उसमें आवाज़ कुछ तुम्हारी लगे - डॉ जियाउर रहमान जाफरी

उसमें आवाज़ कुछ तुम्हारी लगे

उसमें आवाज़ कुछ तुम्हारी लगे
मुझको कोयल की कूक प्यारी लगे

मैंने सीखा है जबसे सच कहना
मेरी हर बात ही कटारी लगे

खीर घर घर में क्यों बंटा आख़िर
मुझको दुल्हन का पांव भारी लगे

बस कि बदनाम हो गये हम - तुम
मेरी खिड़की तेरी अटारी लगे

बस मिलन यामिनी की चाहत में
ये मोहब्बत हमें उधारी लगे

मुझको पगडंडियों से घुमवा दो
मुझको बस कार की सवारी लगे

आके ससुराल अपने मइके से
एक बच्ची भी पूरी नारी लगे

बात सारी बनावटी उसकी
ये सियासत हमें मदारी लगे

उसके दिल में है दर्द दुनिया का
वो मोहब्ब्त का इक पुजारी लगे - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी


usme aawaz kuch tumhari lage

usme aawaz kuch tumhari lage
mujhko koyal ki kook pyari lage

maine seekha hai jabse sach kahna
meri har baat hi katari lage

kheer ghar-ghar me kyo banta aakhir
mujhko dulhan ka panv bhari lage

bas ki badnaam ho gaye hum-tum
meri khidki teri atari lage

bas milan yamini ki chahat me
ye mohbbat hame udhari lage

mujhko pagdandiyo se ghumwa do
mujhko bas car ki swari lage

aake sasural apne maaike se
ek bachchi bhi puri nari lage

baat sari banawati uski
ye siyasat hame madari lage

uske dil me dard duniya ka
wo mohabbat ka ek pujari lage - Dr. Zia Ur Rahman Jafri

परिचय

डॉ. जिया उर रहमान जाफरी साहब ने हिन्दी से पी एचडी और एम॰ एड किया है | आप मुख्यतः ग़ज़ल विधा में लिखते है | आप हिन्दी उर्दू और मैथिली की राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन करते आ रहे है | आपको बिहार आपदा विभाग और बिहार राजभाषा विभाग से पुरुस्कृत किया जा चूका है |>
आपकी मुख्य प्रकाशित कृतियों में खुले दरीचे की खुशबू (हिन्दी ग़ज़ल), खुशबू छू कर आई है (हिन्दी ग़ज़ल) , चाँद हमारी मुट्ठी में है (बाल कविता), परवीन शाकिर की शायरी (आलोचना), लड़की तब हँसती है (सम्पादन) शामिल है |
फ़िलहाल आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य कर रहे है |

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