न ग़ुबार में न गुलाब में मुझे देखना
मेरे दर्द की आब-ओ-ताब में मुझे देखना
किसी वक़्त शाम मलाल में मुझे सोचना
कभी अपने दिल की किताब में मुझे देखना
किसी धुन में तुम भी जो बस्तियों को त्याग दो
इसी रह-ए-ख़ानाख़राब में मुझे देखना
किसी रात माह-ओ-नजूम से मुझे पूछना
कभी अपनी चश्म पुरआब में मुझे देखना
इसी दिल से हो कर गुज़र गये कई कारवाँ
की हिज्रतों के ज़ाब में मुझे देखना
मैं न मिल सकूँ भी तो क्या हुआ के फ़साना हूँ
नई दास्ताँ नये बाब में मुझे देखना
मेरे ख़ार ख़ार सवाल में मुझे ढूँढना
मेरे गीत में मेरे ख़्वाब में मुझे देखना
मेरे आँसुओं ने बुझाई थी मेरी तश्नगी
इसी बरगज़ीदा सहाब में मुझे देखना
वही इक लम्हा दीद था के रुका रहा
मेरे रोज़-ओ-शब के हिसाब में मुझे देखना
जो तड़प तुझे किसी आईने में न मिल सके
तो फिर आईने के जवाब में मुझे देखना - अदा जाफ़री
पकिस्तान की मशहूर शायर अदा जाफरी का कराची के अस्पताल में आज (13/03/2015) को निधन हो गया है वे 90 बरस की थी आपने अपनी शायरी की शुरुवात 13 वर्ष की उम्र से कर दी थी आपका जन्म बदायु में 22 अगस्त 1924 को हुआ पहले आपने अपना तखल्लुस अदा बदायुनी रखा बाद में नरुल हसन जाफरी के शादी के बाद आपने अपना तखल्लुस अदा जाफरी कर दिया |
n gubar me n gulab me mujhe dekhna
n gubar me n gulab me mujhe dekhnamere dard ki aab-o-taab me mujhe dekhna
kisi waqt shama malal me mujhe sochna
kabhi apne dil ki kitab me mujhe dekhna
kisi dhoon me tum bhi jo bastiyo ko tyag do
isi rah-e-khanakharab me mujhe dekhna
kisi raat maah-o-najum se mujhe puchhna
kabhi apni chashm puraab me mujhe dekhna
isi dil se ho kar gujar gaye kai karvan
ki hijrato ke zaab me mujhe dekhna
mai n mil saku bhi to kya hua ke fasana hu
nai dasta naye baab me mujhe dekhna
mere khar khar sawal me mujhe dhundhna
mere geet me, mere khwab me mujhe dekhna
mere aasuo ne bujhai thi meri tashnagi
isi bargjida sahab me mujhe dekhna
wahi ik lamha deed tha ke ruka raha
mere roj-o-shab ke hisab me mujhe dekhna
jo tadap tujhe kisi aaine me n mil sake
to fir aaine ke jawab me mujhe dekhna - Ada Jafri