अबकी बार लौटा तो
अबकी बार लौटा तोबृहत्तर लौटूंगा
चेहरे पर लगाए नोकदार मूँछें नहीं
कमर में बांधें लोहे की पूँछे नहीं
जगह दूंगा साथ चल रहे लोगों को
तरेर कर न देखूंगा उन्हें
भूखी शेर-आँखों से
अबकी बार लौटा तो
मनुष्यतर लौटूंगा
घर से निकलते
सड़को पर चलते
बसों पर चढ़ते
ट्रेनें पकड़ते
जगह बेजगह कुचला पड़ा
पिद्दी-सा जानवर नहीं
अगर बचा रहा तो
कृतज्ञतर लौटूंगा
अबकी बार लौटा तो
हताहत नहीं
सबके हिताहित को सोचता
पूर्णतर लौटूंगा
- कुंवर नारायण
abki baar lauta to
abki baar lauta tobrihtar lautunga
chehre par lagaye nokdar muchhe nahi
kamar me bandhe lohe ki puchh nahi
jagah dunga sath chal rahe logo ko
tarer kar n dekhunga unhe
bhukhi sher-aankho se
abki baar lauta to
manushytar lautunga
ghar se niklate
sadko par chalte
baso par chadhte
trene pakdate
jagah bejagah kuchla pada
piddi-sa janwar nahi
agar bacha rahato
kritgyatar lautunga
abki baar lauta to
hatahat nahi
sabke hitahit ko sochta
purntar lautunga
- Kunwar Narayan