राष्ट्र का सेवक - मुंशी प्रेमचंद

राष्ट्र का सेवक

राष्ट्र के सेवक ने कहा, "देश की मुक्ति का एक ही उपाय है और वह है नीचो के साथ भाईचारे का सलूक, पतितो के साथ बराबरी का बर्ताव | दुनिया में सभी भाई-भाई है, कोई नीचा नहीं, कोई ऊँचा नहीं |"

दुनिया ने जय-जयकार की - कितनी विशाल दृष्टि है, कितना भावुक ह्रदय ! उसकी सुन्दर लड़की इंदिरा ने सुना और चिंता के सागर में डूब गई |
राष्ट्र के सेवक ने नीची जात के नौजवान को गले लगाया |
दुनिया ने कहां, " यह फरिश्ता है, पैगंबर है, राष्ट्र की नैय्या का खिवैया है |" इंदिरा ने देखा और उसका चेहरा चमकने लगा |
राष्ट्र का सेवक नीची जात के नौजवान को मंदिर में ले गया, देवता के दर्शन कराए और कहा, "हमारा देवता गरीबी में है, जिल्लत में है, पस्ती में है |"
दुनिया ने कहा, " कैसे शुद्ध अंत:करण का आदमी है, कैसा ज्ञानी ?"
इंदिरा ने देखा और मुस्कुराई |
इंदिरा राष्ट्र के सेवक के पास जाकर बोली "श्रद्धेय पिताजी, मै मोहन से ब्याह करना चाहती हूँ |"
राष्ट्र के सेवक ने प्यार की नजरो से देखकर पूछा, "मोहन कौन है ?"
इंदिरा ने उत्साह भरे स्वर में कहा, "मोहन वही नौजवान है, जिसे आपने गले लगाया, जिसे आप मंदिर में ले गए, जो सच्चा, बहादुर और नेक है |"
राष्ट्र के सेवक ने प्रलय की आँखों से उसकी और देखा और मुँह फेर लिया |

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