माँ के घर जब सभी बेटियाँ आ गईं
फूल खुशबू चमक तितलियां आ गईंमाँ के घर जब सभी बेटियाँ आ गईं
जा के अंदाज़ ताकत का फिर लग गया
जब बगावत में सब लड़कियां आ गईं
मुझको उस पार जाना कठिन जब लगा
फिर दुआ माँ ने की कश्तियाँ आ गईं
ज़िंदगी का मज़ा फिर तो जाने लगा
जब भी रिश्तों में कुछ तल्खियां आ गईं
उसको फ़ंसना है इक दिन पता जब चला
जाल में खुद बखुद मछलियाँ आ गईं
उम्र भर की पढाई से ये बस हुई
एक फाइल में सब डिग्रियां आ गईं
एक मुद्दत हुआ घर भी छोड़े हुये
कितनी रिश्तों में ये दूरियां आ गई -डॉ.जियाउर रहमान जाफरी
phool khushboo chamak titliya aa gayi
phool khushboo chamak titliya aa gayimaa ke ghar jab sabhi betiyan aa gayi
jaa ke andaj takat fir lag gaya
jab bagawat me sab ladkiya aa gayi
mujhko us paar jaana kathin laga
fir duaa maa ne ki, kashtiya aa gayi
zindgi ka maza fir to jane laga
jab bhi rishto me kuch talkhiya aa gayi
usko fasna hai ik din, pata jab chala
jal me khud bakhud machhliya aa gayi
umr bhar ki padhai se ye bas hui
ek file me sab digriya aa gayi
ek muddat hua ghar bhi chhode hue
kitni rishto me ye duriyaan aa gayi - Dr. Zia-ur Rahman Zafri
परिचय
डॉ. जिया उर रहमान जाफरी साहब ने हिन्दी से पी एचडी और एम॰ एड किया है | आप मुख्यतः ग़ज़ल विधा में लिखते है | आप हिन्दी उर्दू और मैथिली की राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन करते आ रहे है | आपको बिहार आपदा विभाग और बिहार राजभाषा विभाग से पुरुस्कृत किया जा चूका है |
आपकी मुख्य प्रकाशित कृतियों में खुले दरीचे की खुशबू (हिन्दी ग़ज़ल), खुशबू छू कर आई है (हिन्दी ग़ज़ल) , चाँद हमारी मुट्ठी में है (बाल कविता), परवीन शाकिर की शायरी (आलोचना), लड़की तब हँसती है (सम्पादन) शामिल है |
फ़िलहाल आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य कर रहे है |
आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 21 जनवरी 2018 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वाह!!!
बहुत सुन्दर गजल....
वाह वाह बहुत खूब
सुन्दर प्रस्तुति जाफरी साहब ।
आदरणीय -- बहुत ही अनुपम शेरों से सजी रचना मर्मस्पर्शी है | सभी पंक्तियाँ मन को छू रही है | आपको सादर बधाई देती हूँ और मेरे ब्लॉग पर पधारने का आग्रह करती हूँ | मेरी रचना -- माँ जब गाँव के करीब जाने लगी है '' पढने का विशेष आग्रह करती हूँ | सादर --
Kawita ke Bhao ko gahrayee se samajh Sakta hoon.kal maa se Milne ghar bhi gaya tha...wakai bahut soona soona lagta hai...saari bahno ka ek jagah jama hona toh ab bas khwab hi lagta hai....