इक दिन ये धरती नीला अम्बर होती - बशीर बद्र

इक दिन ये धरती नीला अम्बर होती काश मेरे सर पर मेरी चादर होती

इक दिन ये धरती नीला अम्बर होती

इक दिन ये धरती नीला अम्बर होती
काश मेरे सर पर मेरी चादर होती

जिन चीजो से दीवारे घर बनती है
ऐसी कोई चीज हमारे घर होती

कवर लिहाफ़ो के अक्सर बदले जाते
खाने की मेज़ हमारे घर होती

छुक-छुक करती रेल गुजरती आँगन में
गुडिया होती गुडिया की मोटर होती

दुनिया के बदसूरत हिस्से ढक जाते
अपने पास कोई ऐसी चादर होती- बशीर बद्र


ik din ye dharti nila ambar hoti

ik din ye dharti nila ambar hoti
kash mere ghar par meri chadar hoti

jin cheezo se deeware ghar banti hai
aisi koi cheez hamare ghar hoti

kawar lihafo ke aksar badle jate
khane ki mej hamare ghar hoti

chhuk-chhuk karti rel gujrati aangan me
gudiya hoti gudiya ki motar hoti

duniya ke badsurat hisse dhak jate
apne paas koi aisi chadar hoti - Bashir Badr

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