अन्याय, शोषण, भेदभाव को सहना सीख लिया है - मुनिकेश सोनी

अन्याय, शोषण, भेदभाव को सहना सीख लिया है

अन्याय, शोषण, भेदभाव को सहना सीख लिया है
पत्थरों की तरह जीना लोगों ने सीख लिया हैं

अंधे, बहरे, गूंगे की तरह ज़ीना सीख लिया है
ज़मीर अपना गिरवी रखना लोगो ने सीख लिया है

रोशनी की एक किरण भी नही रही दिल में
इंसानियत को छोड़ना लोगों ने सीख लिया है

अन्याय, शोषण, भेदभाव की नाइंसाफी को सहते सहते
अपनी इंसानियत को बेचना लोगों ने सीख लिया है

इंसान ने अपने अपने अंदर की कमियों को छोड़कर
दूसरों की कमियो को गिनना लोगों ने सीख लिया है- मुनिकेश सोनी


anyay, shoshan, bhedbhav ko sahna sikh liya hai

anyay, shoshan, bhedbhav ko sahna sikh liya hai
pattharo ki tarah jeena logo ne sikh liya hai

andhe, bahre, gunge ki tarah jeena sikh liya hai
jameer apna girvi rakhana logo ne sikh liya hai

roshni ki ek kiran bhi nahi rahi dil me
insaniyat ko chhodna logo ne sikh liya hai

anyaay, shoshan, bhedbhav ki nainsafi ko sahte sahte
apni insaniyat ko bechna logo ne sikh liya hai

insaaan ne apne andar ki kamiyo ko chhodkar
dusro ki kamiyo ko ginna logo ne sikha liya hai - Munikesh Soni

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