आँधियाँ गम की चलेंगी तो संवर जाऊँगा
आँधियाँ गम की चलेंगी तो संवर जाऊँगामैं तेरी जुल्फ नहीं जो बिखर जाऊँगा
तुझसे बिछडा तो मत पूछो किधर जाऊँगा
मैं तो दरिया हूँ समुन्दर में उतर जाऊँगा
नाखुदा मुझसे न होगी ये खुशामद तेरी
मैं वो खुद्दार हूँ कश्ती से उतर जाऊँगा
मुझको सूली पे चढाने की जरुरत क्या है
मेरे हाथो से कलम छिन लों मर जाऊँगा
मुझको दुनिया से 'जफ़र' कौन मिटा सकता है
मैं तो शायर हूँ किताबो में बिखर जाऊंगा - बहादुर शाह जफ़र
aandhiya gham ki chalegi to sanwar jaunga
aandhiya gham ki chalegi to sanwar jaungamain teri zulf nahi jo bikhar jaunga
tujhse bichhda to mat puchho kidhar jaunga
main to dariya hun samundar mai utar jaunga
nakhuda mujhse n hogi ye khushamad teri
main wo khuddar hun kashti se uatar jaunga
mujhko suli pe chadhane ki jarurat kya hai
mere hatho se kalam chhin lo mar jaunga
mujhko duniya se 'Zafar' koun mita sakta hai
main to shayar hun kutabo mein bikhar jaunga - Bahadur Shah Zafar
सुन्दर प्रस्तुति
कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर हार्दिक शुभकामनाये.....
जय श्रीकृष्ण
आंधिया गम की चलेंगी तो संवर जाऊँगा
मै तेरी जुल्फ नहीं जो बिखर जाऊँगा
तुझसे बिछडा तो मत पूछो किधर जाऊँगा
मै तो दरिया हू समुन्दर में उतर जाऊँगा
बहुत अच्छी लगीं ये पंक्तियाँ।
आभार।
क्या बात है.. बहुत शुक्रिया ....पढवाने का !
Shayer dunia se jane k baad b kitabo m zinda rahta... Shukriya padhane ka