पूरी नहीं सुनोगे तान - माखनलाल चतुर्वेदी

पूरी नहीं सुनोगे तान | किस प्रकार घड़ियाँ गिनता हूँ दिन के बरस बनाता हूँ खान-पान की ज्ञान-ध्यान की धूनी यहाँ रमाता हूँ।

पूरी नहीं सुनोगे तान

किस प्रकार घड़ियाँ गिनता हूँ
दिन के बरस बनाता हूँ
खान-पान की ज्ञान-ध्यान की
धूनी यहाँ रमाता हूँ।

तुमको आया जान, वायु में
बाँहों को फैलाता हूँ
चरण समझते हुए सीखचों
पर मैं शीश झुकाता हूँ।

सुध-बुध खोने लगे, कहो
क्या पूरी नहीं सुनोगे तान?
होता हूँ क़ुरबान, बताओ—
किस क़ीमत पर लोगे जान?
- माखनलाल चतुर्वेदी


puri nahi sunoge taan?

kis prakash ghadiyan ginta hun
din ke baras banata hun
khan-pan ki gyan-dhyan ki
dhuni yahan ramata hun

tumko aaya jan, vayu mein
bahon me failata hun
charan samjhate hue seekhchaon
par mai sheesh jhukata hun

sudh-budh khone lage, kaho
kya puri nahi sunoge taan?
hota hun kurbaan, batao--
kis keemat par loge jaan?
- Makhanlal Chaturvedi

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