आँधियाँ गम की चलेंगी तो संवर जाऊँगा - बहादुर शाह जफ़र

आँधियाँ गम की चलेंगी तो संवर जाऊँगा

आँधियाँ गम की चलेंगी तो संवर जाऊँगा
मैं तेरी जुल्फ नहीं जो बिखर जाऊँगा

तुझसे बिछडा तो मत पूछो किधर जाऊँगा
मैं तो दरिया हूँ समुन्दर में उतर जाऊँगा

नाखुदा मुझसे न होगी ये खुशामद तेरी
मैं वो खुद्दार हूँ कश्ती से उतर जाऊँगा

मुझको सूली पे चढाने की जरुरत क्या है
मेरे हाथो से कलम छिन लों मर जाऊँगा

मुझको दुनिया से 'जफ़र' कौन मिटा सकता है
मैं तो शायर हूँ किताबो में बिखर जाऊंगा - बहादुर शाह जफ़र


aandhiya gham ki chalegi to sanwar jaunga

aandhiya gham ki chalegi to sanwar jaunga
main teri zulf nahi jo bikhar jaunga

tujhse bichhda to mat puchho kidhar jaunga
main to dariya hun samundar mai utar jaunga

nakhuda mujhse n hogi ye khushamad teri
main wo khuddar hun kashti se uatar jaunga

mujhko suli pe chadhane ki jarurat kya hai
mere hatho se kalam chhin lo mar jaunga

mujhko duniya se 'Zafar' koun mita sakta hai
main to shayar hun kutabo mein bikhar jaunga - Bahadur Shah Zafar
आंधिया गम की चलेंगी तो संवर जाऊँगा, aandhiya gham ki chalegi to sanwar jaunga

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