अब कोई गुलशन ना उजड़े अब वतन आज़ाद है
यह ग़ज़ल फिल्म 'मुझे जीने दो' में ली गयी है और इसे अपनी मधुर आवाज़ में मोहम्मद रफ़ी ने गाया हैअब कोई गुलशन ना उजड़े अब वतन आज़ाद है
रूह गंगा की हिमालय का बदन आज़ाद है
खेतियाँ सोना उगाएँ, वादियाँ मोती लुटाएँ
आज गौतम की ज़मीं, तुलसी का बन आज़ाद है
मंदिरों में शंख बाजे, मस्जिदों में हो अज़ाँ
शेख का धर्म और दीन-ए-बरहमन आज़ाद है
लूट कैसी भी हो अब इस देश में रहने न पाए
आज सबके वास्ते धरती का धन आज़ाद है - साहिर लुधियानवी
Ab koi gulshan n ujde, ab watan aazad hai
Ab koi gulshan n ujde, ab watan aazad hairuh ganga ki himalay ka badan aazad hai
khetiya sona ugaye, wadiya moti lutaye
aaj goutam ki jameen, tulsi ka ban aazad hai
mandiro me shankh baaje, masjido me ho azaan
shekh ka dharma aur din-e-barhaman aazad hai
lut kaisi bhi ho ab is desh me rahne n paye
aaj sabke waaste dharti ka dhan aazad hai - Sahir Ludhiyanvi