अपनी हर बात से मुकरता है
अपनी हर बात से मुकरता हैआदमी कब ख़ुदा से डरता है
जब सर-ए-शाम ग़म सँवरता है
आइना टूटकर बिखरता है
आज का काम आज ख़त्म करें
वक़्त किसके लिए ठहरता है
तेरी तस्वीर में मेरे दिलबर
रंग मेरे लहू से भरता है
शर्म की तोड़कर ही दीवारें
आदमी हद को पार करता है
है अजीब-ओ-गरीब अपना सफ़र
रोज़ मक़्तल पे आ ठहरता है
जितनी तहज़ीब मैं दिखाता हूँ
उतना ही मुझ पे वो बिफरता है
आँसुओं से ख़ुतूत लिख कर ही
संग-ए-दिल पर निशाँ उभरता है
एक सन्नाटा आज भी 'निर्मल'
दिल के हर कोने में उतरता है - रचना निर्मल
संक्षिप्त परिचयनाम : रचना निर्मल
जन्म: 5 अगस्त 1969, पंजाब
शिक्षा: ( राजनीति विज्ञान ) स्नाकोत्तर
रुचि : पठन , पाठन,समाज सेवा
कर्म क्रिया: अध्यापिका , गृहणी, समाजसेवी
प्रेम : सच्चाई ,देश और प्रकृति से..
प्रिय लेखक : महादेवी वर्मा,सुभद्रा कुमारी चौहान,सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, प्रेमचंद,मीर,राहत इंदौरी
साहित्यिक क्षेत्र: गीत,ग़ज़ल,कविता,छन्द,कहानी लघुकथा इत्यादि
साहित्यिक यात्रा : दो वर्ष
प्रकाशन: विभिन्न राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित, विभिन्न विधाओं के साझा संकलनों में रचनाएँ सम्मिलित
उपलब्धियाँ: विभिन्न मंचों द्वारा रचनाओं हेतु समय समय पर पुरस्कृत एवं सम्मानित
गोल्डन बुक्स आफ रिकार्ड में प्रकाशित पुस्तक" हे पवन " में कविता- स्त्री और हवा, लघुकथा -कसूर किसका
सचिव (महिला काव्य मंच (रजि०) , सोपान साहित्यिक संस्था की कार्यकारिणी सदस्या,आगमन की आजीवन सदस्या
सम्पर्क: फोन: 9971731824 , 7011594469
ईमेल: rachnabhatia800@gmail.com
Apni har baat se mukarta hai
Apni har baat se mukarta haiaadmi kab khuda se darta hai
jab sar-e-sham gham sanwarta hai
aaina tutkar bikhrta hai
aaj ka kaam aaj khatm kare
waqt kiske liye thahrata hai
teri tasweer me mere dilbar
rang mere lahu se bharta hai
sharm ki todkar hi deeware
aadmi had ko paar karta hai
hai ajeeb-o-gareeb apna safar
roz maqtal pe aa thahrata hai
jitni tahzeeb mai dikhata hun
utna hi mujh pe wo bikhrta hai
aansuo se khutut likh kar hi
sang-e-dil par nisha ubhrata hai
ek sannata aaj bhi 'Nirmal'
dil ke har kone me utarata hai - Rachna Nirmal