ये जीने की कैसी सजा दी गई
ये जीने की कैसी सजा दी गईहवाओ के रुख पर उड़ा दी गई
किसी पैरहन पर मुन्नकश हुई
किसी आईने में सजा दी गई
किसी जिन्दगी से जुदा करके मै
किसी जिन्दगी से मिला दी गई
किसी घर से मुझको उठाया गया
किसी घर में लाकर बिठा दी गई
जहा जी में आया है रखा मुझे
जहा से भी चाहा हटा दी गई
हसाया गया उम्रभर यु मुझे
हसी ही हसी में रुला दी गई- शाहिदा हसन
ye jeene ki kaisi saza di gai
ye jeene ki kaisi saza di gaihawao ke rukh par uda di gai
kisi paairhan par munnkash hui
kisi aaine me saja di gayi
kisi zindgi se juda karke mai
kisi zindgi se mila di gai
kisi ghar se mujhko uthaya gaya
kisi ghar me lakar bitha di gai
jaha ji me aaya hai rakha mujhe
jaha se bhi chaha hatha di gai
hasaya gaya umra bhar mujhe
hasi hi hasi me rula di hai - Shahida Hasan
भारत से प्रकाशित होने वाले एक वृहत्, सुनियोजित एवं शोधपूर्ण सामग्री से भरपूर ‘मुक्तक/रुबाई/कत्अ विशेषांक’ मे सहभागी बनने हेतु निःशुल्क योजना जिसमें अनेक देशों के कवियों की भागीदारी हो रही है।विस्तृत जानकारी के लिए कृपया नीचे पढ़ें :
विस्तृत विज्ञप्ति
‘मुक्तक/रुबाई विशेषांक’ हेतु रचनाएँ आमंत्रित-
देश की चर्चित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक त्रैमासिक पत्रिका ‘सरस्वती सुमन’ (देहरादून) का आगामी एक अंक ‘मुक्तक/रुबाई विशेषांक’ होगा जिसके अतिथि संपादक होंगे सुपरिचित कवि जितेन्द्र ‘जौहर’।
उक्त विशेषांक हेतु आपके विविधवर्णी(सामाजिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक, धार्मिक, शैक्षिक, देशभक्ति, पर्व-त्योहार, पर्यावरण, श्रृंगार, हास्य-व्यंग्य, आदि अन्यानेक विषयों/ भावों) पर केन्द्रित मुक्तक/रुबाई/कत्अ एवं तद्विषयक सारगर्भित एवं तथ्यपूर्ण आलेख सादर आमंत्रित हैं।
इस विशेषांक में कुछ लोकभाषाओं (जैसे- भोजपुरी, ब्रज, अवधी, बुन्देली, आदि) के अतिरिक्त राजस्थानी, छत्तीसगढ़ी, आदि के लिए भी कुछ सीमित पृष्ठ निर्धारित किये गये हैं। इस खण्ड में प्रकाशित मुक्तक / रुबाइयात हिन्दी-अनुवाद अथवा संक्षिप्त हिन्दी-भावार्थ के साथ प्रकाशित करने की योजना।
इस संग्रह का हिस्सा बनने के लिए न्यूनतम 20-25 मुक्तक (चयन सुविधा को ध्यान में रखते हुए) भेजे जा सकते हैं।
इस विशेषांक में अनेक देशों के कवियों की सहभागिता के लिए एक विशेष स्तम्भ ‘अनिवासी भारतीयों के मुक्तक’ भी निर्धारित किया गया है।
प्रकाशनोपरांत पुस्तक-रूप में भी उपलब्ध कराने की योजना!
मुक्तक-साहित्य उपेक्षित-प्राय-सा रहा है; इस पर अभी तक कोई ठोस शोध-कार्य नहीं हुआ है। इस दिशा में एक विनम्र पहल करते हुए भावी शोधार्थियों की सुविधा के लिए मुक्तक-संग्रहों की संक्षिप्त परिचयात्मक संदर्भ-सूची तैयार करने का कार्य भी प्रगति पर है।
यह विशेषांक भावी शोध-कार्य की दृष्टि से एक संदर्भ-ग्रंथीय दस्तावेज बन सके, ऐसा प्रयास किया जा रहा है। इसमें शामिल होने के लिए कविगण अपने प्रकाशित मुक्तक/रुबाई/कत्आत के संग्रह की प्रति प्रेषित करें! प्रति के साथ समीक्षा भी भेजी जा सकती है।
लेखकों-कवियों के साथ ही, सुधी-शोधी पाठकगण भी ज्ञात / अज्ञात / सुज्ञात लेखकों के चर्चित अथवा भूले-बिसरे मुक्तक/रुबाइयात/कत्आत भेजकर ‘सरस्वती सुमन’ के इस दस्तावेजी ‘विशेषांक’ में सहभागी बन सकते हैं। प्रेषक का नाम ‘प्रस्तुतकर्ता’ के रूप में प्रकाशित किया जाएगा। प्रेषक अपना पूरा नाम व पता (फोन नं. सहित) अवश्य लिखें।
प्रेषित सामग्री के साथ फोटो एवं परिचय भी संलग्न करें। समस्त सामग्री केवल डाक या कुरियर द्वारा (ई-मेल से नहीं) निम्न पते पर अति शीघ्र भेजें-
जितेन्द्र ‘जौहर’
(अतिथि संपादक ‘सरस्वती सुमन’)
IR-13/6, रेणुसागर,
सोनभद्र (उ.प्र.) 231218.
मोबा. # : +91 9450320472
ईमेल का पता : jjauharpoet@gmail.com
यहाँ भी मौजूद : jitendrajauhar.blogspot.com