हुकूमत, हुक्मरान, सरकार पर शायरी

हुकूमत, हुक्मरान, सरकार पर शायरी

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हुकूमत, हुक्मरान, सरकार पर शायरी अंधेरो कि हुकूमत जब पड़ती है खतरे में, जुगनू तब खुद की रोशनी पे नाज करता है - नीशीत जोशी अंजाम है लाज़िम हर शय का, ऐ..

हुकूमत, हुक्मरान, सरकार पर शायरी

हुकूमत, हुक्मरान, सरकार पर शायरी

हुकूमत, हुक्मुरान, सरकार पर कई शायरों ने बहुत कुछ लिखा है | कई शायरों और रचनाकारों ने हुकूमत, सरकार को अपनी रचना/कविता/शायरी में जगह दी है | यह शेर किसी तरह से हुकूमत की आलोचना करते हुए होते है या फिर किसी तरह का व्यंग्य किया है हुकुमत, सरकार को लेकर | इनमे शायर अपने महबूब को लेकर या फिर देश की सरकार को लेकर लिखे शेर भी शामिल है | हम आपके लिए लाए है हुकूमत, हुक्मुरान और सरकार पर लिखे गए सभी बेहतरीन शेर का संग्रह |


अंजाम है लाज़िम हर शय का, ऐ हाकिम-ए-दौरां याद रहे
जिनकी थी हुकूमत दुनिया पर, अब ख़ाक हैं कब्रिस्तानों की
- जगजीत काफ़िर



अंधेरो कि हुकूमत जब पड़ती है खतरे में,
जुगनू तब खुद की रोशनी पे नाज करता है
- नीशीत जोशी



अदल से कर सल्तनत ऐ दिल तू तन के मुल्क में
वक़्त-ए-फ़ुर्सत बूझ ले ये हुक्मरानी फिर कहाँ
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम



अपनी हुकूमत है फिर भी
भूखे है, कुछ काम न काज
माना की बरबाद हुए
मिल तो गया हमको स्वराज
- अदीबी मालिगाँवी



अब नुमाइश की हुकूमत और हारी सादगी
हम को तो हर तौर ले डूबी हमारी सादगी
- सीमा ‘नयन’



अभी बदला हैं हमने हुक्मरान, हुकूमत नहीं
हुक्मरानों से जो बदल जाएँ वह हुकूमत नहीं
आप चले थे बदलने इस मुल्क का निज़ाम
भाई वह ख्वाब थे तेरे, तेरी हुकूमत नहीं
- गणेश कनाटे



अल्लाह खैर हो बड़ी आफत मे आ गये
हम बा वकार लौग सियासत मे आ गये
हुक्काम अपनी अपनी अना मे खड़े रहे
महकूम मिल मिला हुकूमत मे आ गये
- महक कैरानवी



अहल-ए-दिल ने कभी मख़लूत हुकूमत न बनाई
अक़्ल वालों ने भी बे-शर्त हिमायत नहीं दी
- फ़रहत एहसास



आई इधर ख़बर नई कल हुक्मरान से,
टी0वी0 पे जो दिखा रहे हैं देख ध्यान से
- आनन्द पाठक



आग़ाज़-ए-मोहब्बत है आना है न जाना है
अश्कों की हुकूमत है आहों का ज़माना है
- जिगर मुरादाबादी



आज इक दाना-ए-गंदुम के भी हक़दार नहीं
हम ने सदियों इन्हीं खेतों पे हुकूमत की है
- राहत इंदौरी



आज ही से वो अच्छा सा कल चाहिए,
हम को नारा नहीं, हमको हल चाहिए
और ढोंएँ कहां तक परेशानियाँ,
अब हुकूमत के माथे पे बल चाहिए
- अशोक मिज़ाज बद्र



आह ये महकी हुई शामें ये लोगों के हुजूम
दिल को कुछ बीती हुई तन्हाइयाँ याद आ गईं
- ज़हीर काश्मीरी



इंसान उठ खड़ा हुआ हुकूमत बदल गई
आवाम की जहां में रिवायत बदल गई
- अनिल उदित जैन



इक उम्र से क़ाएम है ये रातों की हुकूमत
इक उम्र से मैं ख़्वाब-ए-सहर देख रहा हूँ
- बालमोहन पांडेय



इतना नादिम तो नही मैं भी खुशामद करके
जितना शर्मिंदा है अर्ज़ी वो मेरी रद करके
उम्रभर नींद की बस्ती पे हुक़ूमत की है
मेरी आँखों ने तेरे ख़ाब को मसनद करके
- सलीम सिद्दीकी



इश्क़ ने जब भी किसी दिल पे हुकूमत की है
तो उसे दर्द की मेराज इनायत की है
- जव्वाद शैख़



इस क़दर था खटमलों का चारपाई में हुजूम
वस्ल का दिल से मिरे अरमान रुख़्सत हो गया
- अकबर इलाहाबादी



इस दौर-ए-आख़िरी की जहालत तो देखिए
जिस की ज़बाँ-दराज़ हुकूमत उसी की है
- बशीर महताब



