अच्छी तरह ज़रा मुझे पहचान ज़िंदगी - हफीज़ मेरठी

अच्छी तरह ज़रा मुझे पहचान ज़िंदगी

अच्छी तरह ज़रा मुझे पहचान ज़िंदगी
इंसान हूँ मैं हज़रते -इन्सान ज़िंदगी

पहने हुए है रेशमो-कमख़्वाब का क़फ़न
याराने-बेज़मीर की बेजान ज़िंदगी

गैरों से पूछती है तरीक़ा नजात का
अपनों की साजिशों से परीशान ज़िंदगी

मनमानियों का राज है सारे समाज में
जैसे हो कोई अहदपैमान ज़िन्दगी

बातिल के इक़्तिदार पे चीं-बर-जबीं नहीं
हक़ के सिपाहियों की तन आसान ज़िंदगी

हमने लिखा है अपने शहीदों के ख़ून से
मक़्तल की दास्तान का उन्वान ज़िंदगी

वो ज़ख़्म हूँ कि जिस पे बड़े एहतिमाम से
ख़ाली करे है अपने नमकदान ज़िंदगी

कमज़र्फ़ मुहसिनों का सताया हुआ हूँ मैं
मुझ पर न कीजियो कोई एहसान ज़िंदगी

मैंने बुरा किया जो तुझको बेवफ़ा कहा
अपने 'हफ़ीज़ का न बुरा मान ज़िंदगी।- हफ़ीज़ मेरठी


Achchi tarah jara mujhe pahchan Zindgi

Achchi tarah jara mujhe pahchan Zindgi
insan hu mai hajrate-insan zindgi

pahne hue hai reshmo-kamkhwab ka kafan
yarane-bejmeer ki bejan zindgi

gairo se puchti hai tarika najaat ka
apno ki sajisho se pareshan zindgi

manmaniyo ka raz hai sare samaj me
jaise ho koi ahad n paiman zindgi

batil ke iktidar pe chin-bar-zabi nahi
haq ke sipahiyo ki tan asan zindgi

hamne likha hai apne shahido ke khoon se
maqtal ki dastaan ka unwan zindgi

wo jakhm hai ki jis pe bade ehtimam se
khali kare hai apne namakdan zindgi

kamzarf muhsino ka sataya hua hu mai
mujh par n kijiyo koi ehsan zindgi

maine bura kiya jo tujhko bewafa kaha
apne hafeez ka n bura maan zindgi - Hafeez Merthi (Hafeez Meruthi)

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