यक्ष प्रश्न - अटल बिहारी वाजपेयी

यक्ष प्रश्न - अटल बिहारी वाजपेयी | जो कल थे, वे आज नहीं हैं। जो आज हैं, वे कल नहीं होंगे। होने, न होने का क्रम, इसी तरह चलता रहेगा, हम हैं, हम रहेंगे, यह भ्रम भी सदा पलता रहेगा।

यक्ष प्रश्न

जो कल थे,
वे आज नहीं हैं।
जो आज हैं,
वे कल नहीं होंगे।
होने, न होने का क्रम,
इसी तरह चलता रहेगा,
हम हैं, हम रहेंगे,
यह भ्रम भी सदा पलता रहेगा।
सत्य क्या है?
होना या न होना?
या दोनों ही सत्य हैं?
जो है, उसका होना सत्य है,
जो नहीं है, उसका न होना सत्य है।
मुझे लगता है कि
होना-न-होना एक ही सत्य के
दो आयाम हैं,
शेष सब समझ का फेर,
बुद्धि के व्यायाम हैं।
किन्तु न होने के बाद क्या होता है,
यह प्रश्न अनुत्तरित है।
प्रत्येक नया नचिकेता,
इस प्रश्न की खोज में लगा है।
सभी साधकों को इस प्रश्न ने ठगा है।
शायद यह प्रश्न, प्रश्न ही रहेगा।
यदि कुछ प्रश्न अनुत्तरित रहें
तो इसमें बुराई क्या है?
हाँ, खोज का सिलसिला न रुके,
धर्म की अनुभूति,
विज्ञान का अनुसंधान,
एक दिन, अवश्य ही
रुद्ध द्वार खोलेगा।
प्रश्न पूछने के बजाय
यक्ष स्वयं उत्तर बोलेगा।
- अटल बिहारी वाजपेयी


Yaksha Prashna

jo kal the
we aaj nahin hai
jo aaj hai
we kal nahin honge
hone, n hone ka kram
isi tarah chalta rahega
ham hai, ham rahenge
yah bhram bhi sada palta rahega
satya kya hai?
hona ya n hona?
ya dono hi satya hai?
jo hai, uska hona satya ai
jo nahin hai, uska n hona satya hai
mujhe lagta hai ki
hona n hona ek hi satya ke
do aayam hai
shesh ab samajh ka pher
buddhi ke vyayam hai
kintu n hone ke baad kya hota hai
yah prashn anuttrit hai
pratyek naya nachiketa
is prashn ki khoj me laga hai
sabhi sadhko ko is prashn ne thaga hai
shayad yah prashn, prashn hi rahega
yadi kuchh prashnt anuttrit rahe
to isme burai kya hai?
haan, khoj ka silsilan ruke
dharm ki anubhuti
vigyan ka anusandhan
ek din, avashy hi
rudra dwar kholega
prashn puchhne ke bajay
yaksh swayam uttar bolega
- Atal Bihari Bajpeyi

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