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शहीद भगत सिंह पर लिखी हुए शेर तो नहीं मिले पर इकबाल साहब की यह ग़ज़ल पेश है | भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव को मेरी और से यह श्रंद्धाजलि
हम बुलबुले है इसके यह गुलिस्ता हमारा
पर्वत वो सब से ऊँचा हमसाया आसमां का
वो संतरी हमारा, वो पासबां हमारा
गोदी में खेलती है इसकी हजारो नदिया
गुलशन है जिनके दम से रश्के-जीना हमारा
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिंदी है हम वतन है हिंदोस्तां हमारा
यूनानो-मिस्रो-रूम, सब मिट गए जहा से
अब तक मगर है बाकि नामो-निशा हमारा
'इकबाल' कोई मरहम अपना नहीं जहां में
मालुम क्या किसी को दर्दे-निहा हमारा -इक़बाल
सभी अमर बलिदानियों को हमारा शत शत नमन !!
ReplyDeleteइंक़लाब जिंदाबाद !!