ए काश हम यह सोच लेते पहले इन्तेखाब से
हमारी एक उम्र हुक्मरान पर है मुनहसर
- आसिफ़ अमान सैफी



एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना
- मुनव्वर राना



ऐसा नहीं कि उनसे मुहब्बत नहीं रही
जज़्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही
सर में वो इन्तज़ार का सौदा नहीं रहा
दिल पर वो धड़कनों की हुकूमत नहीं रही
- ख़ुमार बाराबंकवी



कई पैवंद वाली इक पुरानी शाल लगती है
हमारी तरह दुनिया भी हमें कंगाल लगती है
मेरे शेरों पे खुश हो कर मुझे इनआम दे डाला
हुकूमत की मुझे इस में भी कोई चाल लगती है
- क़दीर राना



क़लम छुपाए बैठे हैं जो आज हुकूमत के डर से
सदियाँ लानत भेजेंगी ऐसे घटिया फ़नकारों पर
- सिराज फैसल खान



कश्ती-ए-मय को हुक्म-ए-रवानी भी भेज दो
जब आग भेज दी है तो पानी भी भेज दो
- जोश मलीहाबादी



कितने हसीन चेहरे हैं महफ़िल में अबकी बार
ये देखना है दिल प हुकूमत करेगा कौन
- सत्याधार सत्या



किसको गरज़ है आज किसानों के दर्द से
हावी है हुक्मरान पे दरबार का मज़ा
- राजीव कुमार



किसी पर क्या हुकूमत कर सकेंगे हम सरीखे लोग
ख़ुद अपने आप पर ही जिनकी सुल्तानी नहीं होती
- मधु मधुमन



किस्मत पे अपनी रो दिए शाहों के तख्तो ताज
दरवेश ने दिलों कि हुकूमत खरीद ली
- मंसूर उस्मानी



कोई शय जाविदानी नहीँ है
मोतबर ज़िन्दगानी नहीँ है
सारी दुनिया पे अपनी हुकूमत
गो कहीँ राजधानी नहीँ है
- मिनाक्षी जिजीविषा



कौन सी दुश्वारियाँ थीं जिन का सोचा ये इलाज
थी क्लरकों की हुकूमत को निहायत एहतियाज
- सय्यद मोहम्मद जाफ़री



क्या चले उसकी हुक्मरानी पर
रोक लगने लगी रवानी पर
- डॉ. मुस्तफ़ा माहिर



क्या हुकूमत कोई, अप्सरा है नयी ?
जिसके ख़ातिर कई, दलबदल हो गए
- कलीम खान



ख़त्म हो जंग ख़राबे पे हुकूमत की जाए
आख़िरी मारका-ए-सब्र है उजलत की जाए
- इरफ़ान सिद्दीक़ी



ख़त्म होने को है हुकूमत-ए-शब
इक नई सुब्ह शम्अ-दान में है
- अज़ीज़ नबील



ख़ुदा के पाक बंदों को हुकूमत में ग़ुलामी में
ज़िरह कोई अगर महफ़ूज़ रखती है तो इस्तिग़्ना
- अल्लामा इक़बाल



ख़ुशियों से कराना है रईयत का तअर्रुफ़
और तर्ज़-ए-हुकूमत को बदलना भी नहीं है
- लकी फारुक़ी



ख़ुशी तलाश न कर मुफ़लिसों की बस्ती में
ये शय अभी तो यहाँ हुक़्मरान रखते हैं
- नूर मोहम्मद नूर



ख़्वाहिश न हुकूमत की मुझे, और न ज़र दे
अल्लाह मेरे दिल को तू एख़लास से भर दे
- हसन फ़तेहपुरी



ग़म देके हमको इस तरह वो आजमा रहे
जैसे की रस्में-इश्क़ वो हमसे निभा रहे
इन रहबरों ने आदमी को आदमी से अब
मज़हब में बाँट कर वो हुकूमत चला रहे
- शाबान अली



ग़रीबों पर तो मौसम भी हुकूमत करते रहते हैं
कभी बारिश कभी गर्मी कभी ठंडक का क़ब्ज़ा है
- मुनव्वर राना



गली कूचो में गुरबत रो रही है
हुकूमत आंख मूँदे सो रही है
- मन्नान फ़राज़



चन्द बहरे जो हुक्मरान हुए
सब क़लम टूटे बेज़ुबान हुए
- भावेश दिलशाद



चराग़, शम'अ, सितारे, ज़िया-फ़िशाँ 'ख़ुरशीद',
अँधेरे की है हुकूमत बचा नहीं कुछ भी
- ख़ुरशीद' खैराड़ी जोधपुर



चराग़ों से गवाही क्या मिलेगी
हवाओं की हुक़ूमत चल रही है
- विवेक मिश्र



चलो माना , कि दौलत लाज़मी है
प दौलत पर हकूमत लाज़मी है
वो कहते हैं , कि बेग़ैरत हैं नेता
तो क्या इनको भी ग़ैरत लाज़मी है ?
- सुरजीत होश बदसाली



चुप रहे हैं तो ज़माना नहीं रहने देता
बोलते हैं तो हुकूमत नहीं रहने देती
- शैलेन्द्र पाण्डेय शैल



