रोटी और संसद - धूमिल

रोटी और संसद एक आदमी रोटी बेलता है एक आदमी रोटी खाता है एक तीसरा आदमी भी है जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है मैं पूछता हूँ— ‘यह तीसरा आदमी कौन है?’ मेरे देश की संसद मौन है।

रोटी और संसद

एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूँ—
‘यह तीसरा आदमी कौन है?’
मेरे देश की संसद मौन है।
- धूमिल


Roti aur Sansad

ek adami
roti belta hai
ek adami roti khata hai
ek tisra adami bhi hai
jo na roti belta hai, na roti khata hai
wo sirf roti se khelta hai
main puchhta hoon—
‘yah tisra adami kaun hai?’
mere desh ki sansad maun hai
Dhumil

Post a Comment

कृपया स्पेम न करे |

Previous Post Next Post