मन योगी तन भस्म भया - अमृता प्रीतम

मन योगी तन भस्म भया

मन योगी तन भस्म भया
तू कैसो हर्फ़ कमाया
अज़ल के योगी ने फूँक जो मारी
इश्क़ का हर्फ़ अलाया...

धूनी तपती मेरे मौला वाली
मस्तक नाद सुनाई दे
अंतर में एक दीया जला
आसमान तक रोशनाई दे

कैसो रमण कियो रे जोगी!
किछु न रहियो पराया
मन योगी तन भस्म भया
तू ऐसी हर्फ़ कमाया...
- अमृता प्रीतम

man jogi tan bhasm bhaya

man jogi tan bhasm bhaya
tu kaise harf kamaya
anzal ke yogi ne foonk jo mari
ishq ka harf alaya

dhuni tapti mere maula wali
mastak naad sunai de
antar me ek diya jala
aasman tak roshnaai de

kaise raman kiyo re jogi
kichhu n rahiyo paraya
man jogi tan bhasm bhaya
tu aisi harf kamaya
- Amrita Pritam

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