खड़े है मुझको खरीदार देखने के लिए मै घर से निकला था बाज़ार देखने के लिए हज़ार बार हजारो की सम्त देखते है तरस गए तुझे एक बार देखने के लि...
खड़े है मुझको खरीदार देखने के लिए - राहत इंदौरी
खड़े है मुझको खरीदार देखने के लिए - राहत इंदौरी
खड़े है मुझको खरीदार देखने के लिए मै घर से निकला था बाज़ार देखने के लिए हज़ार बार हजारो की सम्त देखते है तरस गए तुझे एक बार देखने के लि...
फिर गर्म हुआ आन के बाज़ार चूहों का। हमने भी किया खोमचा तय्यार चूहों का। सर पांव कुचल कूट के दो चार चूहों का। जल्दी से कचूमर सा किया मार ...
दे सकेगा क्या किसी को वो ख़ुशी खौफ़ में जिसने बिताई ज़िन्दगी सिर्फ़ कहने का तरीका है नया बात कोई भी नहीं है अनकही उम्र भर की शोहरतों का य...
क्यों सबको कन्फ्यूज़ करेंगे नहीं प्लास्टिक यूज़ करेंगे पॉलीथिन में जो आता है कब धरती में गल पाता है उपजाऊ जो ज़मीं न होगी खा कर क्या फि...
बदल गया है आज ज़माना बदल गईं हैं दादी भी पहले वाली नहीं है बंदिश मिली उन्हें आजादी भी कंप्यूटर को खोल के ख़ुद से गूगल तक वो जाती हैं ...
यहाँ ग़ज़ल अज़ीज़ क़ैसी साहब की आपको देखकर देखता रह गया ग़ज़ल की ज़मीन पर ही लिखी गई है आप को देख कर देखता रह गया क्या कहुँ और कहने को क...