सर छुपाने के लिए छप्पर नहीं था - डॉ. राकेश जोशी

सर छुपाने के लिए छप्पर नहीं था लोग कहते हैं कि उसका घर नहीं था

सर छुपाने के लिए छप्पर नहीं था

सर छुपाने के लिए छप्पर नहीं था
लोग कहते हैं कि उसका घर नहीं था

इन ग़रीबों के लिए केवल सड़क थी
दौड़ पड़ने का कोई अवसर नहीं था

जो बनाने के लिए भटका बहुत वो
घर वहीं था, बस वही घर पर नहीं था

हम ही उसके गांव में रहने लगे थे
सच, हमारे गांव में बंदर नहीं था

पांव थे जो चल रहे थे बेवज़ह ही
मैं सफ़र में था, मगर अक्सर नहीं था

आज सब कुछ है मगर है नींद ग़ायब
वो भी दिन थे, नींद थी, बिस्तर नहीं था

फ़्लैट में रहकर अकेले थे बहुत हम
सर पे छत तो थी मगर अंबर नहीं था

गालियां तो हमने थीं जी-भर के दे दीं
हाथ में बस, आपका कॉलर नहीं था

तोड़ देते सभ्यता के कांच सारे
क्या करें पर, हाथ में पत्थर नहीं था - डॉ. राकेश जोशी


sar chhupane ke liye chhappar nahin tha

sar chhupane ke liye chhappar nahin tha
log kahte hai ki uska ghar nahin tha

in garibon ke liye kewal sadak thi
doud padne ka koi awsar nahin tha

jo banane ke liye bhatka bahut wo
ghar wahin tha, bad wahi ghar par nahin tha

ham hi uske gaon me rahne lage the
sach, hamare gaon me bandar nahin tha

paon the jo chal rahe the bewajah hi
main safar me tha, magar aksar nahin tha

aaj sab kuchh hai magr hai neend gayab
wo bhi din the, neend thi, bistar nahin tha

flat me rahkar akele the bahut ham
sar pe chhat to thi magar ambar nahin tha

gaaliya to hamne thi ji-bhar ke de di
haath me bas, aapka collar nahin tha

tod dete sabhyta ke kaanch sare
kya kare par, haath me patthar nahin tha - Dr. Rakesh Joshi

परिचय:

डॉ. राकेश जोशी
अंग्रेजी साहित्य में एम. ए., एम. फ़िल., डी. फ़िल. डॉ. राकेश जोशी वर्तमान में राजकीय महाविद्यालय, मजरा महादेव, पौड़ी (गढ़वाल), उत्तराखंड में अंग्रेज़ी विभाग के प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष हैं. इससे पूर्व वे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, श्रम मंत्रालय, भारत सरकार में हिंदी अनुवादक के पद पर मुंबई में कार्यरत रहे. मुंबई में ही उन्होंने थोड़े समय के लिए आकाशवाणी विविध भारती में आकस्मिक उद्घोषक के तौर पर भी कार्य किया. उनकी कविताएँ अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के साथ-साथ आकाशवाणी से भी प्रसारित हुई हैं. उनकी एक काव्य-पुस्तिका "कुछ बातें कविताओं में", दो ग़ज़ल संग्रह “पत्थरों के शहर में” तथा "वो अभी हारा नहीं है" अब तक प्रकाशित हुए हैं.

नाम: डॉ. राकेश जोशी
जन्म: 9 सितंबर, सन् 1970
शिक्षा: अंग्रेजी साहित्य में एम.ए., एम.फ़िल., डी.फ़िल.
प्रकाशित कृतियां: "कुछ बातें कविताओं में" (काव्य-पुस्तिका)", पत्थरों के शहर में" (ग़ज़ल-संग्रह), "वो अभी हारा नहीं है" (ग़ज़ल-संग्रह)।
संप्रति: राजकीय महाविद्यालय, मजरा महादेव, पौड़ी (गढ़वाल), उत्तराखंड के अंग्रेज़ी विभाग में प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष।

सम्पर्क का पता:
डॉ. राकेश जोशी
प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष
अंग्रेज़ी विभाग
राजकीय महाविद्यालय, मजरा महादेव
पौड़ी (गढ़वाल), उत्तराखंड
मोबाइल: 9411154939
ई-मेल: joshirpg@gmail.com

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