जंग से आएंगे अच्छे दिन यहां
है हुकूमत को वहम हम क्या करें
- जगन्नाथ पटौदी



जब तलक आँख से तेरी न शरारत होगी
तब तलक क़ल्ब में शुब्हों की हुकूमत होगी
- शिवोम मिश्र



जब मैं कहता हूँ कि या अल्लाह मेरा हाल देख
हुक्म होता है कि अपना नामा-ए-आमाल देख
- अकबर इलाहाबादी



जब हुकूमत है शहर भर में अँधेरों की,
चंद शीशे के घरों में रोशनी क्यों है
- अशोक रावत



ज़मीन अपनी फ़ज़ा अपनी आसमान अपना
हुकूमत अपनी अलम अपना और निशान अपना
- सिराज लखनवी



ज़मीने दिल पे हुकूमत किसी ने ऐसे की
चुका रहा हूँ अभी तक लगान जैसा कुछ
- कुणाल दानिश



ज़मीनों पर तो क़ब्ज़ा आपका है
दिलों पर मैं हुकूमत कर रहा हूँ
- गुलशन प्रेम



जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिस में
बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते
- अल्लामा इक़बाल



जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिस में
घोड़ों की तरह बिकते हैं इंसान वग़ैरा
- अनवर मसूद



ज़ह्न पर दिल की हुकूमत का है पहरा ऐसा
सोचना भी हो तुझे तो भी हदें होती है
- नवीन जोशी



ज़िंदगी हमने बिताई अपनी सूरत से
कुछ लिया बेचारगी से, कुछ बग़ावत से
सोचकर क़िस्मत ने दी दोनोंको हैरानी
हम ग़ुलामी से परेशां, वो हुकूमत से
- रूह क्रांति साडेकर



जितना की हुक्मरान समझते हैं मुल्क को,
उतनी भी बेअकल अवाम होती नहीं है
- संचित पांडेय



जिसे भी देखिये नाराज़ दिखता है हुक़ूमत से
मगर फिर भी सभी को बादशाहों की ज़ुरूरत है
- नविन सी चतुर्वेदी



ज़ुल्म की लाठी उन्नत है इस शह्र में,
बदजनों की हुक़ुमत है इस शह्र में
- संजय दानी



जो बोलते हैं हुक्मरान की ज़बान से
मेरी नज़र से ऐसे हर अखबार हटा दो
- अनुपम अजनबी



डाकुओं के दौर में परहेज़-गारी जुर्म है
जब हुकूमत ख़ाम हो तो पुख़्ता-कारी जुर्म है
- जोश मलीहाबादी



तख़्त पलटते हैं, और ये हुक़्मरान भी जाते हैं
इनकी पशोपेश में सैकड़ों, इंसान भी जाते हैं
- चन्द्रकान्त बाजपई



तमाम फ़ैसले ऐलान कर रहे हैं तेरे
है तेरा दिल कई ज़ेहनों की हुक्मरानी में
- नुसरत मेहदी



तमाम सम्त हवाओं की ही हुकूमत है
कोई चराग़ जलाना भी अब बग़ावत है
- संगीता राइकवार



तराज़ू थरथराते हैं अदालत हार जाती है !
मोहब्बत करने वालों से हुकूमत हार जाती है
- अनवर हुसैन मलिक



तसव्वुर में जहांभर पे हुकूमत
हक़ीक़त आबोदाना ढूंढती है
- अनंत नांदुरकर ‘ख़लिश’



तुम्हारे अहद-ए-हुकूमत का सानेहा ये है
कि अब तो लोग घरों से भी कम निकलते हैं
- मुनव्वर राना



तू अपनी हुकूमत के लिए जुल्म करेगा
परवरदिगार तुझसे बड़ा हुक्मरान है
- अनुपम अजनबी



तो उससे कह दो कि वो आए देख ले आकर
लगाया हमने था जम्हूरियत का जो पौधा
- जावेद अख़्तर



दर व दीवार पे सब्जे की हुकूमत है यहाँ
होगा ग़ालिब का कभी अब तो यह घर मेरा है
- अनवर जलालपुरी



दा'वा जम्हूरियत का है हर-आन
ये हुकूमत भी क्या हुकूमत है
धाँदली धोंस की है पैदावार
सब को मा'लूम ये हक़ीक़त है
- हबीब जालिब



दिये अब शहर में रौशन नहीं हैं
हवा की हुक्मरानी हो गई क्या
- नसीम सहर



दिल में मुझे तुम अपने बसा क्यों नहीं लेते
इक राज़ के मानिंद छुपा क्यों नहीं लेते
कब तक यूँ अँधेरे की हुक़ूमत में है रहना
सूरज को हथेली पे उगा क्यों नहीं लेते
- मंजु कछावा 'अना' ‎



दुनिया में सदा चलती है चाहत की हुकूमत
आ जाओ मना लेंगे हम इतवार किसी दिन
- बद्र वास्ती



