वो भी सराहने लगे अर्बाब-ए-फ़न के बाद
वो भी सराहने लगे अर्बाब-ए-फ़न के बाददाद-ए-सुख़न मिली मुझे तर्क-ए-सुख़न के बाद
दीवानावार चाँद से आगे निकल गए
ठहरा न दिल कहीं भी तिरी अंजुमन के बाद
होंटों को सी के देखिए पछ्ताइएगा आप
हंगामे जाग उठते हैं अक्सर घुटन के बाद
ग़ुर्बत की ठंडी छाँव में याद आई उसकी धूप
क़द्र-ए-वतन हुई हमें तर्क-ए-वतन के बाद
एलान-ए-हक़ में ख़तरा-ए-दार-ओ-रसन तो है
लेकिन सवाल ये है कि दार-ओ-रसन के बाद
इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद - कैफी आज़मी
मायने
अरबाब-ए-फ़न = कलाकार, दाद-ए-सुखन = कविता/शायरी की प्रंशसा, तर्क-ए-सुखन = कविता/शायरी लिखना छोडना, दीवानावार = पागलो की तरह दीवाना, अंजुमन = सभा, गुर्बत= सामान्य अर्थ गरीबी होता है यहाँ परदेश अर्थ है, क़द्र-ए-वतन = देश की कद्र, तर्क-ए-वतन= देश को छोड़ना, एलान-ए-हक = सच को बताना, ख़तरा-ए-दार-ओ-रसन = फ़ासी का खतरा, दार-ओ-रसन = फांसी
wo bhi sarahne lage arbab-e-fan ke baad
wo bhi sarahne lage arbab-e-fan ke baaddad-e-sukhan mili mujhe tark-e-sukhan ke baad
diwana-war chand se aage nikal gaye
Thahra na dil kahin bhi tiri anjuman ke baad
honton ko si ke dekhiye pachhtaiyega aap
hangame jaag uthte hain aksar ghutan ke baad
ghurbat ki thandi chhanv men yaad aai uski dhoop
qadr-e-watan hui hame tark-e-watan ke baad
elan-e-haq men khatra-e-dar-o-rasan to hai
lekin sawal ye hai ki dar-o-rasan ke baad
insan ki khvahishon ki koi intiha nahi
do gaz zamin bhi chahiye do gaz kafan ke baad - Kaifi Azmi