वर दे, वीणावादिनि वर दे - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

वर दे, वीणावादिनि वर दे! प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव भारत में भर दे!

वर दे, वीणावादिनि वर दे!

वर दे, वीणावादिनि वर दे!
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे!

काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे!

नव गति, नव लय, ताल-छंद नव,
नवल कंठ, नव जलद-मंद्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे!
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला


var -de, vina vadini var de!

var -de, vina vadini var de!
priya swatantra-sw amrit-mantra nav
bharat me bhar de!

kaat andh-ur ke bandhan-star
baha-janni, jyotirgamay nirjhar;
kalush-bhed-tam har prakash bhar
jagmag jag kar de

nav gati, nav lay, taal-chand nav,
naval kanth, nav jalad-mandrav;
nav nabh ke nav vihang-vrind ko
nav par, nav swar de!
- Suryakant Tripathi Nirala

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