देखकर बेदर्द तेरी ये हुकूमत
लाश अपनी मैं उठाये घूमता हूँ
- 'ऐनुल' बरौलवी



दोनों का खून चाहता है हुक्मरान अब
छोड़ो धरम की बात कही दिल बहक न जाए
- एजाज़ शेख



दौलत के फ़रेबी बंदों का ये किब्र और नख़वत मिट जाए
बर्बाद वतन के महलों से ग़ैरों की हुकूमत मिट जाए
- आमिर उस्मानी



दौलत है बड़ी चीज़ हुकूमत है बड़ी चीज़
इन सब से बशर के लिए इज़्ज़त है बड़ी चीज़
- नूह नारवी



न क्योँ हो जाएं अच्छे लोग पागल
हुकूमत, पागलों की हर कहीं है
- नूर मोहम्मद नूर



न ही हुक्मराँ की हुकूमत बचेगी
मोहब्बत बचेगी मोहब्बत बचेगी
- आरुष सरकार



न हो मुख़िल मिरे अंदर की एक दुनिया में
बड़ी ख़ुशी से बर-ओ-बहर पर हुकूमत कर
- राजेन्द्र मनचंदा बानी



नई मोहब्बत.....नए उसूलों के साथ होगी
दिमाग़ पर दिल की हुक्मरानी नहीं चलेगी
- शकील जमाली



नामों का इक हुजूम सही मेरे आस-पास
दिल सुन के एक नाम धड़कता ज़रूर है
- साक़ी फ़ारुक़ी



निज़ाम दुनियाँ का हरगिज़ बदल नहीं सकता
कहीं भी मिट्टी का सिक्का तो चल नहीं सकता
चला था बारे - हुकूमत उठाने वो ज़ालिम
लगी वो चोट के करवट बदल नहीं सकता
- अजमेर अंसारी "कशिश"



प्यार था पहले जहाँ, अब सिर्फ़ नफ़रत रह गई
अब चमन में सिर्फ़ काँटों की हुकूमत रह गई
- हसन फ़तेहपुरी



फ़क़त नाम-ए-मोहब्बत पर हुकूमत कर नहीं सकते
जो दुश्मन से कभी लड़ने की तय्यारी नहीं रखते
- अब्बास दाना



फसादों से उख़ुवत की जड़ें कमज़ोर होती हैं
बग़ावत से हुकूमत की जड़ें कमज़ोर होती हैं
- मोहसीन आफ़ताब केलापूरी



फिर इस मज़ाक़ को जम्हूरियत का नाम दिया
हमें डराने लगे वो हमारी ताक़त से
- नोमान शौक़



बदली हुकूमतें मगर न किस्मतें बदलीं,
मुश्किलजदा लोगों को सबने दर बदर किया।
- रमेश तैलंग



बम उगाएँगे अदम दहक़ान गंदुम के एवज़
आप पहुँचा दें हुकूमत तक हमारा ये पयाम
- अदम गोंडवी



बला से कश्तियां सब डूब जाएं
समंदर तो हुकूमत कर रहा है
- अनवर हुसैन मलिक



बहुत सा झूठ बोलो तो हुकूमत मिल भी सकती है
बुरे लोगों को शैतानों से ताक़त मिल भी सकती है
गवाही भूल जाओगे, वकालत छूट जायेगी
हुकूमत के इरादों से अदालत मिल भी सकती है
- डॉ.असद निज़ामी



बाग़-ए-बहिश्त से मुझे हुक्म-ए-सफ़र दिया था क्यूँ
कार-ए-जहाँ दराज़ है अब मिरा इंतिज़ार कर
- अल्लामा इक़बाल



बिछड़ के भी दिल पर हुकूमत है उसकी
रिहाई भी मेरी रिहाई नहीं है
- सिया सचदेव



बुरा लगेगा हुकूमत के ख़ैरख़्वाहों को
महल में जाके लिहाज़ा सवाल मत करना
- उस्मान मीनाई



बे -क़द पड़े हुए हैँ क़द्दावर ज़मीन पर
बौनों की चल रही है हुकूमत पहाड़ पर
- नूर मोहम्मद नूर



बे-दिमाग़ी बंदा-परवर इस क़दर
आप की सब पर हुकूमत ही सही
- इस्माइल मेरठी



बे-सदा आवाम से जम्हूरियत चलती नहीं
क्यूँ हुकूमत कान दे इक बेज़बाँ की बात पर
- डॉ मनोज कुमार “मनु”



भर दुपहरी में कहा करता है साया मुझ से
धूप से तंग हूँ कुछ देर लिपट जा मुझ से
मैं न हाकिम, न हुकूमत, न हवाला, न हुजूम
क्यों सवालात किया करती है दुनिया मुझ से
- नवीन सी.चतुर्वेदी



भूक के क़ानून में ईमानदारी जुर्म है
और बेईमानियों पर शर्मसारी जुर्म है
डाकुओं के दौर में परहेज़गारी जुर्म है
जब हुकूमत ख़ाम हो तो पुख़्ताकारी जुर्म है
- जोश मलीहाबादी



भूक-ग़रीबी-बेकारी से ध्यान हटाने की ख़ातिर
जात-धरम में बांट हुकूमत, आपस में लड़वाती है
- शिवशरण बंधू



