क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता - वसीम बरेलवी

क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता आँसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता तू छोड़ रहा है तो ख़ता इस में तिरी क्या हर शख़्स मिरा साथ निभा भी नहीं सकता

क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता

क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता
आँसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता

तू छोड़ रहा है तो ख़ता इस में तिरी क्या
हर शख़्स मिरा साथ निभा भी नहीं सकता

प्यासे रहे जाते हैं ज़माने के सवालात
किस के लिए ज़िंदा हूँ बता भी नहीं सकता

घर ढूँढ रहे हैं मिरा रातों के पुजारी
मैं हूँ कि चराग़ों को बुझा भी नहीं सकता

वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाए
ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता - वसीम बरेलवी


kya dukh hai samundar ko bata bhi nahi sakta

kya dukh hai samundar ko bata bhi nahi sakta
aansu ki tarah aankh tak aa bhi nahi sakta

tu chhod raha hai to khata is me tiri kya
har shakhs mira sath nibha bhi nahi sakta

pyase rahe jate hai zamane ke sawalat
kis ke liye zinda hun bata bhi nahi sakta

ghar dhundh rahe hai mira raato ke pujari
mai hun ki charagho ko bujha bhi nahi sakta

waise to ik aansu hi baha kar mujhe le jaye
aise koi tufaan hila bhi nahi sakta - Waseem Barelvi

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