पानी की समस्या
शरद जोशी जी का यह व्यंग्य लेख आप सभी के लिए पेश है यह लेख कम नाटक ज्यादा प्रतीत होता है सो इसे नाटक के रूप में ही प्रस्तुत किया है आशा है आप सभी को पसंद आएगा |
वे लोग जो टीवी देखते हैं अच्छी तरह जानते हैं कि हमारे प्रधानमंत्री वास्तविकता से सीधा साक्षात्कार करते हैं वे स्वयं उस जगह पर जाते हैं और पूछ कर बातचीत कर पता लगाते हैं कि सच्चाई क्या है यह उनकी काम करने की शैली है जैसे कोई मुख्यमंत्री उनसे कहे कि साहब हमारे राज्य में गरीबी है तो प्रधानमंत्री उसकी बात पर यूं ही विश्वास नहीं कर लेते वे वहां जाते हैं टेलीविजन वालों को साथ लेकर और गरीबों को पूछते हैं : "सुना!, आपके गांव में गरीबी है ?"
"जी साब |"
"कितने गरीब हैं गांव में ?"
"जी सभी गरीब है |"
"आप में से ज्यादा गरीब कितने हैं ?"
गांव वाले एक-दूसरे का मुंह देखने लगते हैं
"जी सभी ज्यादा गरीब है |" - एक सोशल वर्कर कहता है
"उन्हें जवाब देने दीजिए आप बीच में मत बोलिए"
"इस गांव की पापुलेशन क्या है ? कितने लोग रहते हैं इस गांव में ?"- प्रधानमंत्री कलेक्टर से पूछते हैं
"जी कोई 70 फैमिलीज है |" - कलेक्टर कहता है
"आई वांट एग्जिट फिगर"
"सिक्सटी नाइन पॉइंट फाइव"
"हूं! ये पॉइंट फाइव कैसे ?"
"जी फैमिली में वाइफ यही है हस्बैंड शहर चला गया है"
"हूं !"
तो इस तरह हमारे प्रधानमंत्री स्वयं वहा जाते हैं और वास्तविकता से साक्षात्कार करते हैं और अर्थात बातचीत से सच्चाई का पता लगाते हैं |
जैसे एक गांव में पानी की कमी है प्रधानमंत्री स्वयं वहां जाएंगे और सच्चाई का पता लगाएंगे वार्तालाप कुछ इस प्रकार का होगा :
"आप लोग पानी पीते हैं ?"
"जी हां हुजूर, पीते हैं |"
"इस गांव में कितने लोग पानी पीते हैं ?"
"जी, सब पीते हैं, प्यास लगती है हुजूर, तो पीना पड़ता है |"
"कहां से मिलता है पानी? लाते कहां से हैं ?"
"नदी से लाते हैं |"
"नल नहीं है ?"
"जी नहीं है |"
"हूं ! नदी यहां से कितनी दूर है ?"
"थोड़ी दूर है |"
"कैसे लाते हैं पानी ?"
"मटकी में भरकर लाते हैं |"
"मटकी घर से ले जाते हैं या नदी पर मिल जाती है ?"
"जी, घर से लेकर जाना पड़ता है"
"आईसी! नदी पर मटकीयों का कोई इंतजाम नहीं रहता तो आप जब मटकी लेकर नदी पर जाते हैं तब नदी में पानी मिल जाता है या मुश्किल पड़ती है ?"
"पहले मिल जाता था, आजकल मुश्किल पड़ती है"
"क्या मुश्किल पड़ती है ? एक नदी में कितनी मटकी पानी होता है ?"
"काफी मटकी पानी होता है"
"आई वांट टू सी ए मटकी ! एग्जैक्ट क्या साइज होती है उसकी" - प्रधानमंत्री ने कहा
फ़ौरन एक गरीब के घर से मटकी लाकर प्रधानमंत्री को दिखाई गई
"ये मिट्टी से बनती है ?"
