ग़ालिब के लतीफे - 5

ग़ालिब के लतीफे

1. किसी ने उमराव सिंह नामी एक शागिर्द कि दूसरी बीवी के मरने का हाल मिर्ज़ा को लिखा और उसमे यह भी लिखा कि उसके नन्हे नन्हे बच्चे है | अब अगर तीसरी शादी न करे तो क्या करे | मिर्ज़ा ने इसके जवाब में यह लिखा कि अल्लाह ! अल्लाह ! एक वे है जिनकी दो-दो बेडियां कट चुकी है और एक हम है कि एक ऊपर पचास बरस से जो फांसी का फंदा गले में पड़ा है, तो न फंदा ही टूटता है न दम ही निकलता है |

2. सर्दी के मौसम में एक नवाब साहब ग़ालिब के पास तशरीफ़ लाए | ग़ालिब ने एक गिलास शराब से भरकर उनके आगे रख दिया | नवाब साहब,-" मै तौबा कर चूका हूँ |" ग़ालिब (हैरानगी से), " अरे, क्या घज़ब किया, क्या जाड़े में भी |"

3. मिर्ज़ा साहब कि बहन एक बार बहुत बीमार हो गई | मिर्ज़ा उनका हाल चाल पूछने को गए | पूछा तबियत कैसी है | वह बोली,"मरती हू और क़र्ज़ का बोझ अपनी गर्दन पर लिए जाती हूँ |" मिर्ज़ा साहब ने कहा," यह फ़िक्र बेकार है | क्या खुदा के यहाँ भी मुफ्ती सदरुद्दीन होंगे जो डिक्री करके पकड़ बुलवाएंगे |"

Post a Comment

कृपया स्पेम न करे |

Previous Post Next Post