जिस सदी में रखना हो उस सदी में रख देना - शिव शरण बंधु

जिस सदी में रखना हो उस सदी में रख देना

जिस सदी में रखना हो उस सदी में रख देना
मेरे सब गुनाहों को रोशनी में रख देना

इश्क़ के उजालों की जब कभी ज़रूरत हो
हम बुझे चराग़ों को तीरगी में रख देना

दर्द की रवानी को रोकना अगर चाहो
एक अश्क अपना भी इस नदी में रख देना

आख़री सफ़र में तुम,आशिक़ी के सब लम्हे
यार मेरी आंखों की पालकी में रख देना

कर्बला मिरे दिल की फिर न प्यास में तड़पे
चाहतों का इक क़तरा तश्नगी में रख देना

तुम अज़ीम शाइर हो बन्धु जी तो ये करना
दर्द हम ग़रीबों का शाइरी में रख देना - शिव शरण बंधु


jis sadi me rakhna ho us sadi me rakh dena

jis sadi me rakhna ho us sadi me rakh dena
mere sab gunaho ko roshni me rakh dena

ishq ke ujalo ki jab kabhi jarurat ho
ham bujhe charago ko teeragi me rakh dena

dard ki rawani ko rokna agar chaho
ek ashq apna bhi is nadi me rakh dena

aakhri safar me tum, aashiqi ke sab lamhe
yaar meri aankho ki palki me rakh dena

karbla mire dil ki phir n pyas me tadpe
chahto ka ek katra tishnagi me rakh dena

tum azeem shayar ho bandhu ji to ye karna
dard ham gareebo ka shayari me rakh dena - Shiv Sharan Bandhu

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