"जी |"
"हम मिट्टी इंपोर्ट करते हैं या यही की है ?"
"जी, लोकल मिट्टी है "
"गुड उस एक मटकी में कितने बकेट पानी आ जाता है ? इसमें कितनी बाल्टी पानी आ जाता है ?"
"कोई डेढ़ बाल्टी आता है"
"आप बड़ी मटकी मटकी लेकर क्यों नहीं जाते ? ज्यादा पानी आ सकता है या सभी मटकिया एक साइज की होती है ?"
"जी, बड़ी भी होती है, मगर उठाने में भारी पड़ती है"
"एक बार में कितनी मटकी उठाते हैं?"
"जी, एक उठाते हैं |"
"पानी से भरी हुई या खाली ?"
"पानी से भरी हुई |"
"आप खुद उठाते हैं या दूसरे से उठवाते हैं ?"
"जी ! खुद उठाते हैं |"
"कितने आदमी लगे हैं इस काम पर ?"
"जी ! सभी लगे रहते हैं |"
"नदी से चोबीसो घंटे पानी मिलता है या उसका फिक्स टाइम है ? इतने बजे से इतने बजे तक ?"
"जब मिलता है तब 24 घंटे मिलता है |"
"आजकल कितने घंटे मिलता है ?"
"आजकल नदी सूख गई है |"
"जब सूख जाती है तब कितने घंटे मिलता है ?"
"तब नहीं मिलता"
"एक-दो घंटे भी नहीं ?"
"नहीं !"
प्रधानमंत्री का चेहरा गंभीर हो जाता है वे सोचने लगते हैं फिर कलेक्टर से पूछते हैं
"ये नदी सुख क्यों जाती है ?"
"ये सर गर्मी में एटमॉस्फेरिक टेंपरेचर बढ़ जाता है उससे सूख जाती है" आईएएस कलेक्टर जवाब देता है
"कांट वी हैव सम शेड एंड समथिंग ( Can't we have some Shade and Somthing ), जो नदी के ऊपर लगा दे, जिससे छाया रहे ? पानी पर धूप न पड़े, ऐसा ही कुछ हो जाए"
"नो सर, इट इज नॉट पॉसिबल"
"क्यों ? वी कैन टॉक टू वर्ल्ड बैंक अबाउट इट (we can talk to world bank about it) सारी नदियों पर शेड लगा दिए जाए खासकर उन नदियों पर, जो गांव के पास में रहती है, वी कैन सर्च आउट दोज एरियाज (we can search those areas)"
"सर उसमें प्रैक्टिकल डिफिकल्टीज है |"
"क्या डिफिकल्टीज है ?"
"क्या है सर की एक तो नदी का पाट बहुत चौड़ा होता है उसको कवर करना बहुत मुश्किल है दूसरे, नदी के आसपास की सॉइल कंडीशन, रेती और कीचड़ के कारण ऐसी होती है कि उसमें पिलर खड़े करना बड़ा डिफिकल्ट है"
"आईसी !"
तब दूसरे अफसर ने जो इस अफसर के प्रधानमंत्री से ज्यादा बात कर लेने की वजह से परेशान हो गया था और स्पष्ट करते हुए कहा, "दूसरी प्रॉब्लम यह है सर कि अगर हम नदी को कवर कर लेंगे तो बरसात में जो पानी नदी में गिरता है वह नहीं गिर सकेगा |"
प्रधानमंत्री ने गर्दन हिलाई वह प्रॉब्लम समझ गए थे
सामने खड़े प्यासे गांव वाले उनमें क्या बातें हो रही है यह तो समझ नहीं पा रहे थे मगर उन्हें इतना समझ आ रहा था कि प्रधानमंत्री उनकी पानी की समस्या के हल को लेकर बहुत चिंतित थे और वे अफसरों से इस बारे में बात कर रहे हैं
प्रधानमंत्री ने फिर गांव के लोगों से पूछा, "जब नदी से पानी नहीं मिलता तो आप वहां मटकी लेकर क्यों जाते हैं ?"
