लफ़्ज़ तोड़े मरोड़े ग़ज़ल हो गई
लफ़्ज़ तोड़े मरोड़े ग़ज़ल हो गईसर रदीफ़ों के फोड़े ग़ज़ल हो गई
लीद करके अदीबों की महफि़ल में कल
हिनहिनाए जो घोड़े ग़ज़ल हो गई
ले के माइक गधा इक लगा रेंकने
हाथ पब्लिक ने जोड़े गज़ल हो गई
पंख चींटी के निकले बनी शाइरा
आन लिपटे मकोड़े ग़ज़ल हो गई - अल्हड़ बीकानेरी
lafz tode marode ghazal ho gayi
Lafz tode marode ghazal ho gayiSar radifo ke fode ghazal ho gayi
Leed karke Adibo ki mahfil me kal
hinhinaye jo ghode ghazal ho gayi
le ke maik gadha ik laga renkne
hath public ne jode ghazal ho gayi
pankh chiti ke nikle bani shaira
aan lipte makode ghazal ho gayi - Alhad Bikaneri
अल्हड बीकानेरी अपनी अलग तरह की शायरी के लिए जाने जाते है आपका मूल नाम श्यामलाल शर्मा है आपको हरियाणा गौरव पुरस्कार, काका हाथरसी पुरस्कार भी मिला है | और आपको 1996 में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया |
17 मई 1937 - 17 जून 2009
17 मई 1937 - 17 जून 2009
"आपके द्वारा प्रकाशित ये ग़ज़ल" रविवार 18 जून 2017 को लिंक जाएगी.................. http://kavita-manch.blogspot.in पर साझा की गई है आप भी आइएगा....धन्यवाद!