तीरो-तलवार से नहीं होता
तीरो-तलवार से नहीं होताकाम हथियार से नहीं होता
घाव भरता है धीरे-धीरे ही
कुछ भी रफ़्तार से नहीं होता
खेल में भावना है ज़िंदा तो
फ़र्क कुछ हार से नहीं होता
सिर्फ़ नुक़्सान होता है यारो
लाभ तकरार से नहीं होता
उसपे कल रोटियाँ लपेटे सब
कुछ भी अख़बार से नहीं होता - महावीर उत्तरांचली
teero-talwar se nahi hota
teero-talwar se nahi hotakaam hathiyar se nahi hota
ghav bharta hai dheere-dheere hi
kuch bhi raftaar se nahi hota
khel me bhavna hai zinda to
fark kuch haar se nahi hota
sirf nuksan hota hai yaro
labh takrar se nahi hota
uspe kal rotiya lapete sab
luch bhi akhbar se nahi hota - Mahaveer Uttranchali
महावीर उत्तरांचली साहब उत्तराखंड के रहने वाले है आपका जन्म दिल्ली में २४ जुलाई १९७१ को हुआ | आप वर्तमान में गाज़ियाबाद से प्रकाशित त्रेमासिक पत्रिका कथा संसार के उप संपादक है और बुलंदशहर से प्रकाशित त्रेमासिक पत्रिका बुलंदप्रभा में साहित्य सहभागी है | साथ ही साथ आप उत्तरांचली साहित्य संस्थान के निर्देशक भी है |
आपकी अभी तक तीन किताबे प्रकाशित हो चुकी है जिनमे :-
1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९ / अमृत प्रकाशन),
2.) तीन पीढ़ियां : तीन कथाकार (कथा संग्रह में प्रेमचंद, मोहन राकेश और महावीर उत्तरांचली की 4-4 कहानियां; संपादक : सुरंजन, २००७) मगध प्रकाशन,
3.) मन में नाचे मोर है (जनक छंद, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से प्रकाशित हो चुके है |
आपसे m.uttranchali@gmail.com पर संपर्क कर सकते है |
BEHTAREEN
Dhanywad