"हम कुए पर जाते हैं साब, नदी पर नहीं जाते |"
"कुए पर पानी मिल जाता है जब नदी पर नहीं होता ?
"जी !"
"एक कुए से कितना पानी मिल जाता है ? पूरे गांव को मिल जाता है ?"
"काफी मिल जाता है" दूसरे ने कहा
"आप लोगों को कौन सा पानी अच्छा लगता है? नदी का पानी अच्छा लगता है या कुए का ?"
प्रधानमंत्री ने पूछा जी जहां से मिल जाए, वही का अच्छा लगता है, नदी के पानी में थोड़ा कचरा होता है साहब !"
"फिर आप क्या करते हैं ? नदी को छान लेते हैं ?"
"पूरी नदी तो नहीं छानते साहब, हम जो पानी लेते हैं वह छान लेते हैं "
"बाकी का छोड़ देते हैं ?"
"जी साहब !"
"और नदी से क्या-क्या मिलता है पानी के अलावा ?"
सब दूसरे को देखने लगे किसी को जवाब नहीं सूझता
"नदी से पानी मिलता है, पर इसके अलावा और क्या-क्या मिलता है" प्रधानमंत्री ने अपनी बात को दोहराते हुए पूछा
"पुल मिलता है नदी पर ?"
"जी नहीं मिलता"
"बांध मिलता है नदी पर ?"
जी, कोई बांध नहीं है"
"इज इज सरप्राइजिंग आफ्टर फोर्टी ईयर्स आफ फ्रीडम (is is surprising after fourty years of freedom), नदी पर एक बांध नहीं है |" प्रधानमंत्री ने अफसरों से कहा
अफसरों ने शर्म से सिर झुका लिया
फिर एक अफसर ने हिम्मत करके कहा "सर, सिक्स्थ प्लान में नदी पर बांध बनाने का प्रपोजल था |"
"फिर क्या हुआ ?"
"सर्वे करने पर पता चला कि नदी में पानी नहीं है इसलिए बांध बनाना फिजूल होगा |"
"हम इतना भी पानी अरेंज नहीं कर सकते कि एक बांध बनाया जा सके ?" प्रधानमंत्री ने कहा
अफसरों ने शर्म से फिर सिर झुका लिया
प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री की ओर देखा जो साथ ही पीछे-पीछे चल रहे थे मुख्यमंत्री ने अपने टोपी ठीक की थोड़ा खांसे और फिर बोले, "मैंने आपसे दिल्ली में भी निवेदन किया था श्रीमान कि नदी के पानी को लेकर अंतर्राज्यीय डिस्प्यूट है, 1967 में इस समस्या पर एक हाई पावर कमीशन बैठा था जिसकी सिफारिशें अमान्य कर दी गई, मैंने कांग्रेस अधिवेशन में भी यह सवाल उठाया था श्रीमान |"
"कमीशन इस नदी पर बांध बनाने के लिए था ?"प्रधानमंत्री ने पूछा
"जी नहीं, वह दूसरी नदी पर था" मुख्यमंत्री ने कहा
"मैं आपसे इस नदी का पूछ रहा हूं |"
प्लानिंग कमिशन कहता है कि जिन नदियों में पूरे वर्ष पानी नहीं रहता वहां हम बांध बनाने को प्रायरिटी नहीं दे सकते क्योंकि उस से बिजली नहीं बनेगी |"
प्रधानमंत्री कुछ सोचने लगे | मामला उलझा हुआ है कंप्यूटर को फीड करना पड़ेगा | फिर वे लोगों की तरफ घुमे "कितने हुए हैं आपके गांव में ?"
"जी एक भी नहीं है"
"फिर आप मटकी लेकर कहां जाते हैं"
"पास वाले गांव में"
"वहां कुआं है ? पानी मिल जाता है ?"
