मेरे कारोबार में सब ने बड़ी इमदाद की - राहत इंदौरी

मेरे कारोबार में सब ने बड़ी इमदाद की दाद लोगों की, गला अपना, ग़ज़ल उस्ताद की

मेरे कारोबार में सब ने बड़ी इमदाद की

मेरे कारोबार में सब ने बड़ी इमदाद की
दाद लोगों की, गला अपना, ग़ज़ल उस्ताद की

अपनी साँसें बेच कर मैं ने जिसे आबाद की
वो गली जन्नत तो अब भी है मगर शद्दाद की

उम्र भर चलते रहे आँखों पे पट्टी बाँध कर
ज़िंदगी को ढूँडने में ज़िंदगी बर्बाद की

दास्तानों के सभी किरदार कम होने लगे
आज काग़ज़ चुनती फिरती है परी बग़दाद की

इक सुलगता चीख़ता माहौल है और कुछ नहीं
बात करते हो 'यगाना' किस अमीनाबाद की - राहत इंदौरी


mere karobar mein sab ne badi imdad ki

mere karobar mein sab ne badi imdad ki
dad logon ki, gala apna, ghazal ustad ki

apni sansen bech kar main ne jise aabaad ki
wo gali jannat to ab bhi hai magar shaddad ki

umr bhar chalte rahe aankhon pe patti bandh kar
zindagi ko dhundne mein zindagi barbaad ki

dastanon ke sabhi kirdar kam hone lage
aaj kaghaz chunti phirti hai pari baghdad ki

ek sulagta chikhta mahaul hai aur kuchh nahin
baat karte ho 'yagana' kis aminabaad ki - Rahat Indori

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