लम्सो-लज्जत के असर में आ गये
लम्सो-लज्जत के असर में आ गयेदेख फिर दीवारों-दर में आ गये
दूर की चीज़े खला में खो गई
पास के मंज़र नज़र में आ गये
जिस्म को गन्दुम-महक ने छु लिया
फुल फिर दिल के शज़र में आ गये
खौफ से हमको रिहाई मिल गई
हम भी एक दस्ते-हुनर में आ गये - शहरयार
lamso-lazzat ke asar me aa gaye
lamso-lazzat ke asar me aa gayedekh phir deewaro-dar me aa gaye
door ki cheeze khala me kho gai
paas ke manzar nazar me aa gaye
zism ko gandum-mahak ne chhu liya
phool phir dil ke shazar me aa gaye
khauf se hamko rihaai mil gai
ham bhi ek dast-e-hunar me aa gaye - Shaharyar
लाजवाब गज़ल। धन्यवाद।
धन्यवाद निर्मला जी |