"मिल जाता है, मगर भीड़ बहुत पड़ती है"
"वह गांव कितनी दूर है ?"
"दो मील दूर है"
"लौटने पर भी दो मील पड़ता है ?"
"जी, उतना हीं पड़ता है"
"जाने के लिए कोई साधन है, बस, टैक्सी ?"
"जी नहीं, कोई साधन नहीं, पैदल जाना पड़ता है"
प्रधानमंत्री के चेहरे पर पीड़ा की रेखाएं उभर आई उन्होंने अफसरों से पूछा, "क्या इन दो गावों के बीच हम बस सर्विस नहीं प्रोवाइड कर सकते, पानी लाने के लिए ?"
उस दिन एक विराट जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "हमने देखा और हम देखेंगे कि आपके गांव में पानी की समस्या है लोगों को, खासकर महिलाओं को दूसरे गांव से पानी लाना पड़ता है- मटकी में भरकर; हमने देखा कि पानी सिर पर उठा कर लाना पड़ता है, हम चाहते हैं कि हमारे देश में हर गांव के पास एक न
दी हो, खासकर उन गांव के पास जहां पानी नहीं है; हम देखेंगे कि आप लोगों को मटकी नहीं उठानी पड़ेगी या तो गांव नदी के पास ले आए या वे नदिया गांव के पास लाई जाए, जो भी जरूरी होगा, हम करेंगे, सरकार करेगी और भी समस्या, जैसे बस चलाने की या बांध की सब हम पूरी करेंगे जो हमें बड़ी जल्दी करना है; हमें बताया गया है कि यहां पर जो मटकिया आप लोग उठाते हैं वे मिट्टी की बनी होती है उस बारे में हमें कुछ करना है देश में पानी ही पानी कर देना है वह चाहे नदी का हो या बरसात का या समुद्र का; हम चाहते हैं और हम कोशिश करेंगे कि आपके यहां पर बरसात जल्दी आए या नदी में पानी जल्दी आए या जैसा भी हो सके, हम बैंकों से बात करेंगे कि मटकियों के सवाल पर जितना कर सकते हैं करें, हमें देश को आगे ले जाना है |
इस पर एक युवक जो अगले चुनाव में कांग्रेस के टिकट का उम्मीदवार था, जोर से चिल्लाया 'राजीव गांधी की जय' इस पर सब ने जय कहा और प्रधानमंत्री का कारवां दूसरे गांव की समस्या समझने के लिए आगे बढ़ गया |
"जी साब |"
"कितने गरीब हैं गांव में ?"
"जी सभी गरीब है |"
"आप में से ज्यादा गरीब कितने हैं ?"
गांव वाले एक-दूसरे का मुंह देखने लगते हैं
"जी सभी ज्यादा गरीब है |" - एक सोशल वर्कर कहता है
"उन्हें जवाब देने दीजिए आप बीच में मत बोलिए"
"इस गांव की पापुलेशन क्या है ? कितने लोग रहते हैं इस गांव में ?"- प्रधानमंत्री कलेक्टर से पूछते हैं
"जी कोई 70 फैमिलीज है |" - कलेक्टर कहता है
"आई वांट एग्जिट फिगर"
"सिक्सटी नाइन पॉइंट फाइव"
"हूं! ये पॉइंट फाइव कैसे ?"
"जी फैमिली में वाइफ यही है हस्बैंड शहर चला गया है"
"हूं !"
तो इस तरह हमारे प्रधानमंत्री स्वयं वहा जाते हैं और वास्तविकता से साक्षात्कार करते हैं और अर्थात बातचीत से सच्चाई का पता लगाते हैं |
जैसे एक गांव में पानी की कमी है प्रधानमंत्री स्वयं वहां जाएंगे और सच्चाई का पता लगाएंगे वार्तालाप कुछ इस प्रकार का होगा :
"आप लोग पानी पीते हैं ?"
