सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है - बिस्मिल अज़ीमाबादी

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

अक्सर लोग इसे राम प्रसाद बिस्मिल जी की रचना बताते हैं लेकिन वास्तव में ये अज़ीमाबाद (अब पटना) के मशहूर शायर बिस्मिल अज़ीमाबादी की हैं और रामप्रसाद बिस्मिल ने उनका शे'र फांसी के फंदे पर झूलने के समय कहा था।
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार
ले तिरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है

वाए क़िस्मत पाँव की ऐ ज़ोफ़ कुछ चलती नहीं
कारवाँ अपना अभी तक पहली ही मंज़िल में है

रहरव-ए-राह-ए-मोहब्बत रह न जाना राह में
लज़्ज़त-ए-सहरा-नवर्दी दूरी-ए-मंज़िल में है

शौक़ से राह-ए-मोहब्बत की मुसीबत झेल ले
इक ख़ुशी का राज़ पिन्हाँ जादा-ए-मंज़िल में है

आज फिर मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार बार
आएँ वो शौक़-ए-शहादत जिन के जिन के दिल में है

मरने वालो आओ अब गर्दन कटाओ शौक़ से
ये ग़नीमत वक़्त है ख़ंजर कफ़-ए-क़ातिल में है

माने-ए-इज़हार तुम को है हया, हम को अदब
कुछ तुम्हारे दिल के अंदर कुछ हमारे दिल में है

मय-कदा सुनसान ख़ुम उल्टे पड़े हैं जाम चूर
सर-निगूँ बैठा है साक़ी जो तिरी महफ़िल में है

वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ
हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है

अब न अगले वलवले हैं और न वो अरमाँ की भीड़
सिर्फ़ मिट जाने की इक हसरत दिल-ए-'बिस्मिल' में है - बिस्मिल अज़ीमाबादी



sarfaroshi ki tamnna ab hamare dil mein hai

sarfaroshi ki tamnna ab hamare dil mein hai
dekhna hai zaur kitna bazoo-e-qatil mein hai

ae shahid-e-mulq-o-millt mai tire upar nisaar
le tiri himmat ka charcha ghair ki mahfil mein hai

waye qismat paanv ki ae zof kuch chalti nahi
karvaan apna abhi tak pahli hi manzil mein hai

rahrav-e-raah-e-mohbbat rah n jana raah me
lazzat-e-sahra-navardi doori-e-manzil mein hai

shauq se raah-e-mohbbat ki musibat jhel le
ik khushi ka raaz pinhaN zada-e-manzil mein hai

aaj fir maqtal me qatil kah raha hai baar baar
aaye wo shauq-e-shahadat jin ke jin ke dil mein hai

marne walo aao ab gardan katao shauq se
ye ganimat waqt hai khanzar kaf-e-qatil me hai

maane-e-izhar tum ko hai haya, ham ko adab
kuch tumhare dil ke andar kuch hamare dil mein hai

may-kada sunsan khum ulte padhe hai zaam choor
sar-niguN baitha hai saaqi jo tiri mahfil me hai

waqt aane de dikha denge tujhe ae aasmaaN
ham abhi se kyun bataye kya hamare dil me hai

ab n agle walwale hai aur n wo armaaN ki bheedh
sirf mit jane ki ik hasrat dil-e-bismil mein hai - Bismil Azimabadi
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, sarfaroshi ki tamnna ab hamare dil mein hai

1 Comments

कृपया स्पेम न करे |

Previous Post Next Post