मालो-दौलत से, हुकूमत से, न इल्मो-फ़न से
अच्छे अख़लाक़ से इंसान बड़ा लगता है
- अज़हर बख्श



मिरी ग़ज़ल की तरह उस की भी हुकूमत है
तमाम मुल्क में वो सब से ख़ूबसूरत है
- बशीर बद्र



मिरी ग़ज़ल की तरह उसकी भी हुकूमत है
तमाम मुल्क में वो सबसे खूबसूरत है
- बशीर बद्र



मिरे दिल पर उसी की है हुकूमत
लकीरों में मिरी जिस का निशाँ है
- अल्का मिश्रा



मुझे सब आदमी कहते हैं लेकिन
हुकूमत की नज़र में, बस वोट हूँ मैं
- शाहिद अंजुम



मेरी बारी पे हुकूमत ही बदल जाती है
अब वज़ारत को ग़ुबारे की हवा कहते हैं
- खालिद इरफ़ान



मेरे दिल पे क़ाइम हुकूमत तुम्हारी
मेरी शाइरी है बदौलत तुम्हारी
- नज़र द्विवेदी



मैं अपनी ज़ात में ख़ुद से झगड़ता रहता हूँ
वो चाहता है रहूँ उस की हुक्मरानी में
- यासीन आतिर



मैं इक मज़दूर हूँ रोटी की ख़ातिर बोझ उठाता हूँ
मिरी क़िस्मत है बार-ए-हुक्मरानी पुश्त पर रखना
- एहतिशामुल हक़ सिद्दीक़ी



मैं इस लिए हुजूम का हिस्सा नहीं बना
सूरज कभी नुजूम का हिस्सा नहीं बना
- शाहिद माकुली



मैं चला जाऊँगा दुनिया से सिकंदर की तरह
अगली सदियों पे तिरा नाम हुकूमत करेगा
- मक़सूद आफ़ाक़



मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है
हुकूमत के इशारे पे तो मुर्दा बोल सकता है
हुकूमत की तवज्जो चाहती है ये जली बस्ती
अदालत पूछना चाहे तो मलबा बोल सकता है
- मुनव्वर राना



मैं ने इक दिल पे हुकूमत क्या की
मुझे तलवार थमा दी गई है
- नदीम भाभा



मैं ने कितने रस्ते बदले लेकिन हर रस्ते में 'फ़रोग़'
एक अंधेरा साथ रहा है रौशनियों के हुजूम लिए
- रईस फ़रोग़



मैं ने भेजा तुझे ऐवान-ए-हुकूमत में मगर
अब तो बरसों तिरा दीदार नहीं हो सकता
- अहमद नदीम क़ासमी



मैंने मुल्कों की तरह लोगों के दिल जीते हैं
ये हुकूमत किसी तलवार की मोहताज नहीं
- राहत इन्दौरी



मैदान-ए-जंग में मत देख दोस्त दुश्मन,
ये देख हुकूमत किसकी है मरता कौन है
- शाहरुख मोईन



यक़ीनन ज़िन्दगी की जब कभी तफ़्सीर लिक्खेंगे
हुकूमत को सदा हम पांव की ज़ंजीर लिक्खेंगे
- डॉ. यासमीन मूमल



यहाँ ऐसा भी होता है कि ताक़त हार जाती है,
कभी इक आम इन्सां से हुकूमत हार जाती है
- अशोक मिज़ाज बद्र



यहाँ तो तेरी हुकूमत का कारख़ाना था
कभी हमारे ग़मों का हिसाब देता चल
- अनवर नदीम



यार इक बार परिंदों को हुकूमत दे दो
ये किसी शहर को मक़्तल नहीं होने देंगे
- अब्बास ताबिश



ये आदमी पे हुकूमत तुम्हें मुबारक हो
फ़क़ीर कैसे छुपे ख़ुश-लिबास हो कर भी
- नदीम भाभा



ये दबदबा ये हुकूमत ये नश्शा-ए-दौलत
किराया-दार हैं सब घर बदलते रहते हैं
- बेकल उत्साही



ये भी है कोई हुकूमत जिस की लाठी उस की भैंस
जानते हो इस का जो अंजाम होना चाहिए
- आज़म जलालाबादी



ये सड़ी लाशों की बदबू और ये शो'लों का रक़्स
है ज़मीं पर आज किस की हुक्मरानी क्या लिखूँ
- बदरुल हसन बदर



ये हुकूमत के पुजारी हैं ये दौलत के ग़ुलाम
जो जहन्नम की मुसीबत से डराते हैं मुझे
- अली सरदार जाफ़री



ये हुकूमत ये ग़ुलामी ये बग़ावत की उमंग
क़ल्ब-ए-आदम के ये रिसते हुए कोहना नासूर
- जाँ निसार अख़्तर



ये हुकूमत है जंग है कि वबा
कर दिया किसने क़त्ल-ए-आम शुरूअ
- राम प्रकाश बेख़ुद



रख ज़रा इत्मिनान, बदलेगा
एक दिन हुक़्मरान बदलेगा
- अनुज 'अब्र'



रियाया से भी दुनिया में वतन पहचाना जाता है
हुकूमत सिर्फ़ सरकारों से अंदाज़ा नहीं होता
- उत्कर्ष गाफ़िल



