आसमाँ मिल न सका, धरती पे आया न गया
आसमाँ मिल न सका, धरती पे आया न गयाज़िन्दगी हमसे कोई ठौर बनाया न गया
घर की वीरानियाँ रुसवा हुईं बेकार में ही
मुझसे बाज़ार में भी वक़्त बिताया न गया
जोश में ढहा तो दी रिश्ते की इमारत, लेकिन
दोनों से आज तलक मलबा हटाया न गया
ख़ून के दाग़ न आ जाएँ मिरे लहजे में
इसलिए ग़ज़लों को अख़बार बनाया न गया
दिख न जाये तू बिछड़ती हुई, बस इस डर से
मुझसे आँखों को कोई ख़्वाब दिखाया न गया
अपना हिस्सा भी तो माँगा है ज़मीं से मैंने
आसमां यूँ ही मिरे सर पे गिराया न गया
जो तेरी याद के पंछी न रुके, क्या है अजब
उम्र भर दिल में तो तुझको भी बिठाया न गया
ज़ात, मज़हब की ज़ुबाँ, नाम उसी के तो हैं सब
ख़ुद को जिस क़ैद से ताउम्र छुड़ाया न गया
ख़ाक दरिया के किनारों को मिलाऊंगा मैं
ख़ुद को ही आज तलक ख़ुद से मिलाया न गया
मेरा ईमान हुआ ख़र्च जिसे पाने में
क्या ग़ज़ब होगा जो उस शय को बचाया न गया - इमरान हुसैन आज़ाद / इमरान बदायुनी
aasman mil n saka, dharti pe aaya n gya
Asmaan mil n saka, dharti pe aaya n gyazindgi hamse koi thour banaya n gya
ghar ki veeraniya ruswa hui bekar me hi
mujhse bazar me bhi waqt bitaya n gya
josh me dhaha to di rishte ki imarat, lekin
dono se aaj talak malba hataya n gya
khoon ke daagh n aa jaye mere lahje me
isliye ghazalo ko akhbaar banaya n gya
dikh n jaye tu bichdati hui, bas is dar se
mujhse aankho ko koi khwab dikhaya n gya
apna hissa bhi to manga hai zameen se maine
aasmaan yun hi mere sar pe giraya n gya
jo teri yaad ke panchi n ruke, kya hai ajab
umra bhar dil me to tujhko bhi bithaya n gya
jaat, mazhab ki zubaan, naam usi ke to hai sab
khud ko jis kaid se taaumr chhudaya n gya
khaaq dariya ke kinaro ko milaunga mai
khud ko hi aaj talak khud se milaya n gya
mera imaan hua kharch jise paane me
kya gajab hoga jo us shay ko bachaya n gya - Imran Badayuni
इमरान हुसैन आज़ाद आपग्राम कलौरा जिला बदायूं के रहने वाले है वर्मान में हरिद्वार में भेल में असिस्टेंट इंजिनियर के पद पर कार्यरत है |