गर मेरे अश्के-सुर्ख से रंगे हिना मिले - दाग़ देहलवी

गर मेरे अश्के-सुर्ख से रंगे हिना मिले जो चोर की सजा वह मुझको सजा मिले

गर मेरे अश्के-सुर्ख से रंगे हिना मिले

गर मेरे अश्के-सुर्ख से रंगे हिना मिले
जो चोर की सजा वह मुझको सजा मिले

जाते थे मुह छिपाए हुए मयकदा को हम
आते हुए उधर से कई पारसा मिले

अपनी भी सहमत आ गई तौबा के साथ ही
अहदे-शबाब के जो कही आशना मिले

शौके-विलास खाक में सबको मिलेगा
तुम क्यों मिलो किसी से तुम्हारी बला मिले

अल्लाह दे तो फख्र कि दौलत है सल्तनत
जितने फकीर मुझको मिले बादशा मिले

दुनिया में दिल्लगी के लिए कुछ तो चाहिए
हम इस बुतों से मिलते है जब तक खुदा मिले

ऐ दाग अपनी वजअ हमेशा यही रही
कोई खिंचा, ख्निचे, कोई हमसे मिला मिले - दाग़ देहलवी
मायने
रंगे-हिना = मेहंदी का रंग, अहदे-शबाब = युवावस्था, सल्तनत = राज्य, बादशा = राजा, वजअ = शैली/ढंग


gar mere ashqe-surkh se range hina mile

gar mere ashqe-surkh se range hina mile
jo chor ki saja wah mujhko saja mile

jaate the munh chhipaye hue maykada ko ham
aate hue udhar se kai paarsa mile

apni bhi sahmat aa gai tauba ke sath hi
ahde-shabab ke jo kahi aashna mile

shauk-e-vilas khak me sabko milega
tum kyon mili kisi se tumhari bala mile

allah de to fakhr ki daulat hai saltanat
jitne fakeer mujhko mile badsha mile

duniya me dillagi ke liye kuchh to chahiye
ham is buton se milte hai jab tak khuda mile

ae daagh apni wahaa hamesha yahi rahi
koi khincha, khinche, koi hamse mila mile - Daagh Dehlvi

Post a Comment

कृपया स्पेम न करे |

Previous Post Next Post