"जी हां हुजूर, पीते हैं |"
"इस गांव में कितने लोग पानी पीते हैं ?"
"जी, सब पीते हैं, प्यास लगती है हुजूर, तो पीना पड़ता है |"
"कहां से मिलता है पानी? लाते कहां से हैं ?"
"नदी से लाते हैं |"
"नल नहीं है ?"
"जी नहीं है |"
"हूं ! नदी यहां से कितनी दूर है ?"
"थोड़ी दूर है |"
"कैसे लाते हैं पानी ?"
"मटकी में भरकर लाते हैं |"
"मटकी घर से ले जाते हैं या नदी पर मिल जाती है ?"
"जी, घर से लेकर जाना पड़ता है"
"आईसी! नदी पर मटकीयों का कोई इंतजाम नहीं रहता तो आप जब मटकी लेकर नदी पर जाते हैं तब नदी में पानी मिल जाता है या मुश्किल पड़ती है ?"
"पहले मिल जाता था, आजकल मुश्किल पड़ती है"
"क्या मुश्किल पड़ती है ? एक नदी में कितनी मटकी पानी होता है ?"
"काफी मटकी पानी होता है"
"आई वांट टू सी ए मटकी ! एग्जैक्ट क्या साइज होती है उसकी" - प्रधानमंत्री ने कहा
फ़ौरन एक गरीब के घर से मटकी लाकर प्रधानमंत्री को दिखाई गई
"ये मिट्टी से बनती है ?"
"जी |"
"हम मिट्टी इंपोर्ट करते हैं या यही की है ?"
"जी, लोकल मिट्टी है "
"गुड उस एक मटकी में कितने बकेट पानी आ जाता है ? इसमें कितनी बाल्टी पानी आ जाता है ?"
"कोई डेढ़ बाल्टी आता है"
"आप बड़ी मटकी मटकी लेकर क्यों नहीं जाते ? ज्यादा पानी आ सकता है या सभी मटकिया एक साइज की होती है ?"
"जी, बड़ी भी होती है, मगर उठाने में भारी पड़ती है"
"एक बार में कितनी मटकी उठाते हैं?"
"जी, एक उठाते हैं |"
"पानी से भरी हुई या खाली ?"
"पानी से भरी हुई |"
"आप खुद उठाते हैं या दूसरे से उठवाते हैं ?"
"जी ! खुद उठाते हैं |"
"कितने आदमी लगे हैं इस काम पर ?"
"जी ! सभी लगे रहते हैं |"
"नदी से चोबीसो घंटे पानी मिलता है या उसका फिक्स टाइम है ? इतने बजे से इतने बजे तक ?"
"जब मिलता है तब 24 घंटे मिलता है |"
"आजकल कितने घंटे मिलता है ?"
"आजकल नदी सूख गई है |"
"जब सूख जाती है तब कितने घंटे मिलता है ?"
"तब नहीं मिलता"
"एक-दो घंटे भी नहीं ?"
"नहीं !"
प्रधानमंत्री का चेहरा गंभीर हो जाता है वे सोचने लगते हैं फिर कलेक्टर से पूछते हैं
"ये नदी सुख क्यों जाती है ?"
"ये सर गर्मी में एटमॉस्फेरिक टेंपरेचर बढ़ जाता है उससे सूख जाती है" आईएएस कलेक्टर जवाब देता है
"कांट वी हैव सम शेड एंड समथिंग ( Can't we have some Shade and Somthing ), जो नदी के ऊपर लगा दे, जिससे छाया रहे ? पानी पर धूप न पड़े, ऐसा ही कुछ हो जाए"
"नो सर, इट इज नॉट पॉसिबल"
"क्यों ? वी कैन टॉक टू वर्ल्ड बैंक अबाउट इट (we can talk to world bank about it) सारी नदियों पर शेड लगा दिए जाए खासकर उन नदियों पर, जो गांव के पास में रहती है, वी कैन सर्च आउट दोज एरियाज (we can search those areas)"
"सर उसमें प्रैक्टिकल डिफिकल्टीज है |"
"क्या डिफिकल्टीज है ?"