रूई सा है फ़ाजिज़्म तो जन-रोष आग सा
है नाक हुकूमत की सुलगती कपास में
- बी.आर.विप्लवी



रौशनी जो हुकूमत ज़माने लगी
अँधेरे यहाँ दर-ब-दर हो गए
- अविनाश बागडे



लाइसेंसों का मौसम है
कंवेंशन को क्या ग़म है
आज हुकूमत के दर पर
हर शाही का सर ख़म है
दर्से ख़ुदी देने वालों को
भूल गई इक़बाल की याद
सद्र अय्यूब ज़िन्दाबाद
- हबीब जालिब



लिखा कलाम है ख़ुश्बू से जिसने इस दिल पे,
वो हुक्मरान मेरा हौसला समझता है
- आफ़ताब अतहर आरवी



ले जा ये तखतो ताज हुकुमत ये सल्तनत
हम हैँ फकीर हम को गुनाह गार मत बना
- डॉ. अनीस बोसतानी



हुकुमत पर शायरीलोकतंन्त्र का तंत्र न पूछो प्रत्याशी कम्प्यूटर होंगे और हुकूमत की कुर्सी पर क़ाबिज़ चंद घराने होंगे
लोकतंन्त्र का तंत्र न पूछो प्रत्याशी कम्प्यूटर होंगे
और हुकूमत की कुर्सी पर क़ाबिज़ चंद घराने होंगे
- बेकल उत्साही



वक़्त से बढ़ के न बलवान हुआ कोई भी
एक दिन तेरी हुकूमत भी चली जाएगी
- कुलदीप गर्ग तरुण



वज़ीर-ए-हुक़ूमत की फ़ितरत पता क्या ?
है मर्जी सब उनकी बुरा क्या भला क्या ?
- कैलाश मनहर



वो दिलासे जो छलावों की तरह है अनमोल
उन दिलासों ने हुकूमत का भरम रक्खा है
- के. पी. अनमोल



वो भी क्या दौर था हुक़ूमत का,
जब कोई हुक्मरान था ही नहीं
- अख़्तर जलील "अख़्तर"



शहंशाही नही हमको फक़ीरी कर अता मौला,
ज़मीनों पर नहीं दिल पर हुकुमत चाहते हैं हम
अभी तक तो सभी ने हमको आपस में लड़ाया है,
जो सबको एक कर दे वह हुकुमत चाहते हैं हम
- जौहर कानपुरी



'शहरयार' अपने ख़राबे पे हुकूमत है मिरी
कोई मुझ सा हो तो समझे मिरी सुल्तानी को
- अहमद शहरयार



सज़ा मिलेगी ये फ़रमान है हुकूमत का
कोई भी शख़्स अगर बे क़ुसूर पाया गया
- राम प्रकाश बेख़ुद



सफ़र में रस्ता बदलने के फ़न से वाक़िफ़ है
वो शख्स चेहरा बदलने के फ़न से वाक़िफ़ है
उसी के पास हुकूमत है अब क़बीले की
कि जो क़बीला बदलने के फ़न से वाक़िफ़ है
- रेहाना रूही



सब अच्छा होगा बस इत्मिनान रखना
अब की बार भरोसेमंद हुक्मरान रखना
- गुलाब मेश्राम



सभी की बात सुनती हो, वही सरकार होती है
हुकूमत में लचीलेपन की भी दरकार होती है
- देवेंद्र गौतम



सर की बाज़ार-ए-सियासत में नहीं है क़ीमत
सर पे जब ताज नहीं है तो हुकूमत मत कर
- अब्बास दाना



सलाम उन पे तह-ए-तेग़ भी जिन्हों ने कहा
जो तेरा हुक्म जो तेरी रज़ा जो तू चाहे
- मजीद अमजद



सियासत के, नशे में ही, लगी है आग बस्ती में,
हुकूमत को भी तो अपनी, ज़रा ताकत दिखानी है
- आसमा सुबहानी



सियासत ज़हरे-अजगर है जो बरकत दे नहीं सकती
मुहब्बत से जो मिलता है वो नफ़रत दे नहीं सकती
कभी नीचे उतरकर भी ज़रा-सा आ मेरे मौला,
तेरी ग़ैर हाज़िरी अच्छी हुकूमत दे नहीं सकती
- कुंवर कुसुमेश



सिसकियों, चीख़ों, कराहों की ज़रूरत ही नहीं
हम हुकूमत के वफ़ादार हैं...चुप रहते हैं
- सिराज फैसल खान



हज़ारों मौसमों की हुक्मरानी है मिरे दिल पर
'वसी' मैं जब भी हँसता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं
- वसी शाह



हम क़लन्दर हैं, हमें बस दिल ही दे सकता है हुक्म
शाह रक्खें अपनी-अपनी हुक्मरानी बाँध कर
- राजेश रेड्डी



हम ज़रा और झुक गए होते
अर्श के मोल बिक गए होते
साथ देते तिरी हुकूमत का
तो बहुत दूर तक गए होते
- सुरेश स्वप्निल



हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे
- अहमद फ़राज़



हमारी नज़रों की हद है इतनी, बहुत कहो आसमां तलक है,
खुदा की है कायनात सारी, खुदा ही जाने कहाँ तलक है
मिले हैं देखो तो चार कंधे, ज़मीं मिली चार हाथ उसको,
जो कह रहा था मेरी हुकूमत,मेरी रियासत वहाँ तलक है
- पवन मुंतज़िर



हमारे ख्वाब पर जानम, हमारी ही हुकूमत है
हमारी कैद में हो, लो, ज़मानत हम नहीं करते
- संध्या नायर



हमारे दिल पे कभी आप की हुकूमत थी
तो क्यूँ न आप से ही मशवरा लिया जाए
- मुसव्विर फ़िरोज़पुरी



हमेशा से रही तेरी हुकूमत
अगर मैं सर हूँ तो दस्तार तू है
- चन्द्र शेखर वर्मा



हर बात पर शराफत ठिक नही लगती
हर जगह अपनी हुकूमत ठीक नही लगती
- मनोहर राधामहादेव बडवे



हर बात सिखा देते हैं अपने ये हुक्मरान,
हर बात में चालाकियों की हेर फेर देख
- अनिल गौड़



हर शय पे हुकूमत करते थे हर शय पे हुकूमत होती थी
जब चाँदनी रातों में हम तुम गंगा के किनारे होते थे
- नज़ीर बनारसी



हसरतों का दिल से क़ब्ज़ा उठ गया
ग़ासिबों की हुक्मरानी ख़त्म है
- आरज़ू लखनवी



हिल जाएं जिसके ज़ोर-ए-क़लम से हुकूमतें
जुर्रत कहाँ अब इतनी किसी अहल-ए-फ़न में है
- शमशाद शाद



हुई न आम जहाँ में कभी हुकूमत-ए-इश्क़
सबब ये है कि मोहब्बत ज़माना-साज़ नहीं
- अल्लामा इक़बाल



हुकुमत हम पे क्या होती हुकूमत उन पे हम करते
मगर हम रूह तक से जानेमन तक़सीम होते हैं
- मासूम गाज़ियाबादी



हुकूमत आपको मिल जाए तो गुजरात बनते है
हुकूमत जब मुझे मिलती है मै दिल्ली बनाता हूँ
- मुनव्वर राना



हुकूमत का बड़ा एहसान होगा
अगर जीना ज़रा आसान होगा
- सुरेश स्वप्निल



हुकूमत का हर एक इनाम है बन्दूकसाजी पर
मुझे कैसे मिलेगा मै तो बैसाखी बनाता हूँ
- मुनव्वर राना



हुकूमत की नज़र से देखती है जब अदालत भी
तो इक तरफ़ा हुए कत्लों को दंगा मान लेती है
- बल्ली सिंह चीमा



हुकूमत के इशारे पर न मैं इक लफ़्ज़ लिक्खूँगा
क़लम आज़ाद है मेरा इसे आज़ाद रक्खूँगा
- अली असर बंदवी



हुकूमत के तशद्दुद को इमारत के तकब्बुर को
किसी के चीथडों को और शहंशाही ख़ज़ानों को
- साहिर लुधियानवी



हुकूमत के मज़ालिम जब से इन आँखों ने देखे हैं
'जिगर' हम बम्बई को कूचा-ए-क़ातिल समझते हैं
- जिगर मुरादाबादी



हुकूमत के लिए लिक्खूं क़लम सोने के मिल जाएं
मगर मज़लूम के हाथों से तो शमशीर जाती है
- मासूम गाज़ियाबादी



हुकूमत के साथ साथ ही दफ्तर बदल गए
सुनते है पानीदार वो अफसर बदल गए
- अविनाश बागडे



हुकूमत ख़ौफ खाती है सदा बेख़ौफ शायरों से
सियासतदार झुकते हैं झुकाने वाला चाहीए
- कमल पुंडीर



हुकूमत ने हाकिम के क्या सलीके बदल दिए
सियासत ने तो मातम के भी तरीके बदल दिए
- दिनेश टाक



हुकूमत फूलदानों में सजाकर
हमारी हर कमी को बेचती है
- प्रणय इलाहाबादी



हुकूमत बदल ले, कितने भी चेहरे,
ग़रीब की नस्ल, हर दौर पिसेगी
- गोविंद वर्मा सिराज



हुकूमत मुंह भराई के हुनर से खूब वाक़िफ़ है
ये हर कुत्ते के आगे शाही टुकड़ा डाल देती है
- मुनव्वर राना



हुक़ूमत यूँ तो सूबे: की मेरे अक्सर बदलती है,
मगर तस्वीर अपनी आज तक बदली नहीं प्यारे
- अमर जी विश्वकर्मा



हुकूमत हो किसी कि.... भी हमारा तजर्बा ये है
सियासत फिर सियासत है हमें जीने नहीं देगी
- नफ़स अम्बालवी



