हद-ए-इनकार से निकल आया - शाहरुख़ अबीर

हद-ए-इनकार से निकल आया

हद-ए-इनकार से निकल आया
मै भी किरदार से निकल आया

लोग मुझको फरेब दे देते
शौक-ए-दीदार से निकल आया

मसलहत में दबा हुआ साया
घर की दीवार से निकल आया

असर-ए-हाजिर का सामना करके
ज़ब्त की मार से निकल आया

रूह पर क्यों जूनून तारी है
नफ़स-ए-दुश्वार से निकल आया

साथ चलने लगा हूँ सूरज के
इसकी रफ़्तार से निकल आया

एक मुहाफ़िज़ समेट कर खुद को
गिरती दीवार से निकल आया - शाहरुख़ अबीर



hade inkar se nikal aaya

hade inkar se nikal aaya
mai bhi kirdar se nikal aaya

log mujhko fareb de dete
shouke deedaar se nikal aaya

maslehat me daba hua saya
ghar ki deewar se nikal aaya

asre hajeer ka samna karke
zabt ki maar se nikal aaya

rooh par kyo junun taari hai
nafse dushwar se nikal aaya

saath chalne laga hu suraj ke
iski raftaar se niakl aaya

ek muhafiz samet kar khud ko
girti deewar se nikal aaya - Shahrukh Abeer

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