"क्या है सर की एक तो नदी का पाट बहुत चौड़ा होता है उसको कवर करना बहुत मुश्किल है दूसरे, नदी के आसपास की सॉइल कंडीशन, रेती और कीचड़ के कारण ऐसी होती है कि उसमें पिलर खड़े करना बड़ा डिफिकल्ट है"
"आईसी !"
तब दूसरे अफसर ने जो इस अफसर के प्रधानमंत्री से ज्यादा बात कर लेने की वजह से परेशान हो गया था और स्पष्ट करते हुए कहा, "दूसरी प्रॉब्लम यह है सर कि अगर हम नदी को कवर कर लेंगे तो बरसात में जो पानी नदी में गिरता है वह नहीं गिर सकेगा |"
प्रधानमंत्री ने गर्दन हिलाई वह प्रॉब्लम समझ गए थे
सामने खड़े प्यासे गांव वाले उनमें क्या बातें हो रही है यह तो समझ नहीं पा रहे थे मगर उन्हें इतना समझ आ रहा था कि प्रधानमंत्री उनकी पानी की समस्या के हल को लेकर बहुत चिंतित थे और वे अफसरों से इस बारे में बात कर रहे हैं
प्रधानमंत्री ने फिर गांव के लोगों से पूछा, "जब नदी से पानी नहीं मिलता तो आप वहां मटकी लेकर क्यों जाते हैं ?"
"हम कुए पर जाते हैं साब, नदी पर नहीं जाते |"
"कुए पर पानी मिल जाता है जब नदी पर नहीं होता ?
"जी !"
"एक कुए से कितना पानी मिल जाता है ? पूरे गांव को मिल जाता है ?"
"काफी मिल जाता है" दूसरे ने कहा
"आप लोगों को कौन सा पानी अच्छा लगता है? नदी का पानी अच्छा लगता है या कुए का ?"
प्रधानमंत्री ने पूछा जी जहां से मिल जाए, वही का अच्छा लगता है, नदी के पानी में थोड़ा कचरा होता है साहब !"
"फिर आप क्या करते हैं ? नदी को छान लेते हैं ?"
"पूरी नदी तो नहीं छानते साहब, हम जो पानी लेते हैं वह छान लेते हैं "
"बाकी का छोड़ देते हैं ?"
"जी साहब !"
"और नदी से क्या-क्या मिलता है पानी के अलावा ?"
सब दूसरे को देखने लगे किसी को जवाब नहीं सूझता
"नदी से पानी मिलता है, पर इसके अलावा और क्या-क्या मिलता है" प्रधानमंत्री ने अपनी बात को दोहराते हुए पूछा
"पुल मिलता है नदी पर ?"
"जी नहीं मिलता"
"बांध मिलता है नदी पर ?"
जी, कोई बांध नहीं है"
"इज इज सरप्राइजिंग आफ्टर फोर्टी ईयर्स आफ फ्रीडम (is is surprising after fourty years of freedom), नदी पर एक बांध नहीं है |" प्रधानमंत्री ने अफसरों से कहा
अफसरों ने शर्म से सिर झुका लिया
फिर एक अफसर ने हिम्मत करके कहा "सर, सिक्स्थ प्लान में नदी पर बांध बनाने का प्रपोजल था |"
"फिर क्या हुआ ?"
