हे कृषक ! सावधान ! - गोलेन्द्र पटेल

हे कृषक ! सावधान !

हे कृषक!
तुम्हारे केंचुओं को
काट रहे हैं - "केकड़े"
सावधान!

ग्रामीण योजनाओं के "गोजरे"
चिपक रहे हैं -
गाँधी के 'अंतिम गले'
सावधान!

विकास के "बिच्छुएँ"
डंक मार रहे हैं - 'पैरों तले'
सावधान!

श्रमिक!
विश्राम के बिस्तर पर मत सोना
डस रहे हैं - "साँप"
सावधान!

हे कृषका!
सुख की छाती पर
गिर रही हैं - "छिपकलियाँ"
सावधान!

श्रम के रस
चूस रहे हैं - "भौंरें"
सावधान!

फिलहाल बदलाव में
बदल रहे हैं - "गिरगिट नेतागण"
सावधान!
- गोलेन्द्र पटेल


he krishak ! Saavdhan!

he krishak
tumhare kechuo ko
kaat rahe hai - "kekde"
saavdhan!

gramin yojnao ke "gojre"
chipak rahe hai
gandhi ke 'Antim gale'
saavdhan!

vikas ke "Bichhue"
dank maar rahe hai - "Pairo tale"
saavdhan!

shramik!
vishram ke bistar par mat sona
das rahe hai - "Saap"
saavdhan!

he krishka!
sukh ki chhati par
gir rahi hai - "Chhipkaliyan"
saavdhan!

shram ke ras
chus rahe hai - "Bhoure"
saavdhan!

filhaal badlav me
badal rahe hai - "Girgit netagan"
saavdhan!
- Golendra Patel

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