हास्य-व्यंग्य संग्रह
व्यंग्य साहित्य की एक विधा है जिसमें उपहास, मज़ाक (लुत्फ ) और इसी क्रम में आलोचना का प्रभाव रहता है। व्यंग को मुहावरे मे व्यंग्यबाण कहा गया है।
हिन्दी में हरिशंकर परसाई और श्रीलाल शुक्ल इस विधा के प्रमुख हस्ताक्षर हैं।
उर्दू में व्यंग्य को तंज-ओ-मिज़ाह भी कहते है | तंज़, जिसे अंग्रेज़ी ज़बान में 'सटायर' कहते हैं उसकी शुरूआत कहाँ से और किसके ज़रिये हुई, इसपर विद्वानों की राय है कि दुनिया का पहला तंज़निगार आर.ई.लुक्स था जो यूनान में पैदा हुआ था। जो इनसाइक्लोपीडीया ऑफ़ ब्रिटैनिका में व्यंग्य-शिरोमणि के रूप में दर्ज है। ग़ुलाम अहमद काकोरवी का मानना है कि सटायर के लिए उर्दू ज़बान में कोई परिपूर्ण लफ़्ज़ नहीं है जिसके ज़रिये इसका सही अर्थ अदा हो सके। लिहाज़ा आम तौर पर तंज़ शब्द का इस्तेमाल होता है जो 'सटायर' के बहुत क़रीब है।
हिन्दी में हरिशंकर परसाई और श्रीलाल शुक्ल इस विधा के प्रमुख हस्ताक्षर हैं।
उर्दू में व्यंग्य को तंज-ओ-मिज़ाह भी कहते है | तंज़, जिसे अंग्रेज़ी ज़बान में 'सटायर' कहते हैं उसकी शुरूआत कहाँ से और किसके ज़रिये हुई, इसपर विद्वानों की राय है कि दुनिया का पहला तंज़निगार आर.ई.लुक्स था जो यूनान में पैदा हुआ था। जो इनसाइक्लोपीडीया ऑफ़ ब्रिटैनिका में व्यंग्य-शिरोमणि के रूप में दर्ज है। ग़ुलाम अहमद काकोरवी का मानना है कि सटायर के लिए उर्दू ज़बान में कोई परिपूर्ण लफ़्ज़ नहीं है जिसके ज़रिये इसका सही अर्थ अदा हो सके। लिहाज़ा आम तौर पर तंज़ शब्द का इस्तेमाल होता है जो 'सटायर' के बहुत क़रीब है।
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