याद उस को न कर बात बढ़ जायेगी - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी

याद उस को न कर बात बढ़ जायेगी

याद उस को न कर बात बढ़ जायेगी
फूस बंगले में बरसात बढ़ जायेगी

एक दिन सब्ज़ मौसम गुजर जायेगा
ज़र्द फूलो की औकात बढ़ जायेगी

मेरी आँखों के तारे न टूटे अगर
चाँद घट जायेगा रात बढ़ जायेगी

अपने हिस्से की बत्ती जलाये रखो
वरना गम की सियह रात बढ़ जायेगी

हम फ़कीरो की सुहबत में बैठा करो
और तौक़ीरे-सादात बढ़ जायेगी

इस कदर साफगोई मुज़फ्फ़र मियां
कौन-सी आप की ज़ात बढ़ जायेगी - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
मायने
सब्ज़ = हरियाली, ज़र्द = पीले, तौक़ीरे-सादात = सैय्यद होने का मान


yaad us ko n kar baat badh jayegi

yaad us ko n kar baat badh jayegi
fus-bangle me barsaat badh jayegi

ek din sabz mousam gujar jayega
zarf phoolo ki aukaat badh jayegi

meri aankho ke tare n tute agar
chaand ghat jayega, raat badh jayegi

apne hisse ki batti jalaye rakho
warna gham ki siyah raat badh jayegi

ham fakeero ki suhbat me baitha karo
aur tauqire-saadaat badh jayegi

is kadar safgoi Muzaffar miyaN
koun-si aap ki jaat badh jayegi - Muzaffar Hanfi
याद उस को न कर बात बढ़ जायेगी - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी

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