दिल में उतरेगी तो पूछेगी जुनूं कितना है - शहरयार

दिल में उतरेगी तो पूछेगी जुनूं कितना है नौके-खजर ही बताएगी कि खूँ कितना है

दिल में उतरेगी तो पूछेगी जुनूं कितना है

दिल में उतरेगी तो पूछेगी जुनूं कितना है
नौके-खंज़र ही बताएगी कि खूँ कितना है

आंधिया आयी तो सब लोगो को मालूम हुआ
परचमे-ख्वाब ज़माने में नगूं कितना है

जमआ करते रहे जो अपने को जर्रा-जर्रा
वो क्या जाने बिखरने में सकूँ कितना है

वो जो प्यासे थे समंदर से भी प्यासे लौटे
उनसे पूछो कि सराबो में फुसू कितना है

एक ही मिटटी से हम दोनों बने है लेकिन
तुझमे और मुझमे मगर फासला यूं इतना है - शहरयार
मायने
नगूं = झुका हुआ, सराबो = मृगमरीचिकाओ, फुसू = जादू


dil me utregi to puchugi junooN kitnahai

dil me utregi to puchugi junooN kitnahai
nok-e-khanzar hi batayegi ki khoon kitna hai

aandhiyan aayi to sab logo ko maloom hua
parchame-khawab zamane me nagoon kitna hai

zamaa karte rahe jo apne ko zarra-zarra
wo kya jane bikhrane me sakoon kitna hai

wo jo pyase the samandar se bhi pyase loute
unse puchho ki sarabo me fusoon kitna hai

ek hi mitti se ham dono bane hai lekin
tujhme aur mujhme magar faslaa yun itna hai - Shaharyar

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