा
- बालकवि बैरागी
चल मरदाने, सीना ताने,
हाथ हिलाते, पाँव बढ़ाते,
मन मुसकाते, गाते गीत।
एक हमारा देश, हमारा
वेश, हमारी कौम, हमारी
मंज़िल, हम किससे भयभीत।
- हरिवंश राय बच्चन
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ।
चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ॥
मुझे तोड़ लेना वनमाली।
उस पथ में देना तुम फेंक॥
मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने।
जिस पथ जावें वीर अनेक॥
- माखनलाल चतुर्वेदी
जय जन भारत जन- मन अभिमत
जन गणतंत्र विधाता
गौरव भाल हिमालय उज्जवल
हृदय हार गंगा जल
कटि विंध्याचल सिंधु चरण तल
महिमा शाश्वत गाता, जय जन भारत …
- सुमित्रा नंदन पंत
जय जय प्यारा, जग से न्यारा,
शोभित सारा, देश हमारा,
जगत-मुकुट, जगदीश दुलारा
जग-सौभाग्य सुदेश!
जय जय प्यारा भारत देश।
- श्रीधर पाठक
जय तिरंग ध्वज लहराओ
दुर्ग और मीनारों पर
मंदिर और घर द्वारों पर
अंबर के नीले तल पर
सागर के गहरे जल पर
सत्य पताका फहराओ
- रमेश कौशिक
जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा
वो भारत देश है मेरा
जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा
वो भारत देश है मेरा
- राजेंद्र किशन
जिन्हें आत्म सम्मान रहा प्राणों से प्यारा
उन्हें याद करती अब भी गंगा की धारा
ले हाथों में शीश चले ऐसे मतवाले
आज़ादी के लिए हालाहल पीने वाले
आज़ादी के रखवालों को हृदय नमन है
जिनके त्याग तपोवन से माटी चंदन है
- सजीवन मयंक
नमो, नमो, नमो।
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!
नमो नगाधिराज - शृंग की विहारिणी!
नमो अनंत सौख्य - शक्ति - शील - धारिणी!
प्रणय - प्रसारिणी, नमो अरिष्ट - वारिणी!
नमो मनुष्य की शुभेषणा - प्रचारिणी!,
नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो!
- रामधारी सिंह दिनकर
पंद्रह अगस्त का दिन कहता --
आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाकी है,
रावी की शपथ न पूरी है।।
जिनकी लाशों पर पग धर कर आज़ादी भारत में आई।
वे अब तक हैं खानाबदोश ग़म की काली बदली छाई।।
- अटल बिहारी वाजपेयी
भारति जय विजय करे!
कनक शस्य कमल धरे!
लंका पदतल - शतदल
गर्जितोर्मि सागर - जल
धोता शुचि चरण युगल
स्तव कर बहु अर्थ भरे!
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
मन मोहनी प्रकृति की गोद में जो बसा है।
सुख स्वर्ग-सा जहाँ है वह देश कौन-सा है।।
जिसका चरण निरंतर रतनेश धो रहा है।
जिसका मुकुट हिमालय वह देश कौन-सा है।।
- रामनरेश त्रिपाठी
मुझे तोड़ लेना वनमाली।
उस पथ में देना तुम फेंक॥
मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने।
जिस पथ जावें वीर अनेक॥
- माखनलाल चतुर्वेदी
मेहनत से आज़ादी ली जो
इस पर सब को नाज़ रहेगा
सोने की चिड़िया है भारत
सब के सर का ताज रहेगा
जय जय हिन्दोस्तान
- बेताब अलीपुरी
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला
वीरों को हरषाने वाला
मातृभूमि का तन-मन सारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
- श्यामलाल गुप्त पार्षद
सरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जाँ कहते हैं
हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं
- मुनव्वर राना
हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल।
चाँदी सोने हीरे मोती से सजती गुड़ियाँ।
इनसे आतंकित करने की बीत गई घड़ियाँ
इनसे सज धज बैठा करते जो हैं कठपुतले
हमने तोड़ अभी फेंकी हैं बेड़ी हथकड़ियाँ
- हरिवंश राय बच्चन
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