कुछ हक़ीक़त है कुछ कहानी है
कुछ हक़ीक़त है कुछ कहानी हैसिर्फ़ कहने को हक़-बयानी है
इश्क़-ए-फ़ानी रवाँ हुआ जब जब
हसरतों पर चढ़ी जवानी है
नाव साहिल पे आ के डूब गई
ना-ख़ुदाओं की मेहरबानी है
जो दिए ओट में थे वो ही बुझे
ये हवाओं की पासबानी है
ज़र्द पत्तों ने मुस्कुरा के कहा
फ़स्ल-ए-गुल है हवा सुहानी है
शाम की चाय उन के साथ पियूँ
दिल की हसरत बहुत पुरानी है
रौशनाई बनाई अश्कों से
मेरी ग़ज़लों में अब रवानी है - दिनेश कुमार
kuchh haqirat hai kuchh kahani hai
kuchh haqiqat hai kuchh kahani haisirf kahne ko haq-bayani hai
ishq-e-fani rawan hua jab jab
hasraton par chadhi jawani hai
naw sahil pe aa ke dub gai
na-khudaon ki mehrbani hai
jo diye ot mein the wo hi bujhe
ye hawaon ki pasbani hai
zard patton ne muskura ke kaha
fasl-e-gul hai hawa suhani hai
sham ki chae un ke sath piyun
dil ki hasrat bahut purani hai
raushnai banai ashkon se
meri ghazlon mein ab rawani hai - Dinesh Kumar