हुकूमतें, कितनी भी बदल लो,
वादाख्वारी, पुराना किस्सा है
- गोविंद वर्मा सिराज



हुकुमत पर शायरीहुकूमतों को बदलना तो कुछ मुहाल नहीं हुकूमतें जो बदलता है वो समाज भी हो
हुकूमतों को बदलना तो कुछ मुहाल नहीं
हुकूमतें जो बदलता है वो समाज भी हो
- निदा फ़ाज़ली



हुक्मरां कब समझा है, मज़लूमों का दर्द,
समझा वही है, जिसके ज़ख़्म रिसते हैं
- गोविंद वर्मा सिराज



हुक्मरान घबराए है
देखें दाएं - बाएं है
- अविनाश बागडे



हुक्मरानों को फ़क़त वोट से मतलब वरना
किसने मुफ़लिस की सुनी कौन इधर तक पहुंचा
- नज़ीर नज़र



हुजूम ऐसा कि राहें नज़र नहीं आतीं
नसीब ऐसा कि अब तक तो क़ाफ़िला न हुआ
- अहमद फ़राज़



हुस्न इक दिलरुबा हुकूमत है
इश्क़ इक क़ुदरती ग़ुलामी है
- अब्दुल हमीद अदम



है आज ये गिला कि अकेला है 'शहरयार'
तरसोगे कल हुजूम में तन्हाई के लिए
- शहरयार



है ठण्डी राख का चूल्हा रिआया
हुकूमत काठ की इक देगची है
- लकी फारुक़ी



है सदियों से दुनिया में दुख़ की हकूमत
खु़दा अब तो ये हुक्मरानी बदल दे
- राजेश रेड्डी


सरकार

अब तो कहते हो वफ़ा हम से करोगे लेकिन
वक़्त आने पे कहीं जाए न सरकार बदल
- कँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर



काम औरों के जारी रहें नाकाम रहें हम
अब आप की सरकार में क्या काम हमारा
- इमाम बख़्श नासिख़



किस सोच में हैं आइने को आप देख कर
मेरी तरफ़ तो देखिए सरकार क्या हुआ
- अनवर देहलवी



ख़त बढ़ा काकुल बढ़े ज़ुल्फ़ें बढ़ीं गेसू बढ़े
हुस्न की सरकार में जितने बढ़े हिन्दू बढ़े
- शेख़ इब्राहीम ज़ौक़



गिरते हैं लोग गर्मी-ए-बाज़ार देख कर
सरकार देख कर मिरी सरकार देख कर
- अब्दुल हमीद अदम



गिरने वाली है बहुत जल्द ये सरकार हुज़ूर
हाँ नज़र आते हैं ऐसे ही कुछ आसार हुज़ूर
- सबीहुद्दीन शोऐबी



चलो आज़ाद हो कर कम से कम इतना तो हम सीखे
कोई सरकार आती है कोई सरकार जाती है
- सदार आसिफ़



जलते दियों में जलते घरों जैसी ज़ौ कहाँ
सरकार रौशनी का मज़ा हम से पूछिए
- ख़ुमार बाराबंकवी



तिफ़्ल में बू आए क्या माँ बाप के अतवार की
दूध तो डिब्बे का है तालीम है सरकार की
- अकबर इलाहाबादी



दोनों रुख़्सार इनायत करें इक इक बोसा
आशिक़ों के लिए सरकार से चंदा हो जाए
- हातिम अली मेहर



बोल उठा जोबन किसी से भी नहीं दबने का मैं
सौंपिए सरकार अब अपनी निगहबानी मुझे
- रियाज़ ख़ैराबादी



हुकुमत पर शायरीमत शिकायत करो कि सरकार सो रही है ज़बाँ पे लगाम रखो कि सरकार सो रही है
मत शिकायत करो कि सरकार सो रही है
ज़बाँ पे लगाम रखो कि सरकार सो रही है
- माधव अवाना



मिलता है जहाँ न्याय वो दरबार यही है
संसार की सब से बड़ी सरकार यही है
- साहिर लुधियानवी



यही सफ़ेद इमारत जिस में बहुत बड़ी सरकार
यहीं करें सौदागर छोटी क़ौमों का व्यापार
- अहमद फ़राज़



ये नहीं है कि नवाज़े न गए हों हम लोग
हम को सरकार से तमग़ा मिला रुस्वाई का
- सलीम अहमद



रुख़्सत हुआ शबाब तो अब आप आए हैं
अब आप ही बताइए सरकार क्या करें
- अमीर चंद बहार



ले लो बोसा अपना वापस किस लिए तकरार की
क्या कोई जागीर हम ने छीन ली सरकार की
- अकबर मेरठी



हम आप अपना गरेबान चाक करते हैं
हमारा बस ही तो सरकार पर नहीं चलता
- रऊफ़ ख़ैर



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जखीरा, साहित्य संग्रह: हुकूमत, हुक्मरान, सरकार पर शायरी
हुकूमत, हुक्मरान, सरकार पर शायरी
हुकूमत, हुक्मरान, सरकार पर शायरी अंधेरो कि हुकूमत जब पड़ती है खतरे में, जुगनू तब खुद की रोशनी पे नाज करता है - नीशीत जोशी अंजाम है लाज़िम हर शय का, ऐ..
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जखीरा, साहित्य संग्रह
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