"सर्वे करने पर पता चला कि नदी में पानी नहीं है इसलिए बांध बनाना फिजूल होगा |"
"हम इतना भी पानी अरेंज नहीं कर सकते कि एक बांध बनाया जा सके ?" प्रधानमंत्री ने कहा
अफसरों ने शर्म से फिर सिर झुका लिया
प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री की ओर देखा जो साथ ही पीछे-पीछे चल रहे थे मुख्यमंत्री ने अपने टोपी ठीक की थोड़ा खांसे और फिर बोले, "मैंने आपसे दिल्ली में भी निवेदन किया था श्रीमान कि नदी के पानी को लेकर अंतर्राज्यीय डिस्प्यूट है, 1967 में इस समस्या पर एक हाई पावर कमीशन बैठा था जिसकी सिफारिशें अमान्य कर दी गई, मैंने कांग्रेस अधिवेशन में भी यह सवाल उठाया था श्रीमान |"
"कमीशन इस नदी पर बांध बनाने के लिए था ?"प्रधानमंत्री ने पूछा
"जी नहीं, वह दूसरी नदी पर था" मुख्यमंत्री ने कहा
"मैं आपसे इस नदी का पूछ रहा हूं |"
प्लानिंग कमिशन कहता है कि जिन नदियों में पूरे वर्ष पानी नहीं रहता वहां हम बांध बनाने को प्रायरिटी नहीं दे सकते क्योंकि उस से बिजली नहीं बनेगी |"
प्रधानमंत्री कुछ सोचने लगे | मामला उलझा हुआ है कंप्यूटर को फीड करना पड़ेगा | फिर वे लोगों की तरफ घुमे "कितने हुए हैं आपके गांव में ?"
"जी एक भी नहीं है"
"फिर आप मटकी लेकर कहां जाते हैं"
"पास वाले गांव में"
"वहां कुआं है ? पानी मिल जाता है ?"
"मिल जाता है, मगर भीड़ बहुत पड़ती है"
"वह गांव कितनी दूर है ?"
"दो मील दूर है"
"लौटने पर भी दो मील पड़ता है ?"
"जी, उतना हीं पड़ता है"
"जाने के लिए कोई साधन है, बस, टैक्सी ?"
"जी नहीं, कोई साधन नहीं, पैदल जाना पड़ता है"
प्रधानमंत्री के चेहरे पर पीड़ा की रेखाएं उभर आई उन्होंने अफसरों से पूछा, "क्या इन दो गावों के बीच हम बस सर्विस नहीं प्रोवाइड कर सकते, पानी लाने के लिए ?"
उस दिन एक विराट जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "हमने देखा और हम देखेंगे कि आपके गांव में पानी की समस्या है लोगों को, खासकर महिलाओं को दूसरे गांव से पानी लाना पड़ता है- मटकी में भरकर; हमने देखा कि पानी सिर पर उठा कर लाना पड़ता है, हम चाहते हैं कि हमारे देश में हर गांव के पास एक न
दी हो, खासकर उन गांव के पास जहां पानी नहीं है; हम देखेंगे कि आप लोगों को मटकी नहीं उठानी पड़ेगी या तो गांव नदी के पास ले आए या वे नदिया गांव के पास लाई जाए, जो भी जरूरी होगा, हम करेंगे, सरकार करेगी और भी समस्या, जैसे बस चलाने की या बांध की सब हम पूरी करेंगे जो हमें बड़ी जल्दी करना है; हमें बताया गया है कि यहां पर जो मटकिया आप लोग उठाते हैं वे मिट्टी की बनी होती है उस बारे में हमें कुछ करना है देश में पानी ही पानी कर देना है वह चाहे नदी का हो या बरसात का या समुद्र का; हम चाहते हैं और हम कोशिश करेंगे कि आपके यहां पर बरसात जल्दी आए या नदी में पानी जल्दी आए या जैसा भी हो सके, हम बैंकों से बात करेंगे कि मटकियों के सवाल पर जितना कर सकते हैं करें, हमें देश को आगे ले जाना है |
इस पर एक युवक जो अगले चुनाव में कांग्रेस के टिकट का उम्मीदवार था, जोर से चिल्लाया 'राजीव गांधी की जय' इस पर सब ने जय कहा और प्रधानमंत्री का कारवां दूसरे गांव की समस्या समझने के लिए आगे बढ़ गया |