जो हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं - सदानंद शाही

जो हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं

टूट चुका है रथ
कीचड़ में धँस गए हैं पहिए
लहूलुहान आत्मा पर
बाणों की बारिश जारी है

फँसे हुए पहिए
और धँसे हुए बाणों
को
निकालने तक का
अवकाश नहीं है

युद्ध और प्यार में
सब कुछ को
जायज़ मानने वाले
किसी नियम या नैतिकता के ग़ुलाम नहीं हैं
हारी हुई लड़ाई लड़ने वालों के लिए
नियम है
नैतिकता है विधान है

हारी हुई लडाई लड़ने वाले
सहानुभूति की भीख नहीं माँगते
समर्पण नहीं करते
पीठ नहीं दिखाते

वे क्षत-विक्षत अस्त्रों
और आहत आत्मा से युद्ध करते हैं
वे हार भले जाएँ
पराजित नहीं होते।
- सदानंद शाही


jo hari hui ladai lad rahe hai

tut chuka hai rath
keechad me dhans gaye hai pahiye
lahuluhaan aatma par
baani ki baarish jaari hai

fanse hue pahiye
aur dhanse hue baano
ko nikalane tak ka
avkaash nahin hain

yuddh aur pyar mein
sab kuchh ko
zayaj manne wale
kisi niyam ya naitikata ke gulaam nahin
hari hui ladai ladne walo ke liye
niyam hain
naitikata hai vidhaan hain

hari hui ladai ladne wale
sahanubhuti ki bheekh nahin mangte
samarpan nahin karte
peeth nahi dikhate

we kshat-vikshat astro
aur aahat aatma se yuddh karte hain
we haar bhale jaye
parajit nahi hote
- Sadanad Shahi

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