गुफ़्तुगू होगी मगर कुछ गुफ़्तुगू रह जाएगी - रहबर प्रतापगढ़ी

गुफ़्तुगू होगी मगर कुछ गुफ़्तुगू रह जाएगी

गुफ़्तुगू होगी मगर कुछ गुफ़्तुगू रह जाएगी
ऐसा लगता है कि बाक़ी आरज़ू रह जाएगी ।।

मेरा कोई भी नहीं है शहर में तुमसे अज़ीज़
तुम नहीं होंगे तो नाक़िस जुस्तुजू रह जाएगी ।।

आप जाकर उनकी चौखट पर ही विनती कीजिए
बात भी बन जाएगी और आबरू रह जाएगी ।।

मुश्को अंबर की तो प्यारे ! खुशबुएं हैं आरज़ी
प्यार की खुशबू जहां में कू-ब-कू रह जाएगी ।।

आप दुनिया में मोहब्बत से उजाला कीजिए
ये चमक ’रहबर’ हमेशा चार सू रह जाएगी - रहबर प्रतापगढ़ी


guftgu hogi magar kuchh guftgu rah jayegi

guftgu hogi magar kuchh guftgu rah jayegi
aisa lagta hai ki baaki aarzoo rah jayegi

mera koi bhi nahin hai shahar mein tumse azeez
tum nahin honge to nakis justju rah jayegi

aap jaakr unki chaukhat par hi vinti kijiye
baat bhi ban jayegi aur aabroo rah jayegi

mushko ambar ki to pyare! khushbuen hai aarzii
pyar ki khushboo jahan me ku-b-ku rah jayegi

aap duniya mein mohabbat se ujala kijiye
ye chamak rahbar hamesha chaar su rah jayegi - Rahbar PratapGarhi

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