सांप - डॉ. जिया उर रहमान जाफरी

सांप - डॉ. जिया उर रहमान जाफरी

उसे शरारत सुझी |
उसने अपने मित्र के बिस्तर पर एक बनावटी सांप रख दिया......
मित्र ने जैसे देखा सांप -सांप चिल्लाने लगा....
उसे ये देखकर हंसी आ गई.....
उसने कहा --"कहाँ है सांप.. ? "
यह कहकर उसने सांप को उठा लिया....
हाथ लगाते ही सांप ने उसे डस लिया....
सचमुच उस बिस्तर पर एक नया असली सांप आ गया था......

परिचय
सांप - डॉ. जिया उर रहमान जाफरी
डॉ. जिया उर रहमान जाफरी साहब ने हिन्दी से पी एचडी और एम॰ एड किया है | आप मुख्यतः ग़ज़ल विधा में लिखते है | आप हिन्दी उर्दू और मैथिली की राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन करते आ रहे है | आपको बिहार आपदा विभाग और बिहार राजभाषा विभाग से पुरुस्कृत किया जा चूका है |

आपकी मुख्य प्रकाशित कृतियों में खुले दरीचे की खुशबू (हिन्दी ग़ज़ल), खुशबू छू कर आई है (हिन्दी ग़ज़ल) , चाँद हमारी मुट्ठी में है (बाल कविता), परवीन शाकिर की शायरी (आलोचना), लड़की तब हँसती है (सम्पादन) शामिल है | फ़िलहाल आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य कर रहे है |

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