मुझको अपने बैंक की किताब दीजिए - मंज़र भोपाली

मुझको अपने बैंक की किताब दीजिए देश की तबाही का हिसाब दीजिए गाँव गाँव ज़ख़्मी फिजाएँ हो गई ज़हरीली घर की हवाएँ हो गई महँगी शराब से दवाएँ हो गई जाइए आवाम को जवाब दीजिए

मुझको अपने बैंक की किताब दीजिए

मुझको अपने बैंक की किताब दीजिए
देश की तबाही का हिसाब दीजिए

गाँव गाँव ज़ख़्मी फिजाएँ हो गई
ज़हरीली घर की हवाएँ हो गई
महँगी शराब से दवाएँ हो गई
जाइए आवाम को जवाब दीजिए

लोग जो ग़रीब थे हक़ीर हो गए
आप तो ग़रीब से अमीर हो गए
यानि हुज़ूर बेज़मीर हो गए
ख़ुद को बेज़मीरी का ख़िताब दीजिए

जेब है आवाम की सफाई कीजिए
लूट के गरीबो की भलाई कीजिए
कुछ तो निगाहों को हिजाब दीजिए

कैसी कैसी देखो योजनायें खा गए
बेच कर ये अपनी आत्माएँ खा गए
मार के मरीज़ों की दवाएँ खा गए

इन्हें पद्मश्री का ख़िताब दीजिए
देश की तबाही का हिसाब दीजिए ~ मंज़र भोपाली


mujhko apne bank ki kitab dijiye

mujhko apne bank ki kitab dijiye
desh ki tabahi ka hisab dijye

gaon gaon zakhmi fijzaen ho gai
zahrili ghar ki hawae ho gai
mahangi sharab se dawae ho gai
jaiye aawam ko jawab dijiye

log jo gareeb the haqeer ho gaye
aap to gareeb se ameer ho gaye
yani huzoor bezameen ho gaye
khud ko bezamiri ka khitab dijiye

jeb hai awam ki safai kijiye
loot ke gareebo ki bhalai kijiye
kuchh to nigaaho ko hizab dijiye

kaisi kaisi dekho yojnayen kha gaye
bech kar ye apni aatmayen kha gaye
maar ke marizo ki dawaye kha gaye

inhe padmshree ka khitab dijiye
desh ki tabahi ka hisab dijiye - Manzar Bhopali

Post a Comment

कृपया स्पेम न करे |

Previous Post Next Post