ऊँचा है पर्वत
ऊँचा है पर्वतकद उसका ऊँचा
न झुका
न झुकेगा
अटल हैं इरादे
विश्वास के अम्बार
खड़ा मूक
अविचल बनकर
स्तम्भ सा
सीना ताने |
हवाएँ आजमाती
ताकत अपनी
लाती भूचाल
चढ़ जाती
ताण्डव करती
मारती धक्के नए पुराने
किन्तु वह खड़ा अविचल
मुस्कुराता
हँसता प्यार जताता
अंत:मन में
गीत गाता |
- अशोक बाबू माहौर
uncha hai parvat
uncha hai parvatkad uska uncha
n jhuka
n jhukega
atal hai irade
vishwas ke ambaar
khada muk
avichal bankar
satmbh sa
seena taane
hawaye aajmati
takat apni
lati bhuchal
chadh jaati
tandav karti
marti dhakke aye purane
kintu wah khada avichal
muskurata
hasta pyar jtata
antman me
geet gata
- Ashok Babu Mahour
परिचयअशोक बाबु माहौर आपका पूरा नाम है आप तहसील अम्बाह जिला मुरैना (म.प्र. ) के रहने वाले है और साहित्य की विभिन्न विधाओ में लिखते है | आपकी कई रचनाये विभिन्न सहियिक पत्रिकाओ जिनमे स्वर्गविभा ,अनहदकृति ,सहित्यकुंज ,हिंदीकुंज ,साहित्य शिल्पी ,पुरवाई ,रचनाकार ,पूर्वाभास,वेबदुनिया इत्यादि शामिल है |
आपको इ पत्रिका अनहदकृति कि और से विशेष मान्यता सम्मान भी 2014-15 में प्राप्त हुआ |
संपर्क-ग्राम-कदमन का पुरा, तहसील-अम्बाह ,जिला-मुरैना (म.प्र.)476111
ईमेल-ashokbabu.mahour@gmail.com
